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Toggleमहाकुंभ में भगदड़: संगम घाट पर हड़कंप, कई श्रद्धालु हताहत, प्रशासन अलर्ट

प्रयागराज, 29 जनवरी 2025: महाकुंभ 2025 के दौरान मौनी अमावस्या स्नान के अवसर पर संगम तट पर अचानक भगदड़ मच गई। इस हादसे में 14 श्रद्धालुओं की मौत की खबर सामने आई है, जबकि कई अन्य घायल हो गए हैं। हालांकि, प्रशासन ने अभी तक आधिकारिक रूप से मृतकों की पुष्टि नहीं की है। मौके पर बचाव कार्य जारी है और 40 से अधिक एंबुलेंस घायलों को अस्पताल पहुंचाने में लगी हैं।

कैसे मची भगदड़?
सुबह से ही संगम तट पर भारी भीड़ उमड़ रही थी। रिपोर्ट के अनुसार, त्रिवेणी संगम पर स्नान के लिए पहुंचे लाखों श्रद्धालुओं के बीच अचानक धक्का-मुक्की शुरू हो गई, जिससे भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, घटना का मुख्य कारण भीड़ में बेचैनी और अफवाहें थीं। स्नान घाट पर कुछ महिलाएं बेहोश होकर गिर पड़ीं, जिसके बाद अफवाह फैल गई कि घाट पर कोई दुर्घटना हो गई है। इस खबर से श्रद्धालु घबरा गए और बेतहाशा भागने लगे, जिससे भगदड़ मच गई।

श्रद्धालुओं की भारी भीड़ से स्थिति बेकाबू
- रिपोर्ट्स के अनुसार, इस वर्ष महाकुंभ में अब तक 10 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पहुंचे हैं।
- मौनी अमावस्या पर इस संख्या में भारी इजाफा हुआ, जिससे प्रशासन की तैयारियों पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
- भीड़ में कई श्रद्धालु कुचल गए, जिससे मौके पर चीख-पुकार मच गई।
- संगम घाट पर प्रवेश और निकास मार्गों पर भारी भीड़ के कारण एंबुलेंस को मरीजों तक पहुंचने में दिक्कत हो रही है।

बचाव कार्य तेज, प्रशासन अलर्ट
घटना के बाद स्थानीय प्रशासन, पुलिस और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) तुरंत हरकत में आ गए। मेले के सेंट्रल अस्पताल में घायलों का इलाज किया जा रहा है। कई श्रद्धालु अपने परिवार से बिछड़ गए हैं, जिससे मेले में हड़कंप मचा हुआ है।
प्रमुख प्रशासनिक कार्रवाई:
- उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हालात का जायजा लिया और प्रशासन को तत्काल राहत कार्य तेज करने के निर्देश दिए।
- मौके पर दो दर्जन से अधिक एंबुलेंस तैनात कर दी गई हैं।
- श्रद्धालुओं से अपील की जा रही है कि वे संगम नोज पर जाने से बचें और किसी अन्य घाट पर स्नान करके लौट जाएं।
अखाड़ा परिषद का बड़ा फैसला
इस घटना के बाद अखाड़ा परिषद ने मौनी अमावस्या के अमृत (शाही) स्नान में भाग न लेने का निर्णय लिया है। परिषद के अनुसार, इस भगदड़ से संत समाज में भी आक्रोश है और वे प्रशासन की तैयारियों से संतुष्ट नहीं हैं।

प्रत्यक्षदर्शियों का क्या कहना है?
कर्नाटक से आईं श्रद्धालु सरोजिनी ने बताया कि वे 60 लोगों के समूह के साथ आई थीं। भीड़ इतनी ज्यादा थी कि धक्का-मुक्की शुरू हो गई और उनका पूरा समूह फंस गया। उन्होंने कहा, “हम भागने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन लोग एक-दूसरे के ऊपर गिर रहे थे। स्थिति बहुत भयानक थी।”
वहीं, उत्तराखंड से आए श्रद्धालु रमेश कुमार ने बताया कि प्रशासनिक व्यवस्था अपर्याप्त थी। “इतनी भीड़ में भी पुलिस और सुरक्षा कर्मी नजर नहीं आ रहे थे। लोगों को खुद रास्ता बनाना पड़ा।”

क्या प्रशासन की चूक से हुआ हादसा?
सरकार ने पहले ही महाकुंभ में भीड़ नियंत्रण के लिए कड़े नियम लागू किए थे।
- नो-व्हीकल जोन,
- सीसीटीवी कैमरे,
- ड्रोन निगरानी,
- सेक्टर-वार प्रतिबंध लगाए गए थे।
लेकिन, श्रद्धालुओं की अत्यधिक संख्या और सुरक्षा इंतजामों में कमी की वजह से यह घटना हो गई।
विशेषज्ञों के अनुसार,
- संगम तट पर एक साथ इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को प्रवेश नहीं देना चाहिए था।
- प्रवेश और निकास मार्गों को और व्यवस्थित करने की जरूरत थी।
- अफवाहों पर नियंत्रण के लिए बेहतर संचार प्रणाली होनी चाहिए थी।

मौनी अमावस्या का धार्मिक महत्व
मौनी अमावस्या को हिंदू धर्म में पवित्रतम दिनों में से एक माना जाता है। इस दिन संगम में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति और आत्मशुद्धि मानी जाती है।
जगतगुरु साईं मां लक्ष्मी देवी के अनुसार, “इस दिन मौन व्रत रखना, ध्यान करना और गंगा स्नान करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।”
अब आगे क्या? प्रशासन की तैयारी कैसी?
प्रशासन ने अब भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल और NDRF की टीमें तैनात कर दी हैं।
- ड्रोन से निगरानी बढ़ाई जा रही है।
- श्रद्धालुओं से अपील की जा रही है कि वे धैर्य बनाए रखें और भगदड़ से बचने के लिए प्रशासन के निर्देशों का पालन करें।
- संभावित नए स्नान तिथियों के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बढ़ाने की योजना बनाई जा रही है।

निष्कर्ष
महाकुंभ में इस तरह की भगदड़ पहली बार नहीं हुई है। पहले भी 1954, 2013 और 2019 में ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं। प्रशासन और श्रद्धालुओं को अब इससे सीख लेनी होगी।
➡ भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए टेक्नोलॉजी का अधिकतम उपयोग जरूरी है।
➡ भीड़ नियंत्रण में प्रशासन को और सतर्कता बरतनी होगी।
➡ श्रद्धालुओं को भी संयम बनाए रखना चाहिए और अफवाहों से बचना चाहिए।
🙏 आप क्या सोचते हैं? क्या प्रशासन की तैयारियों में कमी थी? हमें अपने विचार बताएं।
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दीपक चौधरी एक अनुभवी संपादक हैं, जिन्हें पत्रकारिता में चार वर्षों का अनुभव है। वे राजनीतिक घटनाओं के विश्लेषण में विशेष दक्षता रखते हैं। उनकी लेखनी गहरी अंतर्दृष्टि और तथ्यों पर आधारित होती है, जिससे वे पाठकों को सूचित और जागरूक करते हैं।