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Toggleबढ़ती गर्मी से बच्चों और बुजुर्गों में होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं: कारण, उपचार और सावधानियां
Heat-Related Health Issues in Children and Elderly –भारत में गर्मी का मौसम हर साल तीव्र होता जा रहा है, जिसका असर बच्चों और बुजुर्गों पर सबसे अधिक पड़ता है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में तापमान ने ऐतिहासिक रिकॉर्ड तोड़े हैं, जिससे हीटवेव की घटनाएं बढ़ी हैं। एक अध्ययन के अनुसार, 1971-2019 के बीच हीटवेव ने भारत में 17,000 से अधिक लोगों की जान ली, जिसमें बच्चे और बुजुर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हुए (मोंगाबे इंडिया)। यह लेख बढ़ती गर्मी से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं, उनके कारणों, उपचार और सावधानियों पर विस्तृत जानकारी देता है। विशेषज्ञों, डॉक्टरों और प्रतिष्ठित स्रोतों के संदर्भ के साथ यह लेख आपको जागरूक और सुरक्षित रहने में मदद करेगा।
गर्मी का मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव: एक नजर
जलवायु परिवर्तन के कारण गर्मी की तीव्रता बढ़ रही है, और इसका सबसे ज्यादा असर कमजोर वर्गों जैसे बच्चों और बुजुर्गों पर पड़ता है। लैंसेट की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में 65 वर्ष से अधिक उम्र के 3.1 बिलियन लोग और एक वर्ष से कम उम्र के 626 मिलियन बच्चे उच्च तापमान से प्रभावित हुए। गर्मी से होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं जैसे हीटस्ट्रोक, निर्जलीकरण और त्वचा की समस्याएं बच्चों और बुजुर्गों में गंभीर हो सकती हैं। आइए, इन समस्याओं को विस्तार से समझें।
बच्चों में गर्मी से होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं
बच्चों का शरीर तापमान को नियंत्रित करने में उतना सक्षम नहीं होता, जिसके कारण वे गर्मी से जल्दी प्रभावित होते हैं। मैक्स हॉस्पिटल के विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चों में गर्मी से होने वाली समस्याएं जानलेवा हो सकती हैं, खासकर अगर समय पर उपचार न किया जाए।
- निर्जलीकरण (Dehydration): गर्मी में पसीने के कारण शरीर से पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी हो जाती है। फेलिक्स हॉस्पिटल के अनुसार, बच्चों में निर्जलीकरण के लक्षणों में गला सूखना, कमजोरी, और चक्कर आना शामिल हैं।
- हीटस्ट्रोक: यह गंभीर स्थिति तब होती है जब शरीर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाता है। MSD मैनुअल के अनुसार, बच्चों में यह गर्म कार में छोड़े जाने से तेजी से हो सकता है।
- त्वचा की समस्याएं: गर्मी में पसीने के कारण घमौरियां और खुजली आम हैं। बीबीसी न्यूज की त्वचा विशेषज्ञ डॉ. दीप्ति राणा के अनुसार, बच्चों की त्वचा पर रूखापन और सनबर्न की समस्या बढ़ जाती है।
- मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: गर्मी बच्चों में चिड़चिड़ापन और नींद की कमी का कारण बन सकती है, जिससे उनकी एकाग्रता प्रभावित होती है (डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू)।
बुजुर्गों में गर्मी से होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं
बुजुर्गों में गर्मी सहने की क्षमता उम्र के साथ कम होती जाती है। मोंगाबे इंडिया के शोधकर्ता चार्ल्स वेइट्ज के अनुसार, मधुमेह और हृदय रोग जैसे रोगों से पीड़ित बुजुर्गों को गर्मी अधिक प्रभावित करती है।
- हीटस्ट्रोक और हाइपरथर्मिया: बुजुर्गों में शरीर का तापमान नियंत्रण कमजोर होता है, जिससे हीटस्ट्रोक का खतरा बढ़ता है। मैक्स हॉस्पिटल के अनुसार, गंभीर हाइपरथर्मिया से अंग विफलता हो सकती है।
- निर्जलीकरण: बुजुर्गों में प्यास की अनुभूति कम होती है, जिससे वे पर्याप्त पानी नहीं पीते। इससे गुर्दे की समस्याएं बढ़ सकती हैं (फेलिक्स हॉस्पिटल)।
- हृदय और श्वसन संबंधी समस्याएं: गर्मी के कारण हृदय पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, गर्मी में श्वसन रोगों की गंभीरता बढ़ सकती है।
- मानसिक स्वास्थ्य: गर्मी बुजुर्गों में अवसाद और चिंता को बढ़ा सकती है। dw.com की रिपोर्ट में कहा गया है कि गर्मी मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डालती है।

गर्मी से स्वास्थ्य समस्याओं के कारण
गर्मी से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के कई कारण हैं, जिनमें पर्यावरणीय और शारीरिक कारक शामिल हैं। मैक्स हॉस्पिटल के विशेषज्ञों ने इन कारणों को विस्तार से समझाया है।
- उच्च तापमान और उमस: गर्मी और उच्च आर्द्रता शरीर के तापमान को नियंत्रित करने की क्षमता को कम करती है। IMD के अनुसार, 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान लू की स्थिति बनाता है।
- अपर्याप्त हाइड्रेशन: पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी निर्जलीकरण का मुख्य कारण है। बच्चों और बुजुर्गों में यह समस्या अधिक गंभीर होती है (फेलिक्स हॉस्पिटल)।
- शारीरिक कमजोरी: बच्चों और बुजुर्गों में तापमान नियंत्रण तंत्र कमजोर होता है, जिससे गर्मी का प्रभाव बढ़ता है (MSD मैनुअल)।
- दवाओं का प्रभाव: कुछ दवाएं, जैसे मूत्रवर्धक, शरीर की गर्मी नियंत्रण क्षमता को प्रभावित करती हैं। MSD मैनुअल के अनुसार, ऐसी दवाएं जोखिम बढ़ाती हैं।
- अनुचित कपड़े: भारी और तंग कपड़े पसीने को वाष्पित होने से रोकते हैं, जिससे शरीर गर्म रहता है (मैक्स हॉस्पिटल)।
गर्मी से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं का उपचार

समय पर उपचार गर्मी से होने वाली समस्याओं को गंभीर होने से रोक सकता है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और विशेषज्ञों ने निम्नलिखित उपचार सुझाए हैं।
निर्जलीकरण का उपचार
- पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स: नियमित रूप से पानी, नींबू पानी, नारियल पानी या ओआरएस का सेवन करें (फेलिक्स हॉस्पिटल)।
- ठंडे स्थान पर आराम: छायादार या वातानुकूलित स्थान पर रहें (NDMA)।
- चिकित्सीय सहायता: गंभीर मामलों में, अस्पताल में IV फ्लूइड्स की आवश्यकता हो सकती है (MSD मैनुअल)।
हीटस्ट्रोक का उपचार
- तत्काल ठंडक: व्यक्ति को ठंडे पानी में डुबोएं या गीले कपड़ों से ढकें। [MSD मैनुअल] आपातकालीन सहायता: तुरंत एंबुलेंस बुलाएं, क्योंकि हीटस्ट्रोक जानलेवा हो सकता है (NDMA)।
- दवाओं से बचें: बुखार की दवाएं जैसे एस्पिरिन इस स्थिति में हानिकारक हो सकती हैं (MSD मैनुअल)।
त्वचा की समस्याओं का उपचार
- मॉइश्चराइजर: त्वचा को रूखेपन से बचाने के लिए मॉइश्चराइजर का उपयोग करें। बीबीसी न्यूज की डॉ. दीप्ति राणा सुझाती हैं कि सुबह चेहरा धोने के बाद इसे लगाएं।
- सनस्क्रीन: बाहर निकलने से पहले SPF 30+ सनस्क्रीन लगाएं (मैक्स हॉस्पिटल)।
- ठंडे स्नान: घमौरियों और खुजली से राहत के लिए ठंडे पानी से स्नान करें (फेलिक्स हॉस्पिटल)।
गर्मी से बचाव के लिए सावधानियां
गर्मी से बचाव के लिए सही सावधानियां अपनाना जरूरी है। NDMA और मैक्स हॉस्पिटल ने निम्नलिखित सुझाव दिए हैं।
- हाइड्रेशन बनाए रखें: दिन में 8-10 गिलास पानी पिएं। बच्चों और बुजुर्गों को नियमित रूप से तरल पदार्थ दें (फेलिक्स हॉस्पिटल)।
- हल्के कपड़े पहनें: सूती और हल्के रंग के कपड़े पहनें जो पसीने को सोखें (मैक्स हॉस्पिटल)।
- धूप से बचें: दोपहर 12 से 4 बजे के बीच बाहर निकलने से बचें। टो लक्षणों पर नजर रखें: चक्कर, मतली या सिरदर्द जैसे लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें (NDMA)।
विशेषज्ञों की राय और हालिया शोध
हालिया शोध गर्मी के बढ़ते प्रभावों को रेखांकित करते हैं। मर्केटर रिसर्च इंस्टीट्यूट के अध्ययन के अनुसार, आने वाले दशकों में तापमान में कमी की संभावना कम है। सिडनी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने बताया कि मंगल ग्रह का गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी को सूर्य की ओर खींचता है, जिससे गर्मी बढ़ रही है।
डॉ. ऋतु सक्सेना, एलएनजेपी अस्पताल, दिल्ली, कहती हैं, “लू से बचने के लिए बाहर निकलने से बचें और बच्चों को स्कूल भेजने से पहले उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करें।” डॉ. अरोड़ा का कहना है कि गर्भवती महिलाओं और बच्चों पर गर्मी का असर अधिक होता है, इसलिए विशेष सावधानी बरतनी चाहिए (मैक्स हॉस्पिटल)।
गर्मी से स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए सरकारी पहल
भारत सरकार और NDMA ने गर्मी से बचाव के लिए कई कदम उठाए हैं। इनमें कूलिंग सेंटर्स की स्थापना, मुफ्त पानी वितरण, और सार्वजनिक परिवहन में मुफ्त एसी की व्यवस्था शामिल है। इसके अलावा, मौसम विभाग नियमित रूप से रेड अलर्ट जारी करता है ताकि लोग सावधान रहें (IMD)।
FAQs: गर्मी से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में सामान्य सवाल
1. गर्मी में बच्चों को सुरक्षित कैसे रखें?
- नियमित रूप से पानी और तरल पदार्थ दें (फेलिक्स हॉस्पिटल)।
- हल्के कपड़े पहनाएं और धूप से बचाएं (मैक्स हॉस्पिटल)।
- लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें (NDMA)।
2. हीटस्ट्रोक के शुरुआती लक्षण क्या हैं?
- चक्कर आना, मतली, सिरदर्द, और तेज पसीना आना (MSD मैनुअल)।
- त्वचा का गर्म और लाल होना (NDMA)।
3. बुजुर्गों में गर्मी से होने वाली समस्याओं को कैसे कम करें?
- ठंडे स्थान पर रखें और नियमित हाइड्रेशन सुनिश्चित करें (फेलिक्स हॉस्पिटल)।
- उनकी दवाओं की जांच करें, क्योंकि कुछ दवाएं जोखिम बढ़ा सकती हैं (MSD मैनुअल)।
4. क्या गर्मी मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है?
हां, गर्मी चिड़चिड़ापन, अवसाद, और नींद की कमी का कारण बन सकती है (डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू)।
Call to Action (CAT)
गर्मी का मौसम चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन सही जानकारी और सावधानियों के साथ आप अपने और अपने परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं। आज ही इन उपायों को अपनाएं:
- अपने घर में पानी और ओआरएस का स्टॉक रखें (फेलिक्स हॉस्पिटल)।
- NDMA की वेबसाइट पर जाकर गर्मी से बचाव के टिप्स पढ़ें।
- अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें और नियमित जांच करवाएं (मैक्स हॉस्पिटल)।
- इस लेख को अपने दोस्तों और परिवार के साथ शेयर करें ताकि वे भी जागरूक रहें।
लेखक के बारे में: दीपक चौधरी
दीपक चौधरी एक अनुभवी प्रोफेशनल कंटेंट राइटर हैं, जिन्हें स्वास्थ्य, जीवनशैली, और पर्यावरण जैसे विषयों पर लेखन का चार वर्षों का अनुभव है। उन्होंने कई प्रतिष्ठित प्रकाशनों के लिए लेख लिखे हैं और हमेशा विश्वसनीय स्रोतों पर आधारित जानकारी प्रदान करने पर ध्यान देते हैं। दीपक का मानना है कि जागरूकता और सही जानकारी के माध्यम से समाज को स्वस्थ और सुरक्षित बनाया जा सकता है।
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दीपक चौधरी एक अनुभवी संपादक हैं, जिन्हें पत्रकारिता में चार वर्षों का अनुभव है। वे राजनीतिक घटनाओं के विश्लेषण में विशेष दक्षता रखते हैं। उनकी लेखनी गहरी अंतर्दृष्टि और तथ्यों पर आधारित होती है, जिससे वे पाठकों को सूचित और जागरूक करते हैं।