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Toggleवक्फ बोर्ड संशोधन बिल पर JPC ने किया मंजूर: मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धि
नई दिल्ली:
वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन, अतिक्रमण और पारदर्शिता की समस्याओं को दूर करने के उद्देश्य से वक्फ संशोधन बिल को लेकर लंबे समय से बहस चल रही थी। आखिरकार, ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) ने वक्फ संशोधन बिल पर अपनी मुहर लगा दी है। छह महीने की लंबी प्रक्रिया और व्यापक चर्चाओं के बाद, JPC ने 572 में से 14 संशोधनों को मंजूरी दी। यह विधेयक अब बजट सत्र में संसद में पेश किया जाएगा।
मुख्य बदलाव: मुस्लिम समाज के हित में संशोधन
JPC द्वारा पारित संशोधनों में तीन बड़े बदलाव ऐसे हैं, जो सीधे मुस्लिम समाज की मांगों को ध्यान में रखकर किए गए हैं।
- वक्फ संपत्ति निर्धारण का अधिकार:
पहले यह अधिकार जिला कलेक्टर को दिया गया था। JPC ने इसे बदलकर अब राज्य सरकार द्वारा नामित अधिकारी को यह अधिकार देने का प्रावधान किया है। विपक्षी दलों और मुस्लिम समाज ने इस बदलाव की मांग की थी। - गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या:
वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिम सदस्यों की उपस्थिति को लेकर विवाद था। अब तय किया गया है कि दो गैर-मुस्लिम सदस्य नामांकित हो सकते हैं। मुस्लिम समाज ने इस बदलाव का समर्थन किया है। - नया कानून पूर्वव्यापी (Retrospective) नहीं होगा:
मुस्लिम समाज की यह मांग थी कि यह कानून पहले से पंजीकृत संपत्तियों पर लागू न हो। संशोधन के बाद, अब केवल पंजीकृत वक्फ संपत्तियों पर यह कानून लागू होगा। हालांकि, विपक्ष ने इसे लेकर चिंता व्यक्त की है कि 90% वक्फ संपत्तियां अब भी पंजीकृत नहीं हैं।
विपक्ष का विरोध और आरोप
TMC सांसद कल्याण बनर्जी और कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने JPC की कार्यप्रणाली पर गंभीर आरोप लगाए। बनर्जी ने इसे “तानाशाही” करार दिया और कहा, “हमारी बात सुनी नहीं गई, यह लोकतंत्र का काला दिन है।”
मसूद ने इसे वक्फ संपत्तियों को हड़पने की साजिश बताते हुए कहा, “इस विधेयक से देश में नफरत फैलाने की योजना बनाई जा रही है।”
क्या कहते हैं JPC के अध्यक्ष?
JPC के चेयरमैन जगदंबिका पाल ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि विधेयक पूरी पारदर्शिता के साथ पारित किया गया है। पाल ने बताया, “572 संशोधनों में से 44 पर चर्चा हुई। बहुमत के आधार पर 14 को मंजूरी दी गई। विपक्ष के सुझावों को भी गंभीरता से लिया गया, लेकिन उन्हें समर्थन नहीं मिला। यह संशोधन वक्फ की बेहतरी और आम जनता के फायदे के लिए लाया गया है।”
वक्फ संपत्तियों से जुड़े रोचक तथ्य
- भारत में सबसे ज्यादा वक्फ जमीन:
वक्फ संपत्तियों की कुल जमीन लगभग 9.4 लाख एकड़ है, जिसकी कीमत 1.2 लाख करोड़ रुपये आंकी गई है। रेलवे और सेना के बाद भारत में सबसे ज्यादा जमीन वक्फ के पास है। - वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन:
वक्फ की जमीन पर मस्जिद, मदरसे, कब्रिस्तान और अस्पताल बनाए जाते हैं। यह जमीन किसी भी मