RBI ने रेपो रेट में 0.25% की कटौती की: जानिए EMI और पॉकेट पर असर ?

RBI CUTS REPO RATE

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7 फरवरी 2025 को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट में 0.25% की कटौती की

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7 फरवरी 2025 को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट में 0.25% की कटौती की, जिससे यह 6.50% से घटकर 6.25% हो गया। यह फैसला देश की अर्थव्यवस्था को गति देने और लोगों को वित्तीय राहत देने के उद्देश्य से लिया गया है। इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि रेपो रेट क्या है, इसकी कटौती से भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा, मध्यम वर्ग और आम नागरिकों को इससे क्या लाभ होगा, और लोन की ईएमआई पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा।

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रेपो रेट क्या होता है?

रेपो रेट वह ब्याज दर होती है जिस पर भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) देश के बैंकों को अल्पकालिक (Short-term) ऋण प्रदान करता है। जब बैंक को पैसे की जरूरत होती है, तो वे अपने बॉन्ड और सिक्योरिटीज़ को गिरवी रखकर RBI से कर्ज लेते हैं।

🔹 यदि रेपो रेट बढ़ता है, तो बैंकों को RBI से कर्ज लेने में अधिक ब्याज देना पड़ता है, जिससे बैंकों की उधारी महंगी हो जाती है और वे ग्राहकों को ऊंची ब्याज दर पर लोन देते हैं।
🔹 यदि रेपो रेट घटता है, तो बैंकों को कम ब्याज दर पर पैसे मिलते हैं, जिससे वे ग्राहकों को सस्ती दरों पर लोन प्रदान करते हैं।

7 फरवरी 2025 को RBI ने रेपो रेट में 0.25% की कटौती की है, जिससे अब यह 6.50% से घटकर 6.25% हो गया है। इसका प्रभाव सीधे तौर पर देश की अर्थव्यवस्था, लोन और आम जनता की ईएमआई पर पड़ेगा।


रेपो रेट में कटौती का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

RBI के इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना और बाजार में तरलता (liquidity) बढ़ाना है। जब रेपो रेट कम होता है, तो यह कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों को प्रभावित करता है:

1. निवेश और खर्च बढ़ेगा

➡ कम ब्याज दर के कारण लोग अधिक लोन लेंगे और व्यवसायों में निवेश करेंगे। इससे बाजार में धन का प्रवाह बढ़ेगा, जिससे व्यापार और उद्योगों को मजबूती मिलेगी।

2. महंगाई पर नियंत्रण

➡ RBI जब ब्याज दर कम करता है, तो इससे बाजार में अधिक पैसा आता है, जिससे लोगों की क्रय शक्ति (purchasing power) बढ़ती है। यह अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में मदद करता है, लेकिन अगर यह जरूरत से ज्यादा हो जाए, तो महंगाई बढ़ सकती है। इसलिए, RBI संतुलित तरीके से रेपो रेट में बदलाव करता है।

3. रियल एस्टेट और ऑटोमोबाइल सेक्टर को बढ़ावा

➡ घर और गाड़ियों के लिए लिए जाने वाले लोन सस्ते होंगे, जिससे अधिक लोग इन क्षेत्रों में निवेश करेंगे। इससे रियल एस्टेट और ऑटोमोबाइल सेक्टर में मांग बढ़ेगी, जिससे इन उद्योगों को फायदा होगा।

4. स्टॉक मार्केट को मिलेगा बूस्ट

➡ ब्याज दरों में कटौती से निवेशकों का रुझान शेयर बाजार की ओर बढ़ेगा, जिससे शेयर बाजार में तेजी देखने को मिल सकती है


मध्यम वर्ग और आम लोगों के लिए राहत

रेपो रेट में कटौती से सबसे अधिक लाभ मध्यम वर्ग और लोन लेने वाले ग्राहकों को होगा। इसका सीधा असर होम लोन, कार लोन, एजुकेशन लोन और पर्सनल लोन पर पड़ेगा।

1. होम लोन की ईएमआई होगी सस्ती

➡ होम लोन सबसे अधिक प्रभावित होते हैं क्योंकि इनकी अवधि लंबी होती है (15-30 साल)। यदि किसी व्यक्ति ने 30 लाख रुपये का होम लोन 9% ब्याज दर पर 20 साल के लिए लिया है, तो EMI लगभग 26,992 रुपये होगी।

✅ अगर ब्याज दर 0.25% कम होकर 8.75% हो जाती है, तो नई EMI 26,512 रुपये होगी।
✅ यानी 480 रुपये प्रति माह और 1,15,200 रुपये कुल बचत होगी!

2. कार और पर्सनल लोन होंगे सस्ते

➡ कार लोन और पर्सनल लोन की अवधि 5-7 साल होती है, जिससे इन पर ब्याज दर में कटौती का प्रभाव तुरंत दिखाई देता है। यदि कोई 5 लाख रुपये का कार लोन 5 साल के लिए लिया है और ब्याज दर 10% से घटकर 9.75% हो जाती है, तो उसकी EMI में 200-300 रुपये तक की कटौती हो सकती है।

3. एजुकेशन लोन लेने वालों को राहत

➡ पढ़ाई के लिए विदेश या बड़े कॉलेजों में एडमिशन लेने वाले छात्रों को भी इस फैसले से फायदा होगा। ब्याज दर कम होने पर एजुकेशन लोन की EMI कम होगी, जिससे पढ़ाई के खर्चों में राहत मिलेगी।


बैंकों और सेविंग्स अकाउंट पर असर

रेपो रेट कम होने से बैंकों को कम ब्याज दर पर लोन मिलता है, लेकिन इसके कुछ नकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं:

1. सेविंग्स अकाउंट और FD पर ब्याज घट सकता है

➡ ब्याज दरों में कटौती से बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) और सेविंग्स अकाउंट पर भी ब्याज दरें घटा सकते हैं। इससे उन लोगों को नुकसान हो सकता है, जो बैंक में पैसे जमा करके ब्याज से कमाई करना चाहते हैं।

2. बैंक लोन देने के लिए अधिक प्रेरित होंगे

➡ ब्याज दर कम होने से बैंकों को अधिक लोन देने की जरूरत होगी, जिससे वे ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों को आकर्षित करने की कोशिश करेंगे।


निष्कर्ष

7 फरवरी 2025 को RBI द्वारा रेपो रेट में 0.25% की कटौती से भारतीय अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। इससे होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन और एजुकेशन लोन पर ब्याज दर कम होगी, जिससे मध्यम वर्ग को राहत मिलेगी।

🔹 अर्थव्यवस्था में निवेश और खर्च बढ़ेगा
🔹 रियल एस्टेट, ऑटोमोबाइल और शेयर बाजार को फायदा होगा
🔹 बैंकों की लोन दरें कम होंगी, लेकिन FD और सेविंग्स अकाउंट के ब्याज भी घट सकते हैं

अगर आप होम लोन, कार लोन या पर्सनल लोन लेने की योजना बना रहे हैं, तो यह सही समय हो सकता है! इस फैसले का लाभ उठाने के लिए आपको अपने बैंक से संपर्क करके ब्याज दरों में बदलाव की जानकारी लेनी चाहिए।

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Author: D Insight News

दीपक चौधरी एक अनुभवी संपादक हैं, जिन्हें पत्रकारिता में चार वर्षों का अनुभव है। वे राजनीतिक घटनाओं के विश्लेषण में विशेष दक्षता रखते हैं। उनकी लेखनी गहरी अंतर्दृष्टि और तथ्यों पर आधारित होती है, जिससे वे पाठकों को सूचित और जागरूक करते हैं।

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    दीपक चौधरी एक अनुभवी संपादक हैं, जिन्हें पत्रकारिता में चार वर्षों का अनुभव है। वे राजनीतिक घटनाओं के विश्लेषण में विशेष दक्षता रखते हैं। उनकी लेखनी गहरी अंतर्दृष्टि और तथ्यों पर आधारित होती है, जिससे वे पाठकों को सूचित और जागरूक करते हैं।

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