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ToggleBJP सांसद ने Zepto CEO की ‘अतार्किक’ प्रतिक्रिया को लिया आड़े हाथ: स्टार्टअप विवाद में नया मोड़
Startup Row: Piyush Goyal को मिला BJP सांसद का साथ – हाल ही में भारतीय Startup को लेकर केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के बयान ने देश में एक बड़ी बहस छेड़ दी है। इस बहस में अब बीजेपी सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने भी एंट्री कर ली है और Zepto के सीईओ आदित पालीचा की प्रतिक्रिया को “अतार्किक और गलत” करार दिया है।

भारतीय Startup को लेकर एक सार्थक बहस का जन्म
क्या है ये पूरा मामला? क्यों मचा है हंगामा? और भारतीय Startup के भविष्य पर इसका क्या असर हो सकता है? चलिए, इसे आसान भाषा में समझते हैं, जैसे मैं आपके सामने बैठकर बात कर रहा हूँ। अगर आप Startup, टेक्नोलॉजी, या भारतीय अर्थव्यवस्था में रुचि रखते हैं, तो ये आर्टिकल आपके लिए बहुत कुछ लेकर आया है।

Startup Row: Piyush Goya का बयान – भारतीय स्टार्टअप्स पर बहस: क्या है पूरा मामला?
कुछ दिनों पहले दिल्ली में आयोजित स्टार्टअप महाकुंभ 2025 में Piyush Goyal ने भारतीय स्टार्टअप्स की दिशा पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि भारत के स्टार्टअप्स फूड डिलीवरी और फैंटेसी गेमिंग जैसे क्षेत्रों पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं, जबकि हमें सेमीकंडक्टर, AI, और रोबोटिक्स जैसे डीप-टेक क्षेत्रों में आगे बढ़ना चाहिए। उनके इस बयान ने स्टार्टअप कम्युनिटी में हलचल मचा दी।
Zepto के सीईओ आदित पालीचा ने इसका जवाब देते हुए कहा कि उनके जैसे Startup ने नौकरियाँ पैदा की हैं, टैक्स दिया है और विदेशी निवेश लाए हैं। लेकिन बीजेपी सांसद प्रवीण खंडेलवाल, जो कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के महासचिव भी हैं, ने पालीचा के तर्क को खारिज कर दिया। खंडेलवाल का कहना है कि विदेशी पूंजी जलाकर छोटे किराना स्टोर्स को नुकसान पहुँचाना कोई इनोवेशन नहीं है। इस बीच, हर्ष गोयनका और boAT के फाउंडर अमन गुप्ता जैसे लोग भी इस बहस में कूद पड़े हैं।
तो आखिर सच क्या है? क्या भारतीय Startup सही दिशा में जा रहे हैं या हमें पीयूष गोयल की बात माननी चाहिए? चलिए, इसे डिटेल में समझते हैं।
पीयूष गोयल का Startup पर बयान – क्या कहा?
स्टार्टअप महाकुंभ में उठा सवाल
3 अप्रैल 2025 को स्टार्टअप महाकुंभ में पीयूष गोयल ने कहा, “क्या हम डिलीवरी बॉय और गर्ल्स बनकर खुश रहेंगे? क्या यही भारत का भविष्य है?” उनका इशारा था कि भारत के स्टार्टअप्स को कंज्यूमर-फोकस्ड बिजनेस जैसे फूड डिलीवरी और किराना डिलीवरी से आगे बढ़कर डीप-टेक में काम करना चाहिए। उन्होंने चीन का उदाहरण दिया, जहाँ स्टार्टअप्स इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, सेमीकंडक्टर्स और AI पर फोकस कर रहे हैं।
गोयल की चिंता क्या थी?
- कम वैल्यू जॉब्स: गोयल का मानना है कि फूड डिलीवरी जैसे Startup बेरोजगार युवाओं को सस्ते श्रम में बदल रहे हैं।
- दीर्घकालिक रणनीति: उनका कहना है कि भारत को टेक्नोलॉजिकल आत्मनिर्भरता और ग्लोबल लीडरशिप की ओर बढ़ना चाहिए।
- किराना स्टोर्स का नुकसान: गोयल और खंडेलवाल दोनों ने इस बात पर जोर दिया कि क्विक कॉमर्स स्टार्टअप्स पारंपरिक किराना दुकानों को नुकसान पहुँचा रहे हैं।
Zepto CEO आदित पालीचा का जवाब – Startup की पैरवी
पालीचा ने क्या कहा?
आदित पालीचा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक लंबा पोस्ट लिखकर गोयल के बयान का जवाब दिया। उन्होंने Zepto के योगदान को इस तरह गिनाया:
- 1.5 लाख नौकरियाँ: Zepto ने 3.5 साल में 1.5 लाख लोगों को रोजगार दिया।
- 1000+ करोड़ टैक्स: हर साल सरकार को 1000 करोड़ से ज्यादा टैक्स दे रहे हैं।
- 1 बिलियन डॉलर FDI: विदेशी निवेश के जरिए भारत में पैसा लाया।
- सप्लाई चेन में निवेश: फल-सब्जियों की सप्लाई चेन को मजबूत करने के लिए सैकड़ों करोड़ रुपये खर्च किए।
पालीचा का तर्क था कि अगर ये “भारतीय इनोवेशन का चमत्कार” नहीं है, तो फिर क्या है? उनकी ये बात Financial Express में भी छपी।
डीप-टेक की कमी क्यों?
पालीचा ने ये भी कहा कि भारत में बड़े पैमाने पर फाउंडेशनल AI मॉडल्स की कमी इसलिए है, क्योंकि हमने अभी तक मजबूत इंटरनेट कंपनियाँ नहीं बनाई हैं। उन्होंने Amazon, Google और Alibaba का उदाहरण दिया, जो पहले कंज्यूमर इंटरनेट कंपनियाँ थीं और बाद में टेक्नोलॉजी लीडर बनीं।
बीजेपी सांसद प्रवीण खंडेलवाल का पलटवार
पालीचा का जवाब “अतार्किक” क्यों?
5 अप्रैल 2025 को प्रवीण खंडेलवाल ने NDTV से बातचीत में कहा कि पालीचा का जवाब “गलत और अतार्किक” है। उनका कहना था:
- किराना स्टोर्स पर खतरा: विदेशी पूंजी जलाकर छोटे किराना स्टोर्स को नुकसान पहुँचाना इनोवेशन नहीं है।
- राष्ट्रीय हित: Startup को देश के दीर्घकालिक हितों के हिसाब से काम करना चाहिए, न कि शॉर्ट-टर्म मुनाफे के लिए।
- सच्ची इनोवेशन: खंडेलवाल ने कहा कि इनोवेशन वही है जो देश को टेक्नोलॉजिकल रूप से आत्मनिर्भर बनाए।
CAIT का रुख
खंडेलवाल, जो CAIT के महासचिव हैं, ने हमेशा से क्विक कॉमर्स कंपनियों की आलोचना की है। उनका मानना है कि ये कंपनियाँ पारंपरिक व्यापार को खत्म कर रही हैं, जो भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं।
इस बहस में कौन-कौन शामिल हुआ?
हर्ष गोयनका का समर्थन
उद्योगपति हर्ष गोयनका ने पीयूष गोयल के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि अगर भारत को अमेरिका और चीन जैसे देशों से मुकाबला करना है, तो स्टार्टअप्स को डीप-टेक पर फोकस करना होगा। उन्होंने 90 घंटे काम करने की वकालत भी की।
अमन गुप्ता की राय
boAT के फाउंडर अमन गुप्ता ने भी गोयल का साथ दिया। Business Standard के मुताबिक, उन्होंने कहा कि हमें AI, रोबोटिक्स और क्लाइमेट टेक जैसे क्षेत्रों में आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि, उन्होंने ये भी माना कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है।
भाविश अग्रवाल का स्टैंड
Ola Electric और Krutrim AI के फाउंडर भाविश अग्रवाल ने भी गोयल की बात का समर्थन किया और कहा कि भारत को डीप-टेक में निवेश बढ़ाना चाहिए।
भारतीय स्टार्टअप्स का वर्तमान और भविष्य
भारत में स्टार्टअप्स की स्थिति
- संख्या: भारत में करीब 20,000 स्टार्टअप्स हैं, जिनमें से 4,750 टेक्नोलॉजी आधारित हैं (Startup India के अनुसार)।
- ग्रोथ: भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है और सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था।
- फंडिंग: 2014-2024 के बीच भारतीय स्टार्टअप्स को 160 बिलियन डॉलर की फंडिंग मिली, जबकि चीन को 845 बिलियन और अमेरिका को 2.3 ट्रिलियन।
चुनौतियाँ क्या हैं?
- कैपिटल की कमी: डीप-टेक स्टार्टअप्स को लंबी अवधि के निवेश की जरूरत है, जो भारत में कम है।
- रेगुलेशन: कई मंत्रालयों के अलग-अलग नियमों से स्टार्टअप्स को परेशानी होती है।
- इनोवेशन का फोकस: ज्यादातर स्टार्टअप्स कंज्यूमर बेस्ड हैं, डीप-टेक में कम।
डेटा के साथ समझें – तुलना टेबल
पैरामीटर | भारत | चीन | अमेरिका |
---|---|---|---|
स्टार्टअप्स की संख्या | ~20,000 | ~50,000 | ~70,000 |
डीप-टेक स्टार्टअप्स | ~1,000 | ~10,000 | ~15,000 |
फंडिंग (2014-24) | 160 बिलियन $ | 845 बिलियन $ | 2.3 ट्रिलियन $ |
फोकस क्षेत्र | फूड डिलीवरी, ई-कॉमर्स | EV, AI, सेमीकंडक्टर | AI, रोबोटिक्स, स्पेस |
क्या है सही रास्ता?
कंज्यूमर स्टार्टअप्स vs डीप-टेक
- कंज्यूमर स्टार्टअप्स: तुरंत रोजगार और टैक्स देते हैं, लेकिन लंबे समय तक टिकाऊ नहीं।
- डीप-टेक: शुरुआत में धीमा, लेकिन भविष्य में ग्लोबल लीडरशिप दिला सकता है।
सरकार की भूमिका
पीयूष गोयल ने स्टार्टअप्स के लिए एक हेल्पलाइन शुरू करने की घोषणा की है, जो नीतियों पर फीडबैक और शिकायतों के लिए होगी। लेकिन क्या ये काफी है? विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को डीप-टेक में निवेश और रिसर्च के लिए फंड बढ़ाना चाहिए।
FAQ – आपके सवालों के जवाब
पीयूष गोयल ने स्टार्टअप्स पर क्या कहा था?
उन्होंने कहा कि भारत के स्टार्टअप्स फूड डिलीवरी पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं, जबकि डीप-टेक में आगे बढ़ना चाहिए।
Zepto CEO ने इसका जवाब क्यों दिया?
आदित पालीचा ने अपने स्टार्टअप के योगदान को हाइलाइट करते हुए कहा कि कंज्यूमर स्टार्टअप्स भी इनोवेशन का हिस्सा हैं।
प्रवीण खंडेलवाल की आपत्ति क्या थी?
उन्होंने कहा कि विदेशी पूंजी से किराना स्टोर्स को नुकसान पहुँचाना इनोवेशन नहीं है और स्टार्टअप्स को राष्ट्रीय हित देखना चाहिए।
स्टार्टअप महाकुंभ क्या है?
ये भारत का एक बड़ा स्टार्टअप इवेंट है, जो 3-5 अप्रैल 2025 को दिल्ली में हुआ, जिसमें उद्योगपति, निवेशक और सरकार शामिल हुए।
निष्कर्ष (Conclusion)
भारतीय स्टार्टअप्स पर पीयूष गोयल का बयान और उस पर Zepto CEO और बीजेपी सांसद की प्रतिक्रिया ने एक जरूरी बहस को जन्म दिया है। एक तरफ कंज्यूमर स्टार्टअप्स रोजगार और अर्थव्यवस्था को तुरंत सपोर्ट कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ डीप-टेक भारत को ग्लोबल लीडर बना सकता है। सच तो ये है कि दोनों का अपना महत्व है। लेकिन अगर भारत को अमेरिका और चीन से मुकाबला करना है, तो हमें डीप-टेक में निवेश बढ़ाना होगा – बिना कंज्यूमर स्टार्टअप्स को नजरअंदाज किए।
अब आपकी बारी है! आप इस बहस में किसके साथ हैं – पीयूष गोयल और प्रवीण खंडेलवाल के या आदित पालीचा के? क्या आपको लगता है कि भारत को डीप-टेक पर फोकस करना चाहिए या कंज्यूमर स्टार्टअप्स को बढ़ावा देना चाहिए? नीचे कमेंट में अपनी राय जरूर बताएँ और अपनी राय को कमेंट करके इस चर्चा को आगे बढ़ाएँ! अगर आपको ये आर्टिकल पसंद आया, तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें।
सोर्स:
- NDTV – “BJP MP Backs Piyush Goyal’s Take On Indian Startups”
- Financial Express – “BJP MP slams Zepto CEO’s reply to Piyush Goyal”
- Business Standard – “Aman Gupta backs Piyush Goyal’s push for deep-tech”

दीपक चौधरी एक अनुभवी संपादक हैं, जिन्हें पत्रकारिता में चार वर्षों का अनुभव है। वे राजनीतिक घटनाओं के विश्लेषण में विशेष दक्षता रखते हैं। उनकी लेखनी गहरी अंतर्दृष्टि और तथ्यों पर आधारित होती है, जिससे वे पाठकों को सूचित और जागरूक करते हैं।