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Toggleपहलगाम हमला: भारत ने सिंधु जल संधि निलंबित की, अटारी बॉर्डर बंद – पाकिस्तान पर प्रभाव
पहलगाम आतंकी हमला- 23 अप्रैल 2025 को, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण चरमपंथी हमले ने भारत को कड़ा कदम उठाने के लिए मजबूर कर दिया। इस हमले में 26 लोगों की जान गई और कई घायल हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीएस) की आपात बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। इनमें 1960 के सिंधु जल समझौते को निलंबित करना और अटारी इंटिग्रेटेड चेक पोस्ट को बंद करना शामिल है। यह लेख पहलगाम हमले, भारत के रणनीतिक जवाब और पाकिस्तान पर इसके गहरे प्रभावों, जिसमें सर्जिकल स्ट्राइक का डर भी शामिल है, का विस्तृत विश्लेषण करता है।
पहलगाम हमले में क्या हुआ?
22 अप्रैल 2025, मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के खूबसूरत पर्यटन स्थल पहलगाम में एक क्रूर चरमपंथी हमला हुआ। एएनआई और पीटीआई की रिपोर्ट्स के अनुसार, इस हमले में 26 लोगों की मौत हुई और कई लोग घायल हुए। यह हमला नागरिकों और सुरक्षाकर्मियों पर लक्षित था, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया।
भारतीय खुफिया एजेंसियों ने इस हमले के पीछे पाकिस्तान आधारित चरमपंथी समूहों का हाथ बताया है। यह हमला सीमा पार आतंकवाद के उस पैटर्न का हिस्सा है, जो लंबे समय से भारत-पाकिस्तान संबंधों को तनावपूर्ण बनाए हुए है। इस त्रासदी की गंभीरता को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने सऊदी अरब के जेद्दा में अपनी यात्रा को बीच में छोड़कर दिल्ली लौटने का फैसला किया।
पहलगाम हमले पर भारत का जवाब
प्रधानमंत्री आवास पर आयोजित सीसीएस की बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल जैसे प्रमुख नेता मौजूद थे। समिति ने सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की और पाकिस्तान के कथित आतंकवाद समर्थन के खिलाफ कड़े कदम उठाए। नीचे प्रमुख फैसले दिए गए हैं:

1. सिंधु जल संधि का निलंबन
भारत ने 1960 के सिंधु जल समझौते को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने की घोषणा की। बीबीसी के अनुसार, यह फैसला तब तक लागू रहेगा जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता। विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुआ यह समझौता रावी, ब्यास और सतलुज नदियों का पानी भारत को और सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का पानी पाकिस्तान को आवंटित करता है।
2. अटारी बॉर्डर बंद
अटारी इंटिग्रेटेड चेक पोस्ट, जो भारत-पाकिस्तान के बीच व्यापार और आवागमन का एक महत्वपूर्ण केंद्र है, को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, वैध दस्तावेजों वाले लोग 1 मई 2025 तक इस मार्ग से पाकिस्तान लौट सकते हैं, जिसके बाद यह बॉर्डर पूरी तरह सील हो जाएगा।
3. वीजा प्रतिबंध और सार्क वीजा छूट योजना
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सार्क वीजा छूट योजना (एसवीईएस) के तहत जारी किए गए पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करने की घोषणा की। इस योजना के तहत भारत में मौजूद पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे में देश छोड़ना होगा। इसके अलावा, पाकिस्तानी नागरिकों के नए वीजा आवेदनों पर रोक लगा दी गई है।
4. पाकिस्तानी रक्षा सलाहकारों का निष्कासन
भारत ने नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग के सैन्य, नौसेना और वायु सेना सलाहकारों को पर्सोना नॉन ग्राटा (अवांछित व्यक्ति) घोषित किया और उन्हें एक सप्ताह में भारत छोड़ने का आदेश दिया। इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग भी अपने रक्षा सलाहकारों को वापस बुलाएगा। दोनों देशों में ये पद समाप्त माने जाएंगे। प्रत्येक उच्चायोग से इन सलाहकारों के पांच सहायक कर्मचारी भी वापस बुलाए जाएंगे।
5. उच्चायोग कर्मचारियों की संख्या में कटौती
