Table of Contents
ToggleNews Update: Evening news brief
📉 Sensex Closing Bell: शुरुआती बढ़त गंवाकर बाजार फिसला

📊 सेंसेक्स 873 अंक गिरा, निफ्टी 24,700 के नीचे
News Update: 20 मई 2025 को घरेलू शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली। मंगलवार को बीएसई सेंसेक्स 872.98 अंक यानी 1.06% गिरकर 81,186.44 पर बंद हुआ, जबकि एनएसई निफ्टी 261.55 अंक की गिरावट के साथ 24,683.90 पर बंद हुआ। यह लगातार तीसरा दिन रहा जब बाजार लाल निशान में बंद हुआ।
🌐 वैश्विक संकेत और रुपये पर दबाव
डॉलर के मुकाबले रुपया भी 21 पैसे गिरकर 85.63 पर बंद हुआ। अमेरिकी क्रेडिट रेटिंग में मूडीज द्वारा की गई कटौती ने वैश्विक बाजारों में भी अस्थिरता बढ़ाई। हालांकि एशियाई बाजारों जैसे हांगकांग, टोक्यो और ऑस्ट्रेलिया के इंडेक्स में सकारात्मक रुझान देखने को मिला।
ISI की सोशल मीडिया साजिश: ज्योति मल्होत्रा के जरिए भारत में गहरी घुसपैठ

ज्योति मल्होत्रा केस: भारत के खिलाफ सोशल मीडिया जासूसी प्लान
हरियाणा के हिसार से गिरफ्तार यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा का मामला सिर्फ एक जासूसी केस नहीं, बल्कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI की एक नई साजिश का संकेत है। ‘ट्रैवल विद जो’ नाम से यूट्यूब चैनल चलाने वाली ज्योति के 3.2 लाख सब्सक्राइबर और 13.4 लाख इंस्टाग्राम फॉलोअर्स हैं। पुलिस जांच में सामने आया है कि वह पाकिस्तानी खुफिया एजेंटों के सीधे संपर्क में थी और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स की भर्ती में मदद कर रही थी।
ISI का नया तरीका: इन्फ्लुएंसर जासूस बनेंगे
ISI ने ज्योति को हनीट्रैप नहीं बनाया, बल्कि उसे एक माध्यम के तौर पर इस्तेमाल किया। सोशल मीडिया पर ज्योति जैसे प्रभावशाली लोगों को जोड़कर ISI भारत में गलत सूचनाएं फैलाने, जनमत प्रभावित करने और सुरक्षा एजेंसियों की जानकारी लीक करने के लिए एक नेटवर्क बना रही थी।
WhatsApp, Telegram, Snapchat का दुरुपयोग
ज्योति मल्होत्रा ने WhatsApp, Telegram और Snapchat जैसे ऐप्स के जरिए पाकिस्तान को संवेदनशील जानकारी दी। उसके पाकिस्तान एजेंट से निजी संबंध थे और वह बाली तक यात्रा कर चुकी थी।
ISI की डिजिटल जासूसी: बढ़ती चिंता
ओडिशा, यूपी और पंजाब तक फैले इस जासूसी नेटवर्क में और इन्फ्लुएंसर्स के शामिल होने की आशंका है। इससे पहले भी 125 महिला प्रोफाइल्स हनीट्रैप के शक में जांच के घेरे में आ चुकी हैं। सोशल मीडिया अब ISI का नया हथियार बन चुका है।
वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई: कपिल सिब्बल की जोरदार दलीलें

वक्फ अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता पर सवाल
News Update: सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई जारी है। इस दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, और राजीव धवन जैसे प्रमुख वकीलों ने केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठाए। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार का पक्ष रखा।
पंजीकरण और धार्मिक अधिकारों पर बहस
कपिल सिब्बल ने दलील दी कि वक्फ बाय यूजर के लिए पहले पंजीकरण आवश्यक नहीं था। अब नए अधिनियम के तहत पंजीकरण न होने पर वक्फ की प्रकृति ही खत्म हो जाती है। उन्होंने इसे अनुच्छेद 14, 25 और 26 का उल्लंघन बताया, क्योंकि इससे मुस्लिम समुदाय के धार्मिक अधिकार और संपत्ति पर नियंत्रण समाप्त हो जाता है। उन्होंने कहा कि 200 साल पुराने वक्फ का विवरण देना व्यावहारिक नहीं है।
वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिम बहुमत का मुद्दा
सिब्बल ने आरोप लगाया कि केंद्रीय वक्फ परिषद में अब बहुसंख्यक सदस्य गैर-मुस्लिम हैं, जो वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण के प्रयास की ओर इशारा करता है। उनका कहना था कि किसी भी हिंदू, सिख या ईसाई ट्रस्ट में ऐसा उदाहरण नहीं मिलता जहाँ अन्य धर्मों के लोगों को निर्णय लेने का अधिकार हो।
अधिग्रहण और प्रार्थना के अधिकार पर प्रभाव
सीजेआई ने सवाल किया कि क्या अधिनियम से प्रार्थना पर रोक लगती है? इस पर सिब्बल ने जवाब दिया कि जैसे ही वक्फ संपत्ति सरकारी घोषित हो जाती है, उस पर वक्फ अधिकार समाप्त हो जाता है। ऐसे में धार्मिक आस्थाओं पर प्रतिकूल असर पड़ता है।
संसद में पारित प्रक्रिया पर भी सवाल
सिब्बल ने कहा कि धारा 3(D) और (E) को मतदान से ठीक पहले जोड़ दिया गया, बिना किसी चर्चा या जेपीसी समीक्षा के। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया की अनदेखी बताया। कोर्ट ने इस बिंदु को रिकॉर्ड पर लिया।
पश्चिम बंगाल में पैसेंजर ट्रेन में आग: हड़कंप और फायर ब्रिगेड की त्वरित कार्रवाई
ट्रेन में आग से मचा हड़कंप
पश्चिम बंगाल में एक पैसेंजर ट्रेन में अचानक आग लगने से यात्रियों में अफरा-तफरी मच गई। यह घटना स्थानीय समयानुसार सुबह के दौरान हुई, जब ट्रेन एक प्रमुख रेलवे स्टेशन के पास थी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आग ने तेजी से एक डिब्बे को अपनी चपेट में लिया, जिससे धुआं और घबराहट फैल गई। पैसेंजर ट्रेन में आग की खबर ने स्थानीय प्रशासन को तुरंत हरकत में ला दिया। यात्रियों को सुरक्षित निकालने के लिए रेलवे कर्मचारियों ने त्वरित कार्रवाई की।
फायर ब्रिगेड ने पाया काबू
फायर ब्रिगेड की टीमें मौके पर पहुंचीं और घंटों की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। प्रारंभिक जांच में शॉर्ट सर्किट को आग का कारण माना जा रहा है, हालांकि विस्तृत जांच जारी है। इस घटना में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है, लेकिन रेल सेवाएं कुछ समय के लिए प्रभावित हुईं। पश्चिम बंगाल रेलवे सुरक्षा और रखरखाव पर सवाल उठ रहे हैं।
भारत–पाकिस्तान संघर्ष में चीन की असली जीत: कैसे हुआ ड्रैगन को फायदा?
भारत–पाकिस्तान की लड़ाई बनी चीनी हथियारों का विज्ञापन
6 मई से शुरू हुए भारत-पाकिस्तान के सैन्य संघर्ष में भले ही दोनों देश सीधे युद्ध में उलझे रहे, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में असली फायदा चीन को होता दिखा। पाकिस्तान द्वारा चीनी जेट फाइटर J-10 और JF-17 का इस्तेमाल किए जाने से चीन के हथियार उद्योग को अप्रत्याशित बढ़त मिली है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह चीन के रक्षा उद्योग के लिए एक “डीपसीक मोमेंट“ बन गया है — बिना लड़ाई में शामिल हुए ही चीन ने अपने हथियारों की ताकत दुनिया को दिखा दी।
चीन को मिला वैश्विक ध्यान और संभावित खरीदार
भारत ने इस संघर्ष में फ्रांसीसी और रूसी जेट्स का इस्तेमाल किया, वहीं पाकिस्तान ने चीनी जेट्स को तैनात किया। इसके चलते बीजिंग की चेंगदू एयरक्राफ्ट इंडस्ट्री के शेयरों में तेज़ी देखी गई। विश्लेषक मानते हैं कि इस सैन्य प्रदर्शन से चीन को हथियारों के नए खरीदार मिल सकते हैं — खासकर वे देश जो अब तक अमेरिका या यूरोपीय देशों पर निर्भर थे।
हथियार निर्यात में चीन की बढ़ती हिस्सेदारी
इस संघर्ष के बाद, चीन अपने हथियारों की विश्वसनीयता और लागत-प्रभाविता को बेचने के नए अवसरों की ओर देख रहा है। जहां अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा हथियार निर्यातक बना हुआ है, वहीं चीन अब तेजी से अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है, खासकर एशिया और अफ्रीका के बाजारों में।
निष्कर्ष: सैन्य संघर्ष से रणनीतिक मुनाफा
इस पूरे घटनाक्रम में भारत और पाकिस्तान की सैन्य कार्रवाइयों ने भले ही राजनीतिक विवाद खड़े किए हों, लेकिन चीन को बिना लड़े रणनीतिक और आर्थिक लाभ जरूर मिला।
अक्षय कुमार ने परेश रावल पर 25 करोड़ का मुकदमा ठोका
‘हेरा फेरी 3’ की शूटिंग के दौरान विवाद बढ़ा, कानूनी कार्रवाई की ओर बढ़े निर्माता
‘हेरा फेरी 3′ की शूटिंग के बीच परेश रावल ने छोड़ी फिल्म
‘हेरा फेरी 3‘ को लेकर लंबे समय से दर्शकों में उत्सुकता बनी हुई है। इस कॉमेडी फ्रेंचाइज़ी के तीसरे भाग की शूटिंग अप्रैल 2025 में शुरू हुई थी, जिसमें अक्षय कुमार, सुनील शेट्टी और परेश रावल मुख्य भूमिकाओं में थे। लेकिन अब खबरें आ रही हैं कि परेश रावल ने शूटिंग के बीच में ही फिल्म को छोड़ दिया है।
अक्षय कुमार ने भेजा 25 करोड़ का कानूनी नोटिस
अक्षय कुमार, जो फिल्म के निर्माता भी हैं, ने अपने प्रोडक्शन हाउस Cape of Good Films के जरिए परेश रावल को ₹25 करोड़ रुपये का कानूनी नोटिस भेजा है। नोटिस में आरोप है कि परेश ने गैर-पेशेवर रवैया अपनाते हुए शूटिंग को बीच में छोड़ा और इससे प्रोडक्शन हाउस को भारी नुकसान हुआ।
परेश रावल का रवैया बताया गया गैर–जिम्मेदाराना
सूत्रों के मुताबिक, परेश रावल ने पहले ‘क्रिएटिव कारणों’ का हवाला देते हुए फिल्म से बाहर होने की बात कही थी। लेकिन अब सामने आया है कि उन्हें फिल्म के लिए सामान्य फीस से तीन गुना अधिक भुगतान किया जा रहा था। फिर भी उन्होंने फिल्म से किनारा कर लिया।
‘हेरा फेरी’ फ्रेंचाइज़ी के फैंस में नाराजगी
परेश रावल की इस हरकत से ‘बाबू भईया’ के चाहने वाले नाराज़ हैं। उन्होंने खुद जनवरी में अपने X (Twitter) हैंडल पर फिल्म की घोषणा की थी और एक दिन की शूटिंग भी कर ली थी।
बॉलीवुड में बदलेगा प्रोफेशनलिज्म का तरीका?
कानूनी सूत्रों का कहना है कि अब वक्त आ गया है कि बॉलीवुड एक्टर्स को हॉलीवुड की तरह प्रोफेशनल अनुशासन समझना चाहिए। बार-बार प्रोजेक्ट छोड़ने की आदत को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
निष्कर्ष
‘हेरा फेरी 3’ विवाद अब सिर्फ फिल्मी नहीं रहा, बल्कि कानूनी रूप ले चुका है। अक्षय कुमार की सख्ती यह दर्शाती है कि फिल्म इंडस्ट्री में अनुशासन और पेशेवर व्यवहार को अब अनदेखा नहीं किया जाएगा।
टर्म इंश्योरेंस: क्यों हर परिवार को चाहिए टर्म इंश्योरेंस? जानें कब और कैसे!”
लेखक दीपक चौधरी का परिचय (हिंदी में): दीपक चौधरी एक उभरते हुए हिंदी लेखक हैं, जिन्हें लेखन के क्षेत्र में चार वर्षों का समृद्ध अनुभव प्राप्त है। वे सामाजिक मुद्दों, जीवन दर्शन और प्रेरणादायक विषयों पर अपनी बेबाक लेखनी के लिए जाने जाते हैं। दीपक ने लेखन की शुरुआत व्यक्तिगत ब्लॉग से की थी, लेकिन समय के साथ उनका लेखन विभिन्न पत्रिकाओं, ऑनलाइन पोर्टलों और साहित्यिक मंचों तक पहुँच चुका है।

दीपक चौधरी एक अनुभवी संपादक हैं, जिन्हें पत्रकारिता में चार वर्षों का अनुभव है। वे राजनीतिक घटनाओं के विश्लेषण में विशेष दक्षता रखते हैं। उनकी लेखनी गहरी अंतर्दृष्टि और तथ्यों पर आधारित होती है, जिससे वे पाठकों को सूचित और जागरूक करते हैं।