**”Hanuman Chalisa कितनी बार पढ़ें? 1 बार, 7 बार या 108 बार? क्या कहते हैं शास्त्र? जानिए शास्त्रसम्मत पूजा विधि!”** 🚩📖

Hanuman mantra

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Table of Contents

परिचय और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि 📜

चित्र: गोस्वामी तुलसीदास जी (1532-1623), हनुमान चालीसा के रचयिता
चित्र: गोस्वामी तुलसीदास जी (1532-1623), हनुमान चालीसा के रचयिता

हनुमान चालीसा भगवान हनुमान की स्तुति में रचा गया एक प्रसिद्ध स्तोत्र है। इसका रचनाकार भक्त कवि गोस्वामी तुलसीदास जी को माना जाता है, जिन्होंने 16वीं शताब्दी में इसे अवधी भाषा में लिखा था।

तुलसीदास जी रामभक्ति के महान कवि थे और रामचरितमानस जैसे महाकाव्य के रचनाकार के रूप में विख्यात हैं। कहा जाता है कि उन्होंने मुगल सम्राट अकबर के दौर में जनमानस को भगवान के चमत्कार दिखाने हेतु बंदी बनाए जाने पर जेल में रहते हुए 40 दिन तक निरंतर हनुमान चालीसा का पाठ किया। उनकी अटल भक्ति के फलस्वरूप, कथा के अनुसार, बंदरों की एक सेना ने बादशाह के दरबार में उत्पात मचा दिया जिससे घबराकर तुलसीदास जी को रिहा करना पड़ा। इस प्रकार हनुमान चालीसा का जन्म एक संकटमोचक प्रार्थना के रूप में हुआ।

तुलसीदास जी का जीवन त्याग, भक्ति और चमत्कारिक घटनाओं से भरपूर था, और हनुमान चालीसा उनकी उसी भक्ति की देन है जो आज करोड़ों लोगों के जीवन का हिस्सा बन चुकी है। संक्षेप में, चालीसा के 40 दोहों में श्री हनुमान के गुणों और राम भक्त के रूप में उनकी महिमा का वर्णन मिलता है। यह स्तोत्र भक्तों के हृदय में साहस, विश्वास और ईश्वरभक्ति की ज्योति प्रज्वलित करने के उद्देश्य से रचा गया था।

धर्मशास्त्रों में हनुमान चालीसा का उल्लेख 📖

धर्मशास्त्रों में सीधे हनुमान चालीसा का वर्णन तो मध्ययुग के बाद मिलता है, परंतु भगवान हनुमान स्वयं प्राचीन वेदों, पुराणों और महाकाव्यों में उल्लिखित महान चरित्रों में से एक हैं। रामायण में हनुमान जी श्रीराम के परम भक्त और संकटमोचक के रूप में केंद्रीय भूमिका निभाते हैं – सीता माता की खोज से लेकर लक्ष्मण जी के लिए संजीवनी बूटी लाने तक, उनके पराक्रम की कथाएँ लोकप्रचलित हैं।

महाभारत में भी हनुमान जी का उल्लेख मिलता है; भीम को अपना भ्राता होने का आशीर्वाद देना और अर्जुन के रथ की ध्वजा पर विराजमान होकर युद्ध में रक्षा करना उनकी महिमा को दर्शाता है। कई पुराणों में हनुमान को भगवान शिव का अवतार या पवनपुत्र के रूप में वर्णित किया गया है, जो उन्हें दिव्य शक्ति और अमरत्व प्रदान करता है।

धर्मशास्त्रीय दृष्टि से हनुमान चालीसा का पाठ एक प्रकार से उन सभी शास्त्रीय कथाओं और गुणों को स्मरण करने का सरल माध्यम है, जो हनुमान जी से संबन्धित हैं। इसमें आए चौपाइयाँ हनुमान जी की शक्ति, ज्ञान, भक्ति और गुणों का बखान करती हैं, जिन्हें वेद-पुराणों में अलग-अलग कथाओं के रूप में सराहा गया है। इस कारण हनुमान चालीसा को धार्मिक ग्रंथों के सार का सरल रूप कहा जा सकता है। भक्तजन मानते हैं कि चालीसा का नित्य पाठ करने से उन्हें वैसा ही पुण्य फल मिलता है जैसा शास्त्रों के गहन अध्ययन से, क्योंकि यह श्री हनुमान के चरणों में श्रद्धा अर्पित करने का सुलभ मार्ग है।

हनुमान चालीसा पढ़ने की सही विधि 🙏

हनुमान चालीसा का पाठ करने के लिए कुछ पारंपरिक विधियाँ और नियम बताए गए हैं, ताकि भक्त को अधिकतम духовिक लाभ मिल सके:

  • कब और कितनी बार पढ़ें:

  • हनुमान चालीसा को प्रातःकाल स्नान के उपरांत पढ़ना उत्तम माना गया है। सुबह ब्रह्म मुहूर्त (लगभग 4 से 6 बजे के बीच) इसका जाप मन को शांति और दिन भर के लिए ऊर्जा देता है। यदि सुबह संभव न हो तो सूर्यास्त के समय या रात्रि में भी इसे पढ़ सकते हैं।
  • सप्ताह में मंगलवार और शनिवार विशेष रूप से हनुमान जी की आराधना के दिन माने जाते हैं, इसलिए इन दिनों चालीसा का पाठ अवश्य करें। कोई नियमबद्ध संख्या आवश्यक नहीं, किंतु कई भक्त रोज़ कम से कम एक बार पाठ करते हैं और कुछ विशेष प्रयोजन से 7 बार या 11 बार तक भी पढ़ते हैं। माना जाता है कि लगातार 21 दिनों तक निष्ठापूर्वक दैनिक पाठ करने से मनोकामना पूर्ण होती है।
  • पाठ की विधि:

  • चालीसा शुरू करने से पहले शांत चित्त होकर भगवान का स्मरण करें। एक साफ आसन पर बैठकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पाठ करना शुभ माना जाता है। प्रारंभ में हनुमान जी की तस्वीर या मूर्ति के सम्मुख दीपक जलाकर “ॐ श्री हनुमते नमः” का उच्चारण करें। फिर चालीसा के प्रारंभ के दो दोहों से आरंभ करें – “श्रीगुरु चरन सरोज रज…”, और अंत में “पवन तनय संकट हरन…” वाले दोहे सहित पूरा पाठ करें। ध्यान रहे कि चालीसा के सभी चौपाई क्रम से और शुद्ध उच्चारण के साथ पढ़ें, कोई चरण बीच में छोड़ें नहीं। इसे ज़ोर से स्पष्ट स्वर में पढ़ना चाहिए, क्योंकि माना जाता है कि हनुमान जी के वीर नाम का उच्चारण करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर भागती है। मन ही मन पाठ करने की बजाय श्रवण योग्य स्वर में पाठ करने से वातावरण में पवित्रता और सकारात्मकता फैलती है।
  • नियम और सावधानियाँ:

  • चालीसा पाठ से पहले स्नानकर या हाथ-पैर धोकर शुद्ध अवस्था में रहें। स्वच्छ वस्त्र धारण करें और संभव हो तो राम-हनुमान जी का ध्यान करके मन को पवित्र रखें। पाठ के दौरान जल्दबाज़ी न करें – धीमे-धीमे और श्रद्धापूर्वक प्रत्येक शब्द का उच्चारण करें। उच्चारण स्पष्ट होना चाहिए ताकि हर चौपाई का सही अर्थ हृदय में उतरे। कोई अगरबत्ती या दीप जलाकर रखें जिससे पावन माहौल बने।
  • पाठ करते समय अपना ध्यान हनुमान जी के चरणों में रखें; मोबाइल फोन आदि से ध्यान भंग न होने दें। एक और परंपरागत सलाह है कि चालीसा पाठ के दिनों में मांसाहार एवं शराब जैसे तामसिक पदार्थों का सेवन न करें, क्योंकि हनुमान जी ब्रह्मचारी तथा सात्त्विक प्रवृत्ति के देवता हैं। हालांकि यह पूरी तरह भक्त की श्रद्धा पर निर्भर है, परंतु मान्यता है कि सात्त्विक आचरण से चालीसा का प्रभाव तीव्र होता है। यदि समूह में पाठ किया जा रहा हो तो सब एक स्वर में आराम से पाठ करें। अंतिम दोहे के बाद हनुमान जी को मानसिक प्रणाम करें और आरती या प्रसाद अर्पित करना चाहें तो कर सकते हैं। इस प्रकार सही विधि से पढ़ी गई हनुमान चालीसा अवश्य ही भक्त की प्रार्थना को हनुमान जी तक पहुंचाती है।
बजरंग बाली
बजरंग बाली

हनुमान चालीसा पढ़ने के लाभ ✨

हनुमान चालीसा का नियमित स्मरण भक्तों को अनेक प्रकार से लाभ पहुँचाता है – मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक तीनों स्तरों पर सकारात्मक असर देखा जाता है। इसके कुछ प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं:

  • मानसिक लाभ:

  • हनुमान चालीसा का पाठ मानसिक शांति प्रदान करता है। इसके नियमित जप से भय, तनाव और चिंता दूर होती है🙏। चालीसा की चौपाइयों में हनुमान जी के पराक्रम और कृपा का वर्णन सुनकर आत्मविश्वास बढ़ता है। जो लोग रात में डरते हैं या बुरे स्वप्न से पीड़ित हैं, उन्हें सोने से पहले चालीसा पढ़ने से भयमुक्ति मिलती है। “भूत पिशाच निकट नहिं आवै, महावीर जब नाम सुनावै” – अर्थात हनुमानजी का नाम लेते ही भूत-पिशाच जैसे नकारात्मक भय पास नहीं आते। इस प्रकार मन को एक सुरक्षा की भावना मिलती है और साहस का संचार होता है।
  • शारीरिक लाभ:

  • माना जाता है कि चालीसा के प्रभाव से व्यक्ति को शारीरिक बल एवं ऊर्जा प्राप्त होती है💪. हनुमान जी को बल और बुद्धि के देवता कहा जाता है, इसलिए उनका स्तवन करने से आरोग्य में वृद्धि होती है। नियमित पाठ से ध्यान केंद्रित होता है, जिससे रक्तचाप नियंत्रित रहने और हृदय की गति शांत रहने में मदद मिलती है। कई भक्तों का अनुभव है कि कठिन परिस्थितियों या बीमारियों में चालीसा सुनने/पढ़ने से दर्द और पीड़ा सहने की शक्ति बढ़ती है। साथ ही, जब मन तनावमुक्त रहता है तो उसका सकारात्मक प्रभाव शरीर की प्रतिरोधक क्षमता पर भी पड़ता है। अतः चालीसा मानसिक ही नहीं, शारीरिक स्वास्थ्य को भी बेहतर करने में सहयोगी है।
  • आध्यात्मिक लाभ:

