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Toggleनागपुर में औरंगजेब की कब्र को लेकर विवाद: पूरा घटनाक्रम, राजनीतिक बयानबाजी और प्रशासनिक प्रतिक्रिया
नागपुर में औरंगजेब की कब्र को लेकर विवाद में हुई हिंसा के पीछे कई मुख्य कारण थे, जो इस घटना को भड़काने में सहायक बने। यहाँ पर उन कारणों का संक्षेप में वर्णन किया गया है:
1. औरंगजेब की कब्र के खिलाफ प्रदर्शन
नागपुर में औरंगजेब की कब्र को लेकर विवाद में हिंसा की शुरुआत उस समय हुई जब कुछ दक्षिणपंथी संगठनों, जैसे विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल, ने औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग करते हुए प्रदर्शन किया। इन संगठनों ने यह दावा किया कि औरंगजेब एक क्रूर शासक था और उसकी कब्र का स्थान भारतीय संस्कृति में नहीं होना चाहिए। प्रदर्शन के दौरान, एक पुतले को आग के हवाले किया गया, जिससे स्थिति और बिगड़ गई13.
2. धार्मिक पुस्तक के अपमान की अफवाह
प्रदर्शन के दौरान यह अफवाह फैली कि एक पवित्र पुस्तक को जलाया गया है। इस अफवाह ने समुदायों के बीच तनाव बढ़ा दिया। जैसे ही यह खबर फैली, मुस्लिम समुदाय के लोग इकट्ठा होने लगे और विरोध प्रदर्शन करने लगे। इस दौरान, कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए, जिससे स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई14.
3. पूर्व-निर्धारित साजिश का आरोप
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हिंसा को “पूर्व-निर्धारित साजिश” करार दिया। उन्होंने कहा कि हिंसा में शामिल कुछ तत्वों ने पहले से ही योजना बनाई थी और CCTV कैमरों को तोड़कर अपनी गतिविधियों को छिपाने का प्रयास किया। यह आरोप लगाया गया कि हिंसा केवल एक प्रतिक्रिया नहीं थी, बल्कि इसे योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया था35.
4. सांप्रदायिक तनाव और राजनीतिक लाभ
राजनीतिक नेताओं ने भी इस हिंसा को अपने-अपने तरीके से भुनाने का प्रयास किया। कुछ नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार जानबूझकर हिंदू-मुस्लिम तनाव को बढ़ावा दे रही है ताकि राजनीतिक लाभ हासिल किया जा सके। इस संदर्भ में, विपक्षी दलों ने सरकार की नीतियों की आलोचना की और कहा कि यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह ऐसी स्थितियों को नियंत्रित करे46.
5. पुलिस की प्रतिक्रिया
जैसे ही स्थिति बिगड़ी, पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज और आंसू गैस का प्रयोग किया। इसके बावजूद, स्थिति तेजी से बिगड़ती गई और कई वाहनों को आग लगा दी गई। इस हिंसा में लगभग 30 पुलिसकर्मी घायल हुए और कई नागरिक भी प्रभावित हुए13.
17 मार्च 2025 को महाराष्ट्र के नागपुर शहर में मुगल सम्राट औरंगजेब की कब्र को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया। इस मुद्दे को लेकर हिंदूवादी संगठनों और मुस्लिम समुदाय के बीच भारी तनाव पैदा हुआ, जिसके परिणामस्वरूप शहर में हिंसा, पथराव और आगजनी जैसी घटनाएँ देखने को मिलीं।
यह विवाद सिर्फ धार्मिक नहीं बल्कि राजनीतिक रूप भी ले चुका है, जहाँ विभिन्न दलों ने इस पर अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दी है। आइए, इस पूरे विवाद को विस्तार से समझते हैं।

विवाद की पृष्ठभूमि: औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग क्यों?
औरंगजेब की कब्र महाराष्ट्र के औरंगाबाद (अब छत्रपति संभाजीनगर) जिले के खुल्दाबाद क्षेत्र में स्थित है। यह स्थान ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है क्योंकि यहाँ कई मुगल शासकों की कब्रें हैं। हाल के वर्षों में, कई हिंदूवादी संगठनों ने यह मांग उठाई कि औरंगजेब की कब्र को हटाया जाए, क्योंकि वह एक ‘हिंदू विरोधी’ शासक था जिसने भारत में मंदिरों को तोड़ा और हिंदुओं पर जजिया कर लगाया था।
विशेष रूप से, विश्व हिंदू परिषद (VHP), बजरंग दल, और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) जैसे संगठन इस मांग को लगातार उठाते रहे हैं। इन संगठनों का कहना है कि औरंगजेब एक विदेशी आक्रांता था और उसकी कब्र को बनाए रखना भारत की संस्कृति और गौरव के खिलाफ है।
VHP के प्रवक्ता का बयान था:
“हम किसी भी स्थिति में औरंगजेब जैसे अत्याचारी की कब्र को महाराष्ट्र की धरती पर बर्दाश्त नहीं करेंगे। अगर सरकार इसे नहीं हटाएगी, तो हम खुद इसे हटा देंगे।”

नागपुर में विरोध प्रदर्शन और हिंसा की शुरुआत
17 मार्च 2025 को नागपुर के महाल गांधी गेट इलाके में VHP और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने औरंगजेब का पुतला जलाकर प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन के दौरान उन्होंने नारे लगाए और औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग दोहराई। हालाँकि, शुरुआत में यह प्रदर्शन शांतिपूर्ण था, लेकिन दोपहर होते-होते स्थिति तनावपूर्ण हो गई।
कैसे भड़की हिंसा?
- प्रदर्शन के दौरान यह अफवाह फैली कि कुछ हिंदूवादी कार्यकर्ताओं ने मुस्लिम धार्मिक ग्रंथों का अपमान किया है।
- इसके जवाब में, स्थानीय मुस्लिम समुदाय के लोग सड़कों पर उतर आए और विरोध करने लगे।
- कुछ ही समय में दोनों गुटों के बीच झड़प शुरू हो गई, और देखते ही देखते स्थिति हिंसक हो गई।
- कई जगहों पर पथराव, आगजनी, और तोड़फोड़ की घटनाएँ हुईं।
- पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़कर भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश की।
नुकसान और घायलों की संख्या
- पुलिस के मुताबिक, अब तक 30 से अधिक लोग घायल हुए हैं, जिनमें 10 पुलिसकर्मी भी शामिल हैं।
- लगभग 25 गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया।
- शहर में 30 से अधिक दुकानों में तोड़फोड़ की गई।
एक स्थानीय दुकानदार ने कहा:
“हमारी दुकानें तोड़ दी गईं, गाड़ियाँ जला दी गईं। यह हिंसा बहुत खतरनाक थी। हम डर के मारे अपने घरों में कैद हो गए थे।”
प्रशासन की कड़ी कार्रवाई: कर्फ्यू और गिरफ्तारियाँ
जब स्थिति नियंत्रण से बाहर जाने लगी, तब प्रशासन ने नागपुर के कई संवेदनशील इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया। पुलिस ने हिंसा भड़काने के आरोप में 50 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया।
पुलिस की रणनीति:
- अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया।
- ड्रोन कैमरों से स्थिति की निगरानी की जा रही है।
- सोशल मीडिया पर फर्जी खबरें फैलाने वालों पर सख्त कार्रवाई की जा रही है।
नागपुर के पुलिस कमिश्नर अमित देशमुख ने कहा:
“हम हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे। नागपुर में शांति बनाए रखना हमारी प्राथमिकता है।”
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (भाजपा)
“महाराष्ट्र में इस तरह की हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हम सभी नागरिकों से शांति बनाए रखने की अपील करते हैं।”
शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट)
“औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग एक राजनीतिक स्टंट है। शिवाजी महाराज ने भी अपने दुश्मनों को दफनाने का सम्मान दिया था।”
कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार
“बजरंग दल और VHP सिर्फ महाराष्ट्र की शांति भंग करना चाहते हैं। यह मुद्दा सिर्फ चुनावी लाभ के लिए उठाया गया है।”
सामाजिक प्रभाव और जनता की राय
यह विवाद सिर्फ राजनीति और हिंसा तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका महाराष्ट्र के सामाजिक ताने-बाने पर भी असर पड़ रहा है।
स्थानीय नागरिकों की राय:
- हिंदू संगठनों का समर्थन:
- कुछ लोगों का कहना है कि “औरंगजेब की कब्र को हटाना हिंदू संस्कृति की रक्षा के लिए जरूरी है।”
- मुस्लिम समुदाय की चिंता:
- मुस्लिम समुदाय को डर है कि इस मुद्दे को सांप्रदायिक हिंसा भड़काने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
इतिहासकारों की राय:
इतिहासकार प्रो. रामनाथ शर्मा के अनुसार,
“इतिहास से छेड़छाड़ करना खतरनाक है। औरंगजेब एक विवादित शासक था, लेकिन कब्र हटाने से इतिहास नहीं बदलेगा।”
निष्कर्ष: क्या होगा आगे?
नागपुर में औरंगजेब की कब्र को लेकर जारी विवाद का जल्द हल निकलने के आसार कम दिख रहे हैं।
- यह मुद्दा आने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में बड़ा मुद्दा बन सकता है।
- पुलिस और प्रशासन को सख्त कदम उठाने होंगे, ताकि आगे कोई सांप्रदायिक हिंसा न हो।
- सरकार को दोनों समुदायों के बीच संवाद बढ़ाने पर जोर देना होगा, जिससे स्थिति को सामान्य किया जा सके।
यह घटना दिखाती है कि इतिहास और राजनीति के मेल से कैसे सामाजिक तनाव उत्पन्न हो सकता है। अब देखने वाली बात यह होगी कि आने वाले दिनों में महाराष्ट्र सरकार और प्रशासन इस विवाद को कैसे सुलझाते हैं।
Hafiz Saeed ढेर, भारत का एक और दुश्मन खल्लास? अब बस एक सवाल… अगला कौन?”** 🔥🚀

दीपक चौधरी एक अनुभवी संपादक हैं, जिन्हें पत्रकारिता में चार वर्षों का अनुभव है। वे राजनीतिक घटनाओं के विश्लेषण में विशेष दक्षता रखते हैं। उनकी लेखनी गहरी अंतर्दृष्टि और तथ्यों पर आधारित होती है, जिससे वे पाठकों को सूचित और जागरूक करते हैं।