1 मई 2025 तक नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग और इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग के कर्मचारियों की संख्या 55 से घटाकर 30 कर दी जाएगी। यह कदम दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों को और सीमित करेगा।

पहलगाम हमले की वैश्विक निंदा
पहलगाम हमले की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कड़ी निंदा हुई और कई देशों ने भारत के साथ एकजुटता व्यक्त की। आज तक के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी से फोन पर बात की और हमले की निंदा करते हुए दोषियों को सजा दिलाने के लिए पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया। ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर लिखा, “अमेरिका चरमपंथ के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ है।”
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमले को “बर्बर” करार दिया और भारत के साथ खड़े होने की बात कही। यूरोपीय संघ की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने इसे “घृणित चरमपंथी हमला” बताया और भारत की इच्छाशक्ति को अटूट करार दिया। जर्मनी के विदेश मंत्रालय और अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने भी शोक व्यक्त किया। वेंस, जो उस समय भारत की यात्रा पर थे, ने कहा कि वह भारत की सुंदरता और ताकत से अभिभूत हैं।
भारत के फैसलों का पाकिस्तान पर प्रभाव
भारत के जवाबी कदमों से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था, सुरक्षा और कूटनीतिक स्थिति पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।
1. सिंधु जल संधि निलंबन से जल संकट
सिंधु जल संधि का निलंबन पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा झटका है। द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान की 24% जीडीपी और 40% कार्यबल कृषि पर निर्भर है, जो सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों के पानी पर आधारित है। इन नदियों पर 80% सिंचित भूमि निर्भर है।
पानी की आपूर्ति रुकने से पाकिस्तान में जल संकट गहरा सकता है, जिससे कृषि उत्पादन में कमी, खाद्य संकट और आर्थिक अस्थिरता बढ़ेगी। इसके अलावा, पाकिस्तान इन नदियों पर बने जलविद्युत परियोजनाओं से बिजली उत्पादन करता है। पानी की कमी से बिजली उत्पादन प्रभावित होगा, जिससे औद्योगिक और आर्थिक गतिविधियां ठप हो सकती हैं।
विश्व बैंक ने अभी तक भारत के फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता तक जा सकता है। फिर भी, भारत का यह कदम पाकिस्तान पर दबाव बनाने की उसकी दृढ़ता को दर्शाता है।
2. अटारी बॉर्डर बंद से आर्थिक नुकसान
अटारी बॉर्डर बंद होने से भारत-पाकिस्तान के बीच सीमित व्यापार रुक जाएगा। 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से द्विपक्षीय व्यापार बंद है, लेकिन सेंधा नमक, चमड़ा और खनिज जैसे छोटे सामानों का लेन-देन अटारी के रास्ते होता था। बिजनेस स्टैंडर्ड के अनुसार, यह बंदी पाकिस्तानी छोटे व्यापारियों और निर्यातकों को आर्थिक नुकसान पहुंचाएगी।
बॉर्डर बंद होने से लोगों का आवागमन भी रुक जाएगा, खासकर उन लोगों का जिनके रिश्तेदार दोनों देशों में हैं। इससे सामाजिक और सांस्कृतिक संबंध प्रभावित होंगे और पाकिस्तान की कूटनीतिक अलगाव बढ़ेगा।
3. वीजा प्रतिबंध और आतंकवाद विरोधी उपाय
वीजा रद्द करने और सार्क वीजा छूट योजना को बंद करने का उद्देश्य चरमपंथियों की घुसपैठ रोकना है। इंडिया टुडे के अनुसार, भारतीय खुफिया एजेंसियां लंबे समय से संदेह करती रही हैं कि पाकिस्तानी नागरिक रिश्तेदारों या धार्मिक यात्राओं का बहाना बनाकर भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देते हैं। इस रास्ते को बंद करके भारत अपनी सीमाओं को और सुरक्षित कर रहा है।
4. कूटनीतिक अलगाव
रक्षा सलाहकारों का निष्कासन और उच्चायोग कर्मचारियों की संख्या में कटौती से भारत-पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक संबंध और सीमित हो जाएंगे। रॉयटर्स के अनुसार, इससे सैन्य स्तर की बातचीत पूरी तरह बंद हो जाएगी, जिससे तनाव बढ़ सकता है। कम कर्मचारियों के कारण पाकिस्तानी उच्चायोग की कार्यक्षमता और भारत में उसकी कूटनीतिक मौजूदगी कमजोर होगी।
5. सर्जिकल स्ट्राइक का डर
पाकिस्तान भारत द्वारा संभावित सर्जिकल स्ट्राइक से डरा हुआ है। द टाइम्स ऑफ इंडिया के सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान की सेना ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर अपनी सतर्कता बढ़ा दी है। 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 के बालाकोट हवाई हमले ने भारत की आतंकी ठिकानों पर पहले से कार्रवाई करने की इच्छाशक्ति दिखाई थी।
सीसीएस का हमले के साजिशकर्ताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का संकल्प और तहव्वुर राना के प्रत्यर्पण का जिक्र सर्जिकल ऑपरेशन की अटकलों को हवा दे रहा है। भारत की उन्नत खुफिया क्षमताएं और वैश्विक समर्थन पाकिस्तान की सैन्य स्थापना को चिंतित कर रहे हैं।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और रणनीतिक चिंताएं
पाकिस्तान ने अभी तक भारत के कदमों पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन विश्लेषकों का अनुमान है कि वह कूटनीतिक विरोध और सैन्य तैनाती बढ़ाएगा। डॉन के अनुसार, पाकिस्तान का विदेश मंत्रालय संयुक्त राष्ट्र या विश्व बैंक से सिंधु जल संधि के निलंबन को चुनौती दे सकता है। हालांकि, आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की “ग्रे लिस्ट” में होने के कारण पाकिस्तान की वैश्विक विश्वसनीयता कमजोर है।
आंतरिक रूप से, पाकिस्तान को नाजुक संतुलन बनाना होगा। जल संकट से विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में जनाक्रोश भड़क सकता है। अटारी बॉर्डर बंद और वीजा प्रतिबंध भारत विरोधी भावनाओं को भड़का सकते हैं, जिसे पाकिस्तानी सरकार घरेलू आलोचना को टालने के लिए इस्तेमाल कर सकती है। लेकिन कोई भी आक्रामक जवाब भारत को उकसा सकता है, जिसके पास मजबूत सैन्य और कूटनीतिक बढ़त है।
भारत की व्यापक रणनीति
भारत के कदम पाकिस्तान को कूटनीतिक और आर्थिक रूप से अलग-थलग करने की व्यापक रणनीति को दर्शाते हैं। सिंधु जल संधि का निलंबन ऊपरी तटीय देश के रूप में भारत के भौगोलिक लाभ का उपयोग करता है। अटारी बॉर्डर बंद और वीजा प्रतिबंध पाकिस्तान की भारत तक पहुंच को सीमित करते हैं, जिससे जासूसी और घुसपैठ की संभावनाएं कम होती हैं।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय का भारत के लिए स्पष्ट समर्थन उसकी स्थिति को मजबूत करता है। अमेरिका, इजरायल और यूरोपीय संघ ने न केवल हमले की निंदा की, बल्कि भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का भी समर्थन किया। यह वैश्विक समर्थन पाकिस्तान को सैन्य जवाब देने से रोक सकता है, क्योंकि इससे उसका और अलगाव होगा।
निष्कर्ष
पहलगाम हमला भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ है, जिसने भारत को आतंकवाद के खिलाफ अभूतपूर्व कदम उठाने के लिए प्रेरित किया। सिंधु जल संधि का निलंबन, अटारी बॉर्डर बंद, वीजा प्रतिबंध और कूटनीतिक कटौती से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था, सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय स्थिति पर गहरा असर पड़ेगा। सर्जिकल स्ट्राइक का खतरा पाकिस्तान की रणनीतिक चिंताओं को बढ़ा रहा है, क्योंकि भारत आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई का संकेत दे रहा है।
जैसे-जैसे तनाव बढ़ रहा है, अंतरराष्ट्रीय समुदाय स्थिति पर बारीकी से नजर रखेगा। भारत के कदम उसकी संप्रभुता और सुरक्षा की रक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हैं, भले ही इसके लिए लंबे समय से चले आ रहे समझौतों को दांव पर लगाना पड़े। पाकिस्तान के लिए आगे की राह चुनौतियों से भरी है, क्योंकि वह भारत के साहसिक और सोचे-समझे जवाब के परिणामों से जूझ रहा है।
स्रोत: एएनआई, पीटीआई, बीबीसी, एनडीटीवी, आज तक, द हिंदू, बिजनेस स्टैंडर्ड, इंडिया टुडे, रॉयटर्स, द टाइम्स ऑफ इंडिया, डॉन
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दीपक चौधरी एक अनुभवी संपादक हैं, जिन्हें पत्रकारिता में चार वर्षों का अनुभव है। वे राजनीतिक घटनाओं के विश्लेषण में विशेष दक्षता रखते हैं। उनकी लेखनी गहरी अंतर्दृष्टि और तथ्यों पर आधारित होती है, जिससे वे पाठकों को सूचित और जागरूक करते हैं।