  • हनुमान चालीसा व्यक्ति के आध्यात्मिक विकास में अत्यंत सहायक है। इसके नियमित जप से आत्मा पवित्र होती है और भक्ति-भावना गहरी होती है। प्रभु श्रीराम और हनुमान जी की कृपा प्राप्ति का यह सशक्त माध्यम है जिससे पापों का नाश होता है और जीवन में धर्म के प्रति आस्था दृढ़ होती है। चालीसा पढ़ते समय हनुमान जी के गुणों का चिंतन करने से उन्हीं गुणों को अपने जीवन में उतारने की प्रेरणा मिलती है – जैसे विनम्रता, सेवाभाव, बल और संयम। यह कालुषित मन को शुद्ध कर भक्त और ईश्वर के बीच के संबंध को प्रगाढ़ बनाता है। लंबे समय तक निरंतर पाठ करने वालों को कई बार ध्यान की अवस्था में आध्यात्मिक अनुभूतियाँ भी होती हैं, ऐसा अनेक संत बताते हैं।
  • बाधाओं का निवारण:

  • हनुमान चालीसा को संकट मोचक स्तोत्र कहा गया है – अर्थात यह जीवन के संकटों और बाधाओं को दूर करने में सहायक है। जीवन में जब भी कोई कठिन कार्य या समस्या आती है, भक्त श्रद्धापूर्वक चालीसा का पाठ करें तो रास्ते निकल आते हैं। स्वयं चालीसा में कहा गया है “दुर्गम काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते” – आपके अनुग्रह से संसार के सभी कठिन कार्य भी आसान हो जाते हैं✨। अतः नौकरी-पेशे, परीक्षा, व्यवसाय या परिवार संबंधी अड़चनों में भी हनुमान जी की शरण लेने से समाधान मिलने लगते हैं। ऐसा विश्वास है कि चालीसा की शक्ति से अनचाहे भय, मुकदमे या शत्रु-भीति आदि से भी रक्षा होती है।
  • सुख-समृद्धि:

  • जिस घर में नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ होता है, वहाँ सुख, शांति और समृद्धि स्थायी रूप से बनी रहती है🏡। हनुमान जी की कृपा से गृहकलह दूर होते हैं, पारिवारिक सदस्य एक-दूसरे के प्रति प्रेम और सम्मान महसूस करते हैं। आर्थिक परेशानियाँ भी धीरे-धीरे हल होने लगती हैं क्योंकि मेहनत और ईमानदारी से कार्य करने की प्रेरणा मिलती है और नकारात्मक शक्तियाँ धन-सम्पदा में बाधा नहीं बनतीं। विद्यार्थियों के लिए भी यह अत्यंत कल्याणकारी है – इससे स्मरणशक्ति बढ़ती है और एकाग्रता आती है, जो अध्ययन में सफलता दिलाती है। कुल मिलाकर, चालीसा का पाठ मंगलकारी वातावरण बनाता है जहाँ सुख, सफलता और सौहार्द अपने-आप आकर्षित होने लगते हैं।

विशेष तौर पर, हनुमान चालीसा के अंतिम दोहे में कहा गया है: “जो यह पढ़े हनुमान चालीसा, होय सिद्धि साखी गौरीसा”, अर्थात जो कोई भी श्रद्धापूर्वक हनुमान चालीसा का पाठ करेगा, उसे निश्चित रूप से सफलता (सिद्धि) प्राप्त होगी, जिसकी साक्षी स्वयं भगवान शंकर हैं। एक अन्य चौपाई में भी सौ बार पाठ करने पर सभी बंधनों से मुक्त होकर महान सुख मिलने की बात कही गई है – “जो शत बार पाठ कर कोई, छूटहि बंदि महा सुख होई”। इन वचनों से चालीसा पाठ के प्रत्यक्ष लाभों का पता चलता है, जो भक्तों ने युगों से अनुभव किया है।

हनुमान चालीसा से होने वाले दोष निवारण 🔥

ज्योतिष एवं आध्यात्मिक मान्यताओं के अनुसार, हनुमान चालीसा का पाठ कई प्रकार के जीवन-दोषों को दूर करने में सक्षम माना गया है। जीवन में आने वाले अनेकों कष्ट या बाधाएँ अक्सर दोष या अशुभ प्रभावों के कारण होती हैं, और चालीसा इनसे मुक्ति दिलाने में सहायक है:

  • पितृ दोष से मुक्ति:

  • यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष हो, अर्थात उसके पूर्वजों की आत्माएँ अशांत हों या उनके कर्मों का दुष्प्रभाव वंशजों पर आ रहा हो, तो हनुमान चालीसा का नित्य पाठ एक सरल और प्रभावी उपाय माना जाता है। श्रद्धापूर्वक हनुमान जी का स्मरण करने से पूर्वजों को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद परिवार पर बना रहता है। पितृ पक्ष में कई लोग विशेष रूप से हनुमान चालीसा पढ़ते हैं ताकि किसी अनजाने पाप या चूक के लिए क्षमा मिल जाए और परिवार पर से पूर्वजों का असंतोष दूर हो जाए। इस प्रकार चालीसा पितृ दोष जनित बाधाओं – जैसे परिवार में असमय मृत्यु, संतति सम्बन्धी समस्या या उन्नति में रुकावट – को कम करती है।
  • कालसर्प दोष का निवारण:

  • कालसर्प दोष तब कहा जाता है जब कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं, जिससे जीवन में उतार-चढ़ाव और अस्थिरता बनी रहती है। ज्योतिष के कुछ मतों के अनुसार, कालसर्प दोष से ग्रस्त व्यक्ति को निरंतर भय या असफलता महसूस हो सकती है। हनुमान चालीसा का पाठ इस दोष के प्रभावों को कम करने के लिए एक अचूक उपाय माना गया है🔥. प्रतिदिन या हर मंगलवार हनुमान जी के मंदिर जाकर चालीसा पढ़ने से राहु-केतु के कारण उत्पन्न परेशानियाँ शांत होती हैं। क्योंकि हनुमान जी की कृपा से विषैले प्रभाव निष्प्रभावी हो जाते हैं, ठीक वैसे ही जैसे बाल हनुमान ने सूर्य को निगलने दौड़ते राहु को खदेड़ दिया था। अतः जिनकी कुंडली में कालसर्प योग हो, उन्हें भयभीत होने के बजाय श्रद्धा से हनुमान जी की आराधना करनी चाहिए – धीरे-धीरे मार्ग की रुकावटें दूर होती जाएंगी।
  • नज़र दोष (बुरी नज़र) से रक्षा:

  • छोटे बच्चों को या परिवार को लगी बुरी नज़र उतारने में भी हनुमान चालीसा कारगर मानी गई है. जिसके ऊपर किसी की नकारात्मक दृष्टि या ईर्ष्या का प्रभाव हो, वह यदि नियमित चालीसा पढ़े तो उस बुरी नज़र का असर खत्म हो जाता है। “भूत पिशाच निकट नहिं आवै…” केवल भूत-पिशाच ही नहीं, बल्कि किसी की कुदृष्टि, टोना-टोटका या जादू-टोना इत्यादि नकारात्मक शक्तियाँ भी हनुमान जी के नाम से दूर भाग जाती हैं👁️‍🗨️। कई घरों में यदि बार-बार नज़र लगने की घटना हो रही हो – जैसे बच्चों का बीमार पड़ना, व्यापार में हानि – तो परिवार के मुखिया द्वारा संध्या समय हनुमान चालीसा का पाठ करने से वातावरण शुद्ध होता है और ऐसे दोष कट जाते हैं। यह स्तोत्र एक सुरक्षाकवच की तरह कार्य करता है जो ईविल आई या नज़रदोष को ढाल बनकर रोक लेता है।
  • भूत-प्रेत बाधा और नकारात्मक ऊर्जा का नाश:

  • हनुमान जी को महावीर और संकटमोचन कहा जाता है, जिनके नाम से ही नकारात्मक शक्तियाँ कांपती हैं। यदि किसी व्यक्ति को भूत-प्रेत बाधा का अंदेशा हो, डरावने अहसास हों या घर में किसी अदृश्य नकारात्मक ऊर्जा का वास लगे, तो हनुमान चालीसा का नियमित उच्चारण तुरंत राहत देता है👻। मान्यता है कि जहाँ रोज़ चालीसा का पाठ होता है, वहाँ भूत, पिशाच, जिन्न जैसी नकारात्मक आत्माएँ प्रवेश नहीं कर पातीं। कई तांत्रिक क्रियाओं या ऊपरी बाधाओं को भी चालीसा की शक्ति काट देती है। ग्राम्यांचलों में लोग रात में यात्रा करते समय या किसी सुनसान स्थान पर डर लगने पर ऊँचे स्वर में हनुमान चालीसा पढ़ने लगते हैं, जिससे उनका भय खत्म हो जाता है क्योंकि उन्हें विश्वास होता है कि हनुमान जी स्वयं उनकी रक्षा कर रहे हैं। इस प्रकार किसी भी किस्म की बुरी शक्ति या नकारात्मक ऊर्जा का नाश हनुमान चालीसा के सामर्थ्य से हो जाता है।

उपरोक्त दोषों के अतिरिक्त भी यदि जीवन में कोई अचानक संकट या दुर्घटना की आशंका मंडरा रही हो, तो सच्चे मन से हनुमान चालीसा का स्मरण करने से संभावित अनिष्ट टल जाता है। यही कारण है कि इसे हर संकट का उपाय कहा जाता है। अध्यात्म हो या ज्योतिष, सभी क्षेत्रों में हनुमान चालीसा को समस्त दोषों के निवारण में सक्षम माना गया है।

हनुमान
हनुमान

ग्रहों की शांति में हनुमान चालीसा की भूमिका 🌟

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुछ ग्रह अशुभ स्थिति में हों तो मनुष्य के जीवन में कष्ट बढ़ जाते हैं। विशेषकर शनि, मंगल, राहु और केतु को ज्योतिष में पापग्रह या अशुभ प्रभाव वाले ग्रह कहा जाता है, जिनकी शांति के लिए हनुमान जी की आराधना सबसे प्रभावी मानी गई है। हनुमान चालीसा का पाठ इन ग्रहों के दुष्प्रभाव कम करके ग्रहदोष से राहत दिलाता है:

  • शनि की ढैया/साढ़ेसाती में राहत:

  • शनि देव की महादशा या साढ़े-साती के समय अक्सर जीवन में बाधाएँ, आर्थिक नुकसान, मानसिक तनाव और स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ जाती हैं। ज्योतिषियों के अनुसार शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ शनिदेव के कोप से रक्षा करता है🔷।
  • पौराणिक कथा है कि रावण ने शनि देव को बंधक बना लिया था, तब हनुमान जी ने जाकर शनिदेव को मुक्त कराया। शनिदेव ने प्रसन्न होकर वर दिया कि जो भी हनुमान जी की शरण में रहेगा उस पर शनि का दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा।
  • इसलिए जिन जातकों पर शनि की साढ़ेसाती या ढैया चल रही हो, उन्हें प्रत्येक शनिवार को बजरंगबली के मंदिर में सरसों का तेल एवं सिंदूर चढ़ाकर हनुमान चालीसा अवश्य पढ़ना चाहिए। ऐसा करने से शनि जनित बाधाओं में काफी कमी आती है और उस कठिन कालखंड को पार करना आसान हो जाता है। माना जाता है कि शनिदेव स्वयं हनुमान जी के भक्त हैं, अतः उनकी प्रसन्नता के लिए हनुमान चालीसा सर्वश्रेष्ठ उपाय है।
  • मंगल दोष (मांगलिक दोष) की शांति:

  • गर कुंडली में मंगल ग्रह अनिष्ट स्थान में हो तो वैवाहिक जीवन या पारिवारिक सुख में बाधाएँ आती हैं, जिसे आम बोलचाल में मांगलिक दोष कहते हैं। मंगल उग्रता, क्रोध और ऊर्जा का ग्रह है🔴। हनुमान जी मंगलवार के अधिपति देव माने जाते हैं, और वे स्वयं अत्यंत संतुलित व विनम्र स्वरूप हैं। मंगलवार को हनुमान चालीसा का जाप करने से मंगल के उग्र प्रभाव शांत होते हैं।
  • जो लोग मांगलिक हों, उन्हें सलाह दी जाती है कि वे 40 दिनों तक प्रतिदिन हनुमान चालीसा का 11 बार पाठ करें। इससे उनके भीतर धैर्य एवं प्रेम की भावना बढ़ेगी और मंगल ग्रह के कारण होने वाले कलह अथवा देरी के प्रभाव घटेंगे। वास्तव में, हनुमान जी की उपासना मंगल ग्रह के सकारात्मक पहलू – साहस, ऊर्जा, पराक्रम – को तो बढ़ाती है, लेकिन नकारात्मक पहलू – जैसे अति क्रोध या दुर्घटना – को दबा देती है। इस प्रकार वैवाहिक जीवन में सुख और सौहार्द बनाए रखने हेतु हनुमान चालीसा अत्यंत लाभदायक है।
  • राहु-केतु के दोषों का निवारण:

  • राहु और केतु छाया ग्रह हैं जिनके अशुभ प्रभाव से जीवन में अचानक परेशानियाँ, भ्रम, डर या असफलताएँ हाथ लगती हैं। कुंडली में राहु-केतु की दशा अथवा कालसर्प योग के चलते व्यक्ति को निराशा एवं अस्थिरता महसूस हो सकती है🌀। हनुमान चालीसा इन छाया ग्रहों के कोप को शांत करने में रामबाण औषधि है।
  • मान्यता है कि बजरंगबली के पूजन से राहु-केतु प्रसन्न हो जाते हैं क्योंकि हनुमान जी ने बाल्यकाल में ही राहु के द्वारा किए गए सूर्य पर ग्रहण प्रयास को विफल कर दिया था। प्रत्येक मंगलवार सूर्यास्त के बाद हनुमान चालीसा का पाठ करने तथा पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीप जलाने से राहु-केतु जनित भ्रम और बाधाएँ दूर होती हैं🌑🌒. राहु जो भयंकर आकस्मिकता लाता है, वह नियंत्रित हो जाती है, और केतु जो अध्यात्म एवं अलगाव देता है, उसका सकारात्मक पक्ष उभरता है जबकि नकारात्मक असर कम हो जाता है। जिन्हें बार-बार अकस्मात दुर्घटनाओं, अपमान या मानसिक व्याधियों का सामना करना पड़ रहा हो, उन्हें नियमित हनुमान चालीसा पढ़कर राहु-केतु की शांति करनी चाहिए।

सार रूप में, हनुमान चालीसा का पाठ नौ ग्रहों में से विशेषतः इन चार ग्रहों (शनि, मंगल, राहु, केतु) की अशुभता को कम करने का सहज उपाय है। इसके अलावा गुरु, बुध आदि शुभ ग्रहों की कृपा प्राप्त करने हेतु भी हनुमान जी की आराधना सहायक होती है, क्योंकि हनुमान जी की संतुष्टि में समस्त ग्रहों की शांति निहित है। अनेक ज्योतिष शास्त्री अपने अनुभव से बताते हैं कि जिसने भी निष्ठापूर्वक हनुमान चालीसा को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाया, उसकी कुंडली के दुष्प्रभाव स्वतः ही मंद पड़ गए और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आया।

भक्तों के अनुभव और चमत्कारी घटनाएँ ✨

हनुमान चालीसा की महिमा इतनी लोकप्रिय है क्योंकि समय-समय पर भक्तों ने इसके चमत्कारी प्रभाव प्रत्यक्ष अनुभव किए हैं। प्राचीन काल से लेकर वर्तमान युग तक, अनेकों कथाएँ और प्रसंग प्रचलित हैं जहाँ संकट की घड़ी में हनुमान चालीसा ने उद्धार किया। कुछ उल्लेखनीय उदाहरण इस प्रकार हैं:

  • ऐतिहासिक चमत्कार (तुलसीदास जी का प्रसंग):

  • गोस्वामी तुलसीदास जी से संबंधित एक प्रसिद्ध घटना है कि मुगल बादशाह अकबर के दरबार में उनसे चमत्कार दिखाने को कहा गया, मना करने पर उन्हें कैद कर लिया गया। तुलसीदास जी ने कारावास में बैठकर 40 दिनों तक निरंतर हनुमान चालीसा का पाठ किया। कहते हैं कि इस अनुष्ठान के पूरा होते ही बादशाह के किले में सैकड़ों बंदरों ने अचानक धावा बोल दिया🐒 – वे महल की दीवारों पर चढ़ गए, चीजें तोड़ने लगे और दरबारियों को परेशान करने लगे। यह अद्भुत नज़ारा देख बादशाह घबरा गए और समझे कि यह तुलसीदास की भक्ति का चमत्कार है। उन्होंने तुरंत तुलसीदास जी को रिहा कर दिया और बंदर भी शांत हो गए। यह घटना बताती है कि हनुमान जी अपने भक्त की रक्षा हेतु किसी भी रूप में आ सकते हैं। इसी कारण तुलसीदास जी ने लिखा – “संकट से हनुमान छुड़ावै”, यानि संकट से छुड़ाने वाले हनुमान जी हैं।
  • आधुनिक अनुभव:

  • आधुनिक युग में भी असंख्य लोगों ने हनुमान चालीसा से प्रेरक परिणाम देखे हैं। उदाहरण के लिए, अनेक लोग बताते हैं कि रात में सुनसान रास्ते पर डर लगने पर जोर से चालीसा का पाठ करने से उनका भय दूर हो गया और सुरक्षित घर पहुँच गए। कई परिवारों ने यह साझा किया है कि गंभीर बीमारियों के दौरान हर रोज़ अस्पताल में मरीज के पास हनुमान चालीसा बजाने से स्थिति में चमत्कारिक सुधार हुआ। हाल ही में, कोविड-19 महामारी के समय भी बहुत से लोगों ने मानसिक तनाव दूर करने हेतु प्रतिदिन सामूहिक रूप से ऑनलाइन हनुमान चालीसा पाठ किया और उन्हें आश्चर्यजनक रूप से मानसिक बल एवं सकारात्मकता मिली। ऐसा भी अनुभव सुनने को मिलता है कि परीक्षा में असफल हो चुके या जीवन से निराश कुछ व्यक्तियों ने हनुमान चालीसा को जीने का सहारा बनाया और धीरे-धीरे उनके जीवन में उन्नति होने लगी। वास्तव में भक्त जन इसे “चमत्कार” नहीं बल्कि हनुमान जी की कृपा मानते हैं, जो चालीसा के माध्यम से बरसती है।
  • प्रसिद्ध भक्तों की कहानियाँ:

  • कई संतों और महापुरुषों ने हनुमान चालीसा की महत्ता प्रतिपादित की है। महाराष्ट्र के संत समर्थ रामदास ने छत्रपति शिवाजी को राष्ट्र की रक्षा हेतु हनुमान जी की भक्ति करने की प्रेरणा दी और स्वयं भी कठिन समय में चालीसा का आश्रय लिया। 20वीं सदी के महान हनुमान भक्त नीम करोली बाबा के जीवन में तो हनुमान चालीसा और “राम नाम” का जप केंद्रीय था – उनके शिष्यों के अनुसार बाबा के आशीर्वाद और हनुमान चालीसा के पाठ से असाध्य रोग ठीक होते देखे गए।
  • बॉलीवुड के सुपरस्टार अमिताभ बच्चन ने भी एक बार अपने साथ हुई दुर्घटना के बाद स्वास्थ्य लाभ के लिए रोज़ हनुमान चालीसा सुनी और वे इसे चमत्कारिक मानते हैं; उन्होंने बाद में अपनी आवाज़ में हनुमान चालीसा का एल्बम भी रिकॉर्ड किया। ऐसे अनगिनत किस्से हैं जहाँ किसी प्रसिद्ध या सामान्य भक्त ने संकटमोचन को पुकारा और संकट अपने-आप कट गया। इसीलिए हनुमान चालीसा को एक “चमत्कारिक मन्त्र” की ख्याति मिली हुई है। हालाँकि भक्त यह जानते हैं कि चमत्कार से बढ़कर यह उनकी भक्ति का प्रतिफल है – हनुमान जी अपने भक्तों को निराश नहीं करते, बस श्रद्धा अटल रहनी चाहिए।
  • अमेरिका के पूर्व प्रेसीडेंट बराक ओबामा भी हनुमान जी की एक छोटी मूर्ति हमेशा अपने साथ रखते हैं.

इन अनुभवों से हमें शिक्षा मिलती है कि श्रद्धा और विश्वास के साथ हनुमान चालीसा का आश्रय लेने पर कठिन से कठिन परिस्थिति में भी मनोबल बना रहता है और ईश्वरीय सहायता किसी न किसी रूप में प्राप्त होती है। अनगिनत लोगों ने इसे आजमा कर देखा है और हनुमान जी की कृपा के साक्षी बने हैं।

कब, कितनी बार और कौन पढ़ सकता है? ⏳

हनुमान चालीसा एक ऐसा स्तोत्र है जिसे हर कोई पढ़ सकता है – इसमें जाति, लिंग, आयु या स्थिति की कोई बाधा नहीं है। फिर भी लोगों के मन में इससे जुड़े कुछ प्रश्न होते हैं:

  • क्या महिलाएँ हनुमान चालीसा पढ़ सकती हैं?

  • जी हाँ, निस्संदेह! 🙏 इस बारे में कुछ जगह भ्रम है कि हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी हैं इसलिए महिलाएँ उनको नहीं छू सकतीं या उनके मंत्र नहीं पढ़ सकतीं। लेकिन सच यह है कि हनुमान जी सभी भक्तों को समान स्नेह देते हैं, चाहे स्त्री हों या पुरुष। तुलसीदास जी ने स्वयं कहा है “जो यह पढ़े हनुमान चालीसा…” – इसमें कहीं भेद नहीं कि कौन पढ़े।
  • अनेक भगवती महिलाएँ हनुमान जी की परम उपासिका रही हैं। हाँ, कुछ परम्पराओं में महिलाएँ अपने मासिक धर्म के दौरान मंदिर में प्रवेश या पूजा से बचती हैं, तो उस स्थिति में वे मन में या घर पर शांतचित्त होकर पाठ कर सकती हैं। लेकिन कुल मिलाकर, महिलाएँ श्रद्धापूर्वक हनुमान चालीसा पढ़ सकती हैं और पढ़ती आई हैं। हनुमान जी हर “माता स्वरूपा” नारी का आदर करते हैं और उनकी प्रार्थना अवश्य सुनते हैं।
  • संन्यासी, गृहस्थ और विद्यार्थी कौन पढ़ सकता है?

  • संन्यासी तो नित्य अपने जप में हनुमान चालीसा शामिल रखते ही हैं, क्योंकि यह भगवान का स्मरण कराने वाला पाठ है।
  • गृहस्थ जीवन में तो हनुमान चालीसा एक संजीवनी की तरह है – परिवार की खुशहाली, बच्चों की रक्षा, रोज़गार एवं स्वास्थ्य के लिए गृहस्थ इसे नियमित पढ़ सकते हैं। विद्यार्थियों के लिए विशेष रूप से मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ लाभदायक बताया गया है📚। इससे विद्या-बुद्धि बढ़ती है, स्मरण शक्ति प्रखर होती है और परीक्षा का भय नहीं सताता। सच तो यह है कि बच्चा-बच्चा भी इसे कंठस्थ कर ले तो जीवनभर के लिए एक सुरक्षाकवच बन जाता है। अतः किसी भी उम्र या वर्ग का व्यक्ति – बालक, युवा, वृद्ध – हनुमान चालीसा का पाठ कर सकता है। यह मन्त्र सबके लिए समान रूप से फलदायी है।
  • कितनी बार पाठ करना उचित है?

  • हनुमान चालीसा को दिन में एक बार पढ़ना एक सामान्य नियम है, परंतु परिस्थितियों के अनुसार इसे बढ़ाया भी जा सकता है। यदि आप किसी विशेष कार्य के सिद्ध होने की मनोकामना से पाठ कर रहे हैं तो 11 बार या 21 बार का अनुष्ठान कर सकते हैं।
  • कुछ लोग मंगल और शनि को 7-7 बार पढ़ते हैं। अगर बहुत बड़ा संकट है तो 100 या 108 बार पाठ का भी विधान है (चालीसा स्वयं कहती है सौ बार पाठ करने से बंधन कट जाते हैं)। लेकिन इन संख्याओं से ज्यादा ज़रूरी है नियमितता – भले एक बार पढ़ें, पर रोज़ पढ़ें। नियमित पाठ अपने-आप शक्ति संचय करता है। और हाँ, आरंभ करने से पहले मन में संकल्प ले सकते हैं कि आप इतने दिनों तक निरंतर पाठ करेंगे, फिर उसी अनुसार निभाएँ। अगर संकल्प न भी लें, तो भी कोई हानि नहीं – हनुमान जी भक्त की भावना देखते हैं, गिनती नहीं।
  • किन परिस्थितियों में पाठ से बचना चाहिए?

  • हनुमान चालीसा पढ़ना किसी भी समय, किसी भी हालत में कल्याणकारी ही है, फिर भी कुछ बातों का ध्यान रखा जा सकता है। जब मन बिलकुल अशांत हो, क्रोध या आवेश में हों, तो थोड़ा शांत होकर फिर पाठ करें ताकि ध्यान भंग न हो। अत्यधिक शोर-शराबे वाली जगह में संभव हो तो न करें, एकांत या शांत जगह देख लें। अपवित्र जगह (जैसे शौचालय आदि) में पाठ न करें; साफ-सुथरी जगह का ही चयन करें।
  • अगर शरीर अत्यंत थका हो तो लेटकर पढ़ने के बजाय बैठकर पढ़ें ताकि नींद न आए। पारंपरिक मान्यता के अनुसार महावारी के दौरान महिलाएँ पूजा-पाठ कुछ दिन स्थगित रखती हैं, पर यह पूरी तरह व्यक्तिगत श्रद्धा पर निर्भर है – हनुमान जी की भक्ति किसी शारीरिक अवस्था की मोहताज़ नहीं। ध्यान रहे, हनुमान चालीसा सदैव मंगलकारी है, अतः इसे अशुभ समय या कुयोग में पढ़ने में भी कोई दोष नहीं माना गया; उल्टे यह अशुभ को शुभ में परिवर्तित कर देती है।

सार यह है कि हनुमान चालीसा सर्वसुलभ और सार्वजनिन प्रार्थना है। इसे कोई भी, कभी भी पढ़ सकता है। भक्त को सिर्फ श्रद्धा और प्रेम से हनुमान जी का स्मरण करना चाहिए, बाकी हनुमत कृपा अपने आप मार्गदर्शन करेगी। महिलाएँ, पुरुष, सन्यासी, गृहस्थ, बालक – सभी इसके माध्यम से हनुमान जी के निकट पहुँच सकते हैं।

अन्य महत्वपूर्ण पहलू और निष्कर्ष 🏆

हनुमान चालीसा से संबंधित कुछ अन्य रोचक पहलू भी हैं, जिनका उल्लेख करना सार्थक होगा:

  • अन्य पाठ और प्रथाएँ:

  • हनुमान चालीसा के अतिरिक्त बजरंगबाण, हनुमानाष्टक, सुंदरकांड आदि पाठ भी हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए किये जाते हैं। चालीसा सबसे सरल है, लेकिन भक्त अपनी श्रद्धा अनुसार मंगलवार या शनिवार को सुंदरकांड का संपूर्ण पाठ भी करते हैं, जिसमें हनुमान जी के लंका विजय की कथा आती है। कुछ लोग हर मंगलवार हनुमान मंदिर में “संकटमोचन पाठ” (समूह में चालीसा गान) आयोजित करते हैं।
  • जिस दिन हनुमान जयंती या बड़ा मंगल जैसे अवसर हों, उस दिन 108 बार चालीसा पाठ का महत्त्व बताया जाता है। अर्थात अपने सामर्थ्य और समयानुसार भक्त हनुमान जी की आराधना के अन्य तरीक़े भी अपना सकते हैं – कोई फूल-माला चढ़ाता है, कोई “श्री राम जय राम…” का जाप करता है, तो कोई हनुमान चालीसा गाकर सुनता है। सभी का लक्ष्य एक ही है – हनुमान जी की कृपा पाना।
  • हनुमान जी की कृपा कैसे प्राप्त करें:

  • हनुमान जी को प्रसन्न करना जितना आसान है, उतना ही हमारे आचरण पर भी निर्भर है🙏। सिर्फ चालीसा पढ़ लेना पर्याप्त नहीं, हनुमान जी के गुणों को अपने जीवन में धारण करना ही सच्ची भक्ति है। हनुमान जी आज्ञाकारी, विनम्र, परोपकारी और बलशाली भक्त हैं – हम जब विनम्रता, सत्य, सेवा और समर्पण का मार्ग अपनाते हैं तो हनुमान जी अनायास प्रसन्न होते हैं।
  • चालीसा पढ़ते समय मन में श्री राम का स्मरण करें, क्योंकि हनुमान जी को राम नाम से अत्यंत प्रेम है। संभव हो तो मंगलवार को व्रत रखें या जरूरतमंद को दान दें – हनुमान जी को तेल, गुड़-चने का प्रसाद, तुलसी माला अर्पित करें। ये छोटे-छोटे उपाय भक्ति को क्रिया में परिपूर्ण करते हैं, जिससे कृपा बरसती है। सबसे बड़ा मंत्र है निष्काम भक्ति – बिना कोई फल चाहे प्रेम से हनुमान जी का जाप करेंगे तो वह अपने आप सभी फल देंगे।
  • प्रेरणादायक संदेश और निष्कर्ष:

  • अंततः, हनुमान चालीसा सिर्फ शब्दों का संग्रह नहीं बल्कि शक्ति का भंडार है। यह तुलसीदास जी द्वारा हमें दिया आध्यात्मिक खज़ाना है, जो हर स्थिति में मार्गदर्शन करता है। जीवन में कितनी भी निराशा हो, हनुमान चालीसा एक  (आशा) की किरण बनकर अंधकार मिटाती है। इसका प्रत्येक दोहा हमें याद दिलाता है कि हमारे अंदर भी एक विभीषण (भक्त) और रावण (अहंकार) है – यह चालीसा उस रावण रूपी अहंकार का दहन कर हमारे भीतर के भक्त को जागृत करती है। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में कुछ मिनट निकालकर हनुमान जी का स्मरण करना न केवल ईश्वर से जोड़ता है बल्कि व्यक्तित्व को भी निखारता है। यदि आप निराश हैं, तो चालीसा पढ़ें – हिम्मत मिलेगी। यदि सफल हैं, तो चालीसा पढ़ें – विनम्रता बनी रहेगी। कुल मिलाकर, हनुमान चालीसा एक संकटमोचक मंत्र है जो हर दुख हर लेता है और सुख-समृद्धि प्रदान करता है।

अपने अनुभव से लाखों भक्तों ने जाना है कि “भक्ति में शक्ति है” – सच्चे मन से की गई प्रार्थना व्यर्थ नहीं जाती। हनुमान चालीसा उसी सच्ची प्रार्थना का साकार रूप है। तो आइए, हम सभी इसका आदर करें, जीवन में अपनाएँ और आने वाली पीढ़ियों को भी इस अनुपम भक्ति-मंत्र का महत्व बताएँ। विश्वास रखिए, श्री हनुमान जी की कृपा से जीवन की नैया हर तूफ़ान को पार कर जाएगी। जय श्री राम! 🚩 जय हनुमान! 🚩

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