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Toggleप्रयागराज में आयोजित महाकुंभ 2025 के दौरान हाल ही में एक और हादसा सामने आया है।
शुक्रवार दोपहर फाफामऊ इलाके में गंगा नदी पर बना पीपा पुल अचानक टूट गया, जिससे कई श्रद्धालुओं के दबे होने की आशंका जताई जा रही है।ौके पर पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीमें राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं।स घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
फाफामऊ पीपा पुल का महत्व:
ाफामऊ, संगम क्षेत्र से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।ह मार्ग लखनऊ, रायबरेली, अयोध्या, अमेठी, सुल्तानपुर और प्रतापगढ़ से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए प्रमुख रास्ता है।ंगा नदी पर पहले से मौजूद दो-लेन पुल के साथ ही महाकुंभ के दौरान बढ़ती भीड़ को संभालने के लिए प्रशासन ने एक पीपा पुल और एक स्टील ब्रिज का निर्माण किया था, जिससे श्रद्धालुओं की आवाजाही सुगम हो सके।
प्रशासन की प्रतिक्रिया:
ादसे के बाद पुलिस और फायर ब्रिगेड ने दावा किया है कि पुल को दुरुस्त कर लिया गया है और सभी श्रद्धालु सुरक्षित हैं।नके अनुसार, किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई है।ालांकि, वायरल हो रहे वीडियो में एक व्यक्ति यह कहते हुए सुना जा सकता है कि कई लोग दब गए हैं और मौके पर पुलिस-प्रशासन का कोई प्रतिनिधि नहीं है; स्थानीय छात्र ही मदद कर रहे हैं।
मौनी अमावस्या पर हुई भगदड़:
ससे पहले, 29 जनवरी 2025 को मौनी अमावस्या के अवसर पर संगम क्षेत्र में भगदड़ मचने से 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी, जबकि 60 से अधिक लोग घायल हो गए थे।नमें से 24 को प्राथमिक उपचार के बाद उनके परिजन अपने साथ ले गए, जबकि 36 का इलाज विभिन्न अस्पतालों में जारी है।
बढ़ती भीड़ और प्रशासनिक चुनौती
महाकुंभ के दौरान मौनी अमावस्या से ही भारी भीड़ उमड़ रही है।्रयागराज शहर से लेकर संगम क्षेत्र तक श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है, जो बसंत पंचमी स्नान के लिए डेरा डाले हुए हैं।से में प्रशासन के सामने सुरक्षा सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती बन गई है।
सुरक्षा उपायों की आवश्यकता:
लगातार हो रही इन घटनाओं ने महाकुंभ में सुरक्षा व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं।्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए प्रशासन को और अधिक सतर्कता बरतने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसे हादसों से बचा जा सके।
क्या यह साजिश है?
महाकुंभ न सिर्फ धार्मिक बल्कि राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण होता है। योगी सरकार के कार्यकाल में पहली बार महाकुंभ हो रहा है, और ऐसे में बार-बार घटनाएं होना कई संदेह पैदा करता है।
- योगी सरकार को बदनाम करने की कोशिश?
- यूपी में 2024 लोकसभा चुनाव के बाद महाकुंभ सरकार की प्रतिष्ठा के लिए अहम आयोजन है।
- भगदड़ और पुल टूटने जैसी घटनाओं से योगी सरकार की छवि को धक्का लग सकता है।
- अगर प्रशासनिक व्यवस्था के बावजूद ये घटनाएं हो रही हैं, तो यह जांच का विषय है कि कोई साजिश तो नहीं?
- क्या असामाजिक तत्वों की भूमिका है?
- संगम क्षेत्र और आसपास सोशल मीडिया पर कई फर्जी अफवाहें फैलाई जा रही हैं।
- भीड़ में धक्का-मुक्की कर भगदड़ फैलाने की घटनाएं पूर्व में भी देखी गई हैं।
- क्या कोई असामाजिक तत्व भीड़ को नियंत्रित करने में दिक्कत पैदा कर रहे हैं?
- क्या पुल को जानबूझकर क्षतिग्रस्त किया गया? इसकी जांच होनी चाहिए।
- क्या विपक्ष महाकुंभ को लेकर सरकार को घेर रहा है?
- विपक्ष लगातार योगी सरकार की आलोचना कर रहा है, और इस तरह की घटनाओं को उनकी नाकामी बता रहा है।
- क्या विरोधियों द्वारा महाकुंभ में माहौल बिगाड़कर सरकार को घेरने की रणनीति अपनाई जा रही है?

दीपक चौधरी एक अनुभवी संपादक हैं, जिन्हें पत्रकारिता में चार वर्षों का अनुभव है। वे राजनीतिक घटनाओं के विश्लेषण में विशेष दक्षता रखते हैं। उनकी लेखनी गहरी अंतर्दृष्टि और तथ्यों पर आधारित होती है, जिससे वे पाठकों को सूचित और जागरूक करते हैं।