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Toggleडोनाल्ड ट्रम्प के बयान और कदम: क्या है,भारत पर दबाव बनाने की रणनीति?
क्या डोनाल्ड ट्रंप भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं – हाल के हफ्तों में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के खिलाफ कई बयान दिए हैं और कुछ कदम भी उठाए हैं, जिन्हें भारत के खिलाफ रणनीतिक दबाव के रूप में देखा जा रहा है। ट्रंप के इन बयानों को विश्लेषक पीएम नरेंद्र मोदी पर दबाव बनाने की कोशिश के रूप में देख रहे हैं। वजह साफ है — प्रधानमंत्री मोदी भारत के हितों के साथ कोई समझौता नहीं कर रहे।
आइए इन घटनाओं को विस्तार से समझते हैं और इनकी पृष्ठभूमि व प्रभावों का विश्लेषण करते हैं।

हालिया भारत-विरोधी बयान और कदम
डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी चुनावी रैलियों और मीडिया इंटरव्यू में भारत के प्रति सख्त रुख अपनाया है:
- व्यापार और टैरिफ: द हिंदू (अप्रैल 2024) की रिपोर्ट के अनुसार ट्रंप ने कहा, “भारत सबसे कठिन व्यापार वार्ताकारों में से एक है। वे हमें कुछ नहीं देते। हमारे उत्पादों पर टैक्स लगाते हैं और हम पर हँसते हैं।”
- वीज़ा नीति: ट्रंप ने H-1B वीज़ा को फिर से सख्त करने के संकेत दिए हैं, जिससे सबसे अधिक प्रभावित भारतीय पेशेवर होते हैं। फॉक्स न्यूज़ को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा, “हमें सुनिश्चित करना चाहिए कि अमेरिकी नौकरियां अमेरिकियों को ही मिलें।”
- रक्षा समझौते: ब्लूमबर्ग के अनुसार ट्रंप ने कहा, “हम उन्हें सबसे बेहतरीन हथियार देते हैं, लेकिन हमें क्या मिलता है? बहुत कम।”
- कश्मीर पर बयान: ट्रंप ने फिर से कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की बात छेड़ी, जिसे भारत पहले ही खारिज कर चुका है।
ऑपरेशन सिंदूर पर दावा: ट्रम्प ने यह भी दावा किया कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को ‘ट्रेड टॉक्स’ के जरिए कम किया। उन्होंने कहा, “हमने व्यापार के जरिए दोनों देशों को बातचीत की मेज पर लाया। पाकिस्तान बहुत खुश था, भारत भी खुश था।”
ऐपल के भारत में उत्पादन पर आपत्ति: ट्रम्प ने हाल ही में ऐप्पल के सीईओ टिम कुक को चेतावनी दी कि अगर अमेरिका में बिकने वाले iPhones भारत या किसी अन्य देश में बने तो उन पर 25% का टैरिफ लगेगा। ट्रम्प ने साफ कहा, “मैंने टिम कुक को पहले ही बता दिया है कि मुझे उम्मीद है कि iPhones अमेरिका में ही बनेंगे, न कि भारत या कहीं और। अगर ऐसा नहीं हुआ तो कम से कम 25% टैरिफ देना पड़ेगा।”।
पीएम मोदी की नीतियाँ: भारत पहले, हमेशा
लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को एक मजबूत, आत्मनिर्भर और वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। उनकी नीतियाँ भारत के हितों को सर्वोपरि रखती हैं, जिसका प्रभाव वैश्विक मंच पर स्पष्ट दिखाई देता है।
आत्मनिर्भर भारत: पीएम मोदी ने “मेक इन इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” जैसी पहलों के माध्यम से भारत को वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग और निवेश का केंद्र बनाने की दिशा में काम किया है।
सामरिक स्वायत्तता: भारत ने क्वॉड और इंडो-पैसिफिक रणनीति में भाग लिया, लेकिन साथ ही रूस और चीन के साथ संबंधों को संतुलित रखा।
आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख: पीएम मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया और पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया कि “टेरर और ट्रेड एक साथ नहीं चल सकते।”

ट्रंप की रणनीति क्यों बदली?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप के इस बदलाव के पीछे कई वजहें हैं:
- भारत की सशक्त विदेश नीति: पीएम मोदी ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत अपने हितों पर कोई समझौता नहीं करेगा।
- रणनीतिक स्वायत्तता: भारत रूस जैसे देशों के साथ अपने संबंध बनाए रखे हुए है, चाहे पश्चिम कुछ भी कहे। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार मोदी ने कहा, “भारत के फैसले राष्ट्रीय हितों से प्रेरित होते हैं।”
- आर्थिक आत्मनिर्भरता: ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत भारत आयात पर निर्भरता घटा रहा है, जिससे अमेरिकी व्यावसायिक हितों को चुनौती मिल सकती है।
पीएम मोदी: एक नेता जो सिर्फ भारत के बारे में सोचते हैं
प्रधानमंत्री मोदी की नीतियां भारत के हितों को सर्वोपरि रखती हैं:
- संप्रभुता पर अडिग रुख: सीमा विवाद हो या घरेलू कानून, मोदी सरकार अडिग रही है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं: भारत ने चीन और पाकिस्तान जैसे देशों को स्पष्ट जवाब दिए हैं।
- प्रगतिशील सुधार: डिजिटल इंडिया से लेकर रक्षा आधुनिकीकरण तक, कई ठोस कदम उठाए गए हैं।
- वैश्विक मंचों पर भारत की भूमिका: G20, BRICS और Global South जैसे मंचों पर भारत ने सशक्त नेतृत्व किया है।
इंडिया टुडे के अनुसार, पीएम के करीबी अधिकारी ने कहा, “मोदीजी राष्ट्रीय हितों के साथ राजनीति नहीं करते। ये अडिग है।”

ट्रंप क्यों हो रहे हैं परेशान?
ट्रंप अपनी सौदेबाज़ी की शैली के लिए जाने जाते हैं, लेकिन मोदी सरकार के सामने उनकी चालें बेअसर साबित हो रही हैं:
- पहले की सरकारों से अलग रुख: मोदी सरकार आसानी से झुकती नहीं।
इसे इस बात से भी बाल मिलता है कि खुद ट्रम्प भी 14 फरवरी 2025को वाशिंगटन, डीसी में एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कह चुके है , “वह (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) मुझसे कहीं ज्यादा टफ नेगोशिएटर हैं और मुझसे कहीं बेहतर नेगोशिएटर हैं। इसमें कोई प्रतिस्पर्धा ही नहीं है।” यह बयान तब आया जब एक पत्रकार ने पूछा कि टैरिफ डील में कौन बेहतर नेगोशिएटर है।
- व्यापार घाटे की गलतफहमी: इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार 2023 में भारत-अमेरिका व्यापार $191 बिलियन के पार पहुंचा, जिसमें संतुलन बना हुआ है।
- रक्षा सौदे: भारत सिर्फ खरीदार नहीं बल्कि रणनीतिक साझेदार है। फिर भी ट्रंप अधिक “रिटर्न” की अपेक्षा कर रहे हैं। आज का भारत किसी भी देश हित पर किसी दूसरे देश के दबाव में नहीं आता है खासकर हथियारों के खरीद के मामले में अगर आपको याद हो तो रस से s400 खरीदने के समय भी भारत पर काफी दबाव था लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी ने इसे नहीं माना यह दबाव राफेल के समय में था।
- अभी जब रूस के साथ में लड़ाकू विमान Su-57 पर चर्चा हुई है। ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान को F-16 सहायता देकर भारत पर दबाव बनाने की कोशिश की, लेकिन भारत ने रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखी। मोदी की दृढ़ नीति ने भारत को रक्षा और कूटनीति में आत्मनिर्भर बनाया। नरेंद्र मोदी ने किस देश के दबाव को नहीं माना यह भी कारण है कि ट्रंप पाकिस्तान को मदद करके भारत पर दबाव बनाना चाहते हैं.
‘मेक इन इंडिया’ और आत्मनिर्भर भारत
मोदी सरकार ने ‘मेक इन इंडिया’ जैसी योजनाओं के जरिए भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं6। इससे भारत की वैश्विक साख बढ़ी है और विदेशी निवेश में भी इजाफा हुआ है।‘नेबरहुड फर्स्ट’ और ‘एक्ट ईस्ट’ नीति
मोदी सरकार ने पड़ोसी देशों के साथ रिश्ते सुधारने, दक्षिण-पूर्व एशिया और पूर्वी एशिया में भारत की भूमिका मजबूत करने पर जोर दिया है5।स्वतंत्र विदेश नीति
मोदी सरकार किसी भी देश के दबाव में नहीं आती। चाहे चीन हो या अमेरिका, भारत अपनी नीति और हितों के अनुसार ही फैसले लेता है56।
वैश्विक शक्तियां और एक मजबूत भारत
एक आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी भारत कुछ देशों को रास नहीं आ रहा:
- पुरानी व्यवस्था को चुनौती: भारत अब अपनी शर्तों पर वार्ता करता है।
- भारत-रूस संबंध: भारत ने पश्चिमी दबावों के बावजूद रूस से संबंध बनाए रखे हैं।
- मध्य पूर्व में संतुलित नीति: भारत ने वेस्ट एशिया में भी संतुलित दृष्टिकोण अपनाया है।
फॉरेन पॉलिसी मैगज़ीन के अनुसार, “भारत की क्षमता कि वह वॉशिंगटन और बीजिंग दोनों से आंख मिलाकर बात कर सके, उसे 21वीं सदी की अनोखी शक्ति बनाती है।”
ट्रम्प की रणनीति: दबाव बनाना या डील पक्की करना?
1. व्यापारिक दबाव
ट्रम्प की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के तहत वे हर देश से ‘रीसिप्रोकल’ (पारस्परिक) व्यापार चाहते हैं। भारत के साथ भी वे इसी रणनीति पर चल रहे हैं। ट्रम्प की नजर में भारत एक बड़ा बाजार है, जहां अमेरिकी सामान को ज्यादा पहुंच चाहिए। इसके लिए वे टैरिफ और व्यापार समझौतों को ‘लीवरेज’ की तरह इस्तेमाल करते हैं23।
2. राजनीतिक दबाव
ट्रम्प ने भारत-पाकिस्तान तनाव के समय भी खुद को ‘मध्यस्थ’ के रूप में पेश किया और दावा किया कि उन्होंने व्यापार के जरिए दोनों देशों के बीच शांति स्थापित की2। यह बयान भारत की विदेश नीति के लिए चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि भारत हमेशा से द्विपक्षीय मुद्दों में किसी तीसरे पक्ष की भूमिका को नकारता रहा है।
3. मोदी सरकार पर सीधा दबाव
ट्रम्प जानते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी भारत के हितों से समझौता नहीं करते। इसलिए वे बार-बार ऐसे बयान देते हैं या नीतिगत फैसले लेते हैं जिनसे भारत पर दबाव बने और वह अमेरिकी शर्तों को मानने के लिए मजबूर हो जाए। उदाहरण के लिए, iPhones पर टैरिफ की धमकी ‘मेक इन इंडिया’ को सीधी चुनौती है13।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप की हालिया टिप्पणियां एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा हो सकती हैं। भारत को दबाव में लाकर अपनी शर्तों पर वार्ता करना उनका मकसद हो सकता है। लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत आज इतना सशक्त है कि कोई भी देश उसे आँख दिखा कर अपनी बात मनवा नहीं सकता।
- पीएम मोदी स्पष्ट दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
- उनके निर्णय पूरी तरह भारत के हित में होते हैं।
- एक मजबूत भारत, जो अपनी शर्तों पर आगे बढ़ता है, सभी को रास नहीं आएगा, लेकिन वह अब पीछे नहीं हटेगा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्र. डोनाल्ड ट्रंप अब भारत विरोधी बयान क्यों दे रहे हैं?
उ. भारत की सशक्त विदेश नीति और मोदी सरकार की स्पष्टता को देखकर ट्रंप दबाव बनाने की रणनीति अपना रहे हैं।
प्र. भारत ने ट्रंप के बयानों पर कोई प्रतिक्रिया दी है?
उ. अभी तक भारत सरकार ने संयमित रुख अपनाया है और औपचारिक स्तर पर संबंधों को मज़बूत करने पर ध्यान दिया है।
प्र. पीएम मोदी अंतरराष्ट्रीय दबाव को कैसे संभालते हैं?
उ. वे किसी भी मुद्दे पर भारत के हित से समझौता नहीं करते और संतुलित कूटनीति अपनाते हैं।
प्र. क्या इससे भारत-अमेरिका संबंध प्रभावित होंगे?
उ. संस्थागत स्तर पर संबंध मज़बूत हैं, लेकिन नेतृत्व के अनुसार कुछ अस्थाई उतार-चढ़ाव हो सकते हैं।
प्र. क्या भारत वैश्विक स्तर पर सशक्त हो रहा है?
उ. हां, पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत वैश्विक मंचों पर एक मज़बूत और स्पष्ट आवाज़ बनकर उभरा है।
दीपक चौधरी एक प्रतिभाशाली लेखक हैं, जिनके पास चार दशकों का समृद्ध लेखन अनुभव है। उन्होंने विभिन्न विधाओं में लेख, कहानियाँ और निबंध लिखे, जो सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक मुद्दों पर गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी सरल, प्रभावशाली और विचारोत्तेजक है। दीपक ने कई पत्र-पत्रिकाओं में योगदान दिया और उनकी रचनाएँ पाठकों को प्रेरित करती हैं। वे साहित्य के क्षेत्र में एक सम्मानित नाम हैं।
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दीपक चौधरी एक अनुभवी संपादक हैं, जिन्हें पत्रकारिता में चार वर्षों का अनुभव है। वे राजनीतिक घटनाओं के विश्लेषण में विशेष दक्षता रखते हैं। उनकी लेखनी गहरी अंतर्दृष्टि और तथ्यों पर आधारित होती है, जिससे वे पाठकों को सूचित और जागरूक करते हैं।