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ToggleNagpur Violence की बड़ी साजिश का पर्दाफाश: 2000 लोगों की भीड़ से निकले 600 उपद्रवी, CCTV फुटेज में सामने आए अहम सुराग. लेखक: Dinsight News डेस्क | अपडेट: 21 मार्च 2025
नागपुर | 21 मार्च 2025
Nagpur Violence में हुई हिंसा की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। जांच एजेंसियों को अब तक जो जानकारी मिली है, उससे स्पष्ट हो गया है कि यह कोई आकस्मिक घटना नहीं थी, बल्कि सुनियोजित साजिश के तहत इसे अंजाम दिया गया। हंसापुरी इलाके में स्थित एक मस्जिद में करीब 2000 लोगों की भीड़ जमा हुई थी, जिन्हें बाद में 500-600 के समूह में बांटकर शहर के अलग-अलग हिस्सों में भेजा गया। वहां इन समूहों ने पत्थरबाजी, आगजनी और पुलिस पर हमले जैसे हिंसक कृत्य किए।
क्या है पूरा मामला?
17 मार्च की रात को नागपुर के हंसापुरी इलाके में स्थित मस्जिद में बड़ी संख्या में लोगों का जमावड़ा हुआ। पुलिस जांच के मुताबिक, इसी बैठक में हिंसा की योजना बनाई गई थी। इसके बाद 500 से ज्यादा लोग बाइक और दूसरे वाहनों से नागपुर के विभिन्न संवेदनशील इलाकों में पहुंचे।
- पुलिस के पास उपलब्ध CCTV फुटेज में साफ दिखा भीड़ का मूवमेंट
- बाइक पर सवार लोग मुंह ढंके हुए थे, ताकि उनकी पहचान न हो सके
- फुटेज में कुछ नंबर प्लेट भी कैद हुए हैं, जिससे पुलिस को आरोपियों की पहचान में मदद मिल रही है
मास्टरमाइंड के तौर पर उभरे फहीम खान
इस पूरी हिंसा के पीछे स्थानीय माइनॉरिटी डेमोक्रेटिक पार्टी (MDP) के नागपुर जिला अध्यक्ष फहीम शमीम खान का नाम सामने आया है। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है और उसके खिलाफ राजद्रोह की धारा के तहत मामला दर्ज किया गया है।
- फहीम खान पर आरोप है कि उसने भीड़ को उकसाया
- हिंसा से पहले मस्जिद में बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें वह मौजूद था
- फहीम ने फोन कॉल्स और मैसेज के जरिए भीड़ को एकजुट किया
सैयद आसिम अली से जुड़ा कनेक्शन
जांच में यह भी सामने आया है कि फहीम खान का संपर्क सैयद आसिम अली से था, जो कमलेश तिवारी हत्याकांड में आरोपी रह चुका है। सैयद अली को औरंगजेब का कट्टर समर्थक बताया जा रहा है और वह पहले भी कई भड़काऊ बयान दे चुका है।
- अली को 2024 में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी
- वह पहले यूट्यूब चैनल के जरिए विवादित कंटेंट डालता था
- नागपुर के झिंगाबाई टाकली इलाके में रहता है और एमडीपी का पदाधिकारी है
Nagpur Violence में ट्रोल आर्मी का बड़ा रोल: बांग्लादेश लिंक, देशद्रोह के आरोप और सोशल मीडिया की आग से भड़की हिंसा
महाराष्ट्र के नागपुर शहर में 17 मार्च की रात भड़की हिंसा के मामले में अब तक की जांच में बेहद चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। पुलिस और साइबर क्राइम विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, इस हिंसा को भड़काने में करीब 250 लोगों की ‘ट्रोल आर्मी’ ने बड़ी भूमिका निभाई है। सोशल मीडिया पर सैकड़ों फर्जी पोस्ट, भड़काऊ वीडियो और अफवाहों के जरिए नागपुर के संवेदनशील इलाकों में तनाव का माहौल बनाया गया, जो अंततः हिंसा में बदल गया।
हिंसा के पीछे ‘कश्मीर और बांग्लादेश पैटर्न’
जांच एजेंसियों का मानना है कि नागपुर में पत्थरबाजी और दंगे कश्मीर में इस्तेमाल होने वाले पैटर्न पर आधारित थे। पुलिस को इस हिंसा का कनेक्शन बांग्लादेश के सोशल मीडिया अकाउंट्स से भी मिला है।
- महाराष्ट्र साइबर सेल को फेसबुक पर एक भड़काऊ पोस्ट मिली
- यह पोस्ट बांग्लादेश से ऑपरेट हो रहे एक अकाउंट से की गई थी
- पोस्ट में लिखा था: “अब घर में घुसेंगे”, और आगे और बड़े दंगे की धमकी दी गई थी
🔍 हिंसा की आग में झुलसा नागपुर: घटना की पृष्ठभूमि
हिंसा की शुरुआत नागपुर के महाल, हंसापुरी और मोमिनपुरा जैसे इलाकों से हुई। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस घटना के पीछे एक अफवाह ने बड़ी भूमिका निभाई कि कुछ दक्षिणपंथी युवकों ने कुरान की आयत लिखी एक चादर को जला दिया है। इसी खबर के बाद सोशल मीडिया पर 140 से अधिक भड़काऊ पोस्ट वायरल हुईं, जिसने मुस्लिम समुदाय के एक वर्ग को उग्र कर दिया।
🧠 ‘ट्रोल आर्मी’ का नेटवर्क और बांग्लादेश कनेक्शन
महाराष्ट्र साइबर विभाग और नागपुर साइबर पुलिस स्टेशन ने संयुक्त रूप से जांच करते हुए बताया कि इस हिंसा को भड़काने के पीछे 250 लोगों का एक संगठित ट्रोल नेटवर्क सक्रिय था।
- इस नेटवर्क के माध्यम से फेसबुक, टेलीग्राम, व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम पर अफवाहें फैलाई गईं।
- साइबर टीम को एक विशेष फेसबुक अकाउंट मिला, जो बांग्लादेश से ऑपरेट हो रहा था और उसमें साफ तौर पर लिखा था:
“नागपुर की हिंसा तो बस ट्रेलर है, असली दंगे अभी बाकी हैं… अब घर में घुसेंगे“
- इस अकाउंट से आगे और हिंसा के लिए उकसाया गया, जो देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा माना जा रहा है।

📱 सोशल मीडिया पर फैली आग
पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक, हिंसा से एक दिन पहले और घटना के दिन कुल 140 से ज्यादा भड़काऊ पोस्ट साइबर पुलिस द्वारा ट्रैक की गईं। इनमें:
- धार्मिक भावनाएं भड़काने वाले मैसेज
- फर्जी वीडियो और पुराने क्लिप्स को एडिट कर के फैलाना
- हिंदू-मुस्लिम समुदायों के बीच तनाव पैदा करने वाले कमेंट्स

🧾 दर्ज हुए गंभीर धाराओं में केस
नागपुर पुलिस ने अब तक चार एफआईआर दर्ज की हैं, जिनमें से कई में भारतीय दंड संहिता की धारा 124A (देशद्रोह) भी लगाई गई है।
इसके अतिरिक्त:
- धारा 153A (धर्म के आधार पर वैमनस्य फैलाना)
- धारा 295A (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना)
- और आईटी एक्ट की कई धाराएं भी जोड़ी गई हैं।
👮 पुलिस की कार्रवाई और कर्फ्यू में ढील
मामले की गंभीरता को देखते हुए नागपुर के कई हिस्सों में कर्फ्यू लगा दिया गया था, लेकिन अब हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं और आंशिक रूप से कर्फ्यू में ढील दी गई है।
- नागपुर पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने बताया कि,
“हमने ट्रोल नेटवर्क की पहचान कर ली है और 30 से अधिक सोशल मीडिया अकाउंट्स को ब्लॉक कराया गया है। कई संदिग्धों से पूछताछ की जा रही है।“
- वहीं महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा में कहा:
“पुलिस पर हमला किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं होगा, जो दोषी है उसे कब्र से निकाल कर भी सजा दी जाएगी।“
🧑🤝🧑 समाज और नेताओं की प्रतिक्रिया
घटना के बाद मुस्लिम समुदाय के वरिष्ठ नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर हिंसा की निंदा की और निष्पक्ष जांच की मांग की।
- डॉ. मोहम्मद औवेस हसन ने कहा:
“मुस्लिम समुदाय को लगातार उकसाने की कोशिश की जा रही है, हमें संयम रखना होगा।“
- प्यारे खान, राज्य अल्पसंख्यक आयोग प्रमुख ने मांग की कि रमजान को देखते हुए मोमिनपुरा जैसे क्षेत्रों में कर्फ्यू में छूट दी जाए, ताकि व्यापारियों और स्थानीय लोगों को राहत मिले।
🏥 घायल पुलिसकर्मियों और नागरिकों का इलाज जारी
हिंसा में अब तक 35 पुलिसकर्मी और दर्जनों नागरिक घायल हुए हैं, जिनमें से कई को सिर और आंखों में गंभीर चोटें आई हैं। मेडिकल कॉलेज और सरकारी अस्पताल में इनका इलाज चल रहा है।
नागपुर की इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सोशल मीडिया अब दंगों का हथियार बन चुका है। बांग्लादेश जैसे विदेशी लिंक और ट्रोल आर्मी के माध्यम से भारत के अंदर सांप्रदायिक तनाव पैदा करना, एक नई किस्म की साइबर वॉर की शुरुआत है। अब पुलिस, महाराष्ट्र ATS और संभवतः NIA भी इस मामले की जांच में शामिल हो सकती है।
Sources:
हिंसा से पहले कैसे उकसाया गया समुदाय?
डॉ. मोहम्मद औवेस हसन सहित मुस्लिम समुदाय के नेताओं ने दावा किया कि दक्षिणपंथी संगठनों ने इस्लामी आयत लिखी चादर को जलाया, जिसके बाद समुदाय में नाराजगी फैली और प्रतिक्रिया स्वरूप लोग हिंसक हो गए। उन्होंने प्रशासन से निष्पक्ष जांच और शांति बहाली के लिए दोनों समुदायों से संवाद की मांग की है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और अल्पसंख्यक आयोग की मांग
महाराष्ट्र राज्य अल्पसंख्यक आयोग के प्रमुख प्यारे खान ने रमजान के मद्देनजर मोमिनपुरा जैसे इलाकों में कर्फ्यू में ढील देने की मांग की है। उनका कहना है कि व्यापार प्रभावित हो रहा है और निर्दोषों के खिलाफ कोई कार्रवाई न हो।
- प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा गया कि कुछ निर्दोष लोगों को गिरफ्तार किया गया है
- मुख्यमंत्री फडणवीस से दोनों समुदायों के प्रतिनिधियों से बात करने की मांग
फडणवीस की सख्त चेतावनी
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा में कहा कि “हर अपराध माफ किया जा सकता है लेकिन पुलिस पर हमला नहीं। जरूरत पड़ी तो कब्र से निकालकर भी आरोपियों पर कार्रवाई करेंगे।”
- नागपुर में 35 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं
- एक महिला पुलिस अधिकारी से छेड़छाड़ का भी आरोप है
- अब तक चार एफआईआर में देशद्रोह की धाराएं लगाई गई हैं
फहीम का मालेगांव कनेक्शन
बताया जा रहा है कि फहीम खान कुछ महीने पहले मालेगांव भी गया था, जहां उसने अपनी पार्टी MDP का एक कार्यालय खोला। सोशल मीडिया पर इसकी तस्वीर भी वायरल हुई है।
ट्रोल आर्मी की भूमिका
इस हिंसा के पीछे 250 लोगों की एक ‘ट्रोल आर्मी’ का भी हाथ बताया जा रहा है। यह आर्मी सोशल मीडिया के जरिए भड़काऊ कंटेंट फैलाकर माहौल को गरमाने में सक्रिय थी।
- साइबर पुलिस ने कई अकाउंट्स की पहचान की है
- ये अकाउंट्स लगातार उकसाने वाले और झूठे दावे फैला रहे थे
- फेसबुक, व्हाट्सएप और टेलीग्राम पर इनका नेटवर्क सक्रिय था
निष्कर्ष: जांच जारी, एनआईए की एंट्री संभव
पुलिस ने संकेत दिए हैं कि इस पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए अब एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) भी जांच में शामिल हो सकती है। फहीम खान और सैयद आसिम अली के नेटवर्क को खंगाला जा रहा है और आने वाले दिनों में और गिरफ्तारी हो सकती है।
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दीपक चौधरी एक अनुभवी संपादक हैं, जिन्हें पत्रकारिता में चार वर्षों का अनुभव है। वे राजनीतिक घटनाओं के विश्लेषण में विशेष दक्षता रखते हैं। उनकी लेखनी गहरी अंतर्दृष्टि और तथ्यों पर आधारित होती है, जिससे वे पाठकों को सूचित और जागरूक करते हैं।