जस्टिस यशवंत वर्मा के घर 15 करोड़ मिलने पर SC ने ट्रांसफर किया! इलाहाबाद बार बोला- हम कूड़ेदान नहीं!

जस्टिस यशवंत वर्मा

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जज के घर 15 करोड़ मिलने के दावे पर मचा बवाल: इलाहाबाद वापसी पर बार एसोसिएशन ने जताई नाराजगी, कहा- हम कूड़ेदान नहीं

नई दिल्ली/इलाहाबाद।
दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से कथित तौर पर 15 करोड़ रुपये नकद मिलने के बाद देश की न्यायपालिका में भूचाल आ गया है। इस घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने तत्काल कदम उठाते हुए उनका ट्रांसफर इलाहाबाद हाईकोर्ट कर दिया। लेकिन इससे पहले कि वह इलाहाबाद पहुंचते, वहां के वकीलों ने इस फैसले का जोरदार विरोध शुरू कर दिया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन का विरोध

इलाहाबाद हाईकोर्ट के बार एसोसिएशन ने जस्टिस यशवंत वर्मा के इलाहाबाद हाईकोर्ट में तबादले का कड़ा विरोध किया है। इस विरोध का मुख्य कारण जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास से 15 करोड़ रुपये की नकदी बरामद होना है। बार एसोसिएशन ने यह कहा है कि “हम कोई कूड़ादान नहीं हैं,” और उन्होंने मांग की है कि जब तक उनके खिलाफ चल रही जांच पूरी नहीं होती, तब तक उन्हें न्यायिक कार्य से अलग रखा जाए.

विरोध के कारण

  • भ्रष्टाचार के आरोप: बार एसोसिएशन का कहना है कि यदि ऐसे न्यायाधीशों को इलाहाबाद हाईकोर्ट में भेजा जाएगा जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं, तो इससे जनता का न्याय प्रणाली पर विश्वास कम होगा। उन्होंने इसे न्यायपालिका की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर गंभीर संकट बताया.

  • न्यायिक जवाबदेही: एसोसिएशन ने स्पष्ट किया है कि उनका रुख न्यायपालिका के खिलाफ नहीं, बल्कि अधिवक्ताओं की गरिमा और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए है। उन्होंने उच्च न्यायपालिका में जवाबदेही की व्यापक व्यवस्था की आवश्यकता पर भी जोर दिया.

  • आंतरिक जांच की मांग: बार एसोसिएशन ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ पारदर्शी जांच की मांग की है और चेतावनी दी है कि यदि समय रहते कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो वे लोकतांत्रिक तरीकों से विरोध जताने के लिए बाध्य होंगे, जिसमें बहिष्कार और प्रतीकात्मक विरोध शामिल हो सकते हैं.

एसोसिएशन ने इस मुद्दे पर 24 मार्च को एक जनरल हाउस की बैठक भी बुलाई है, जिसमें इस मामले पर कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना को पत्र लिखकर विरोध दर्ज कराया है। पत्र में लिखा गया है, “इलाहाबाद कोई कूड़े का डब्बा नहीं है, जहां आप भ्रष्टाचार से जुड़े लोगों को भेज दें।” एसोसिएशन ने स्पष्ट किया कि भ्रष्टाचार किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है और न्यायपालिका की गरिमा को बनाए रखना हर हाल में जरूरी है।

जस्टिस यशवंत वर्मा के घर 15 करोड़ मिलने का आरोप
जस्टिस यशवंत वर्मा के घर 15 करोड़ मिलने का आरोप

क्या जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ कोई जांच चल रही है

हाँ, जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ जांच चल रही है। सुप्रीम कोर्ट ने उनके सरकारी आवास से भारी मात्रा में नकदी बरामद होने के बाद जांच प्रक्रिया शुरू की है। इस मामले में सबसे पहले दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से रिपोर्ट मांगी जा रही है, जो इस प्रकार की जांच की सामान्य प्रक्रिया है.

जांच का कारण यह है कि जब उनके आवास में आग लगी थी, तब फायर ब्रिगेड की टीम को वहां पर बड़ी मात्रा में नकदी मिली थी। इस घटना के बाद, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट में वापस भेजने का निर्णय लिया है, और इसके साथ ही उनके खिलाफ आंतरिक जांच की भी चर्चा हो रही है.

कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यदि आरोप गंभीर पाए जाते हैं, तो जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया भी शुरू की जा सकती है.

क्या है पूरा मामला?

दिल्ली हाईकोर्ट में दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश के पद पर तैनात जस्टिस यशवंत वर्मा के आधिकारिक आवास से कथित तौर पर लगभग 15 करोड़ रुपये नकद मिलने की सूचना सामने आई। इस जानकारी के बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने एक आपात बैठक कर तत्काल प्रभाव से उनका ट्रांसफर इलाहाबाद हाईकोर्ट करने का निर्णय लिया।

इस फैसले की अगुवाई स्वयं चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने की। बताया जा रहा है कि तबादले की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, हालांकि इलाहाबाद में वकीलों के विरोध के चलते मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है।

दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई से रहे गैरहाजिर

जस्टिस जस्टिस वर्मा ने मामले के उजागर होने के बाद अपनी अदालत की कार्यवाही से दूरी बना ली। वे शुक्रवार को कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए, जिसकी जानकारी उनके कोर्ट मास्टर ने दी। इस पर दिल्ली हाईकोर्ट के कई वकीलों ने नाराजगी जाहिर की और न्यायपालिका की जवाबदेही पर सवाल उठाए।

संसद में भी उठा मुद्दा, सभापति धनखड़ की प्रतिक्रिया

इस मुद्दे की गूंज संसद में भी सुनाई दी। राज्यसभा में कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने न्यायिक जवाबदेही का मुद्दा उठाते हुए सभापति जगदीप धनखड़ से प्रतिक्रिया मांगी। इस पर सभापति ने कहा कि वे इस विषय पर एक व्यवस्थित चर्चा का रास्ता निकालेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि न्यायपालिका में पारदर्शिता और जवाबदेही बनी रहे।

धनखड़ ने यह भी जोड़ा, “अगर यही घटना किसी राजनेता या नौकरशाह के साथ होती, तो वह तुरंत निशाने पर आ जाता। न्यायपालिका को भी जवाबदेह प्रणाली की आवश्यकता है।”

क्या होगा अगला कदम? इस्तीफे या महाभियोग की अटकलें

सूत्रों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम के कुछ सदस्य चाहते थे कि सिर्फ ट्रांसफर नहीं, बल्कि जस्टिस वर्मा से इस्तीफा भी मांगा जाए। अगर वे इस्तीफा देने से इनकार करते हैं तो उनके खिलाफ आंतरिक जांच की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।

राज्यसभा में भी महाभियोग की प्रक्रिया को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। सभापति धनखड़ ने बताया कि उन्हें इस विषय पर 55 सांसदों का प्रतिनिधित्व मिला है। उन्होंने सत्यापन की प्रक्रिया शुरू कर दी है और यदि 50 से अधिक सांसद समर्थन में होते हैं, तो वह संविधान के अनुसार आगे बढ़ेंगे।


      Highlight 

  • जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास से 15 करोड़ की नकदी मिलने का दावा
  • इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने ट्रांसफर का विरोध किया
  • सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने दिल्ली से इलाहाबाद तबादला किया
  • संसद में भी उठा न्यायिक जवाबदेही का मुद्दा
  • महाभियोग की प्रक्रिया पर राज्यसभा सभापति का बयान
  • न्यायपालिका की पारदर्शिता पर फिर छिड़ी बहस

निष्कर्ष:

यह मामला केवल एक जज के ट्रांसफर का नहीं, बल्कि भारतीय न्यायपालिका की साख और जवाबदेही से जुड़े गहरे सवाल खड़ा करता है। ऐसे समय में जब देश भ्रष्टाचार मुक्त शासन की ओर देख रहा है, न्यायपालिका से उम्मीदें और जिम्मेदारियां और भी बढ़ जाती हैं।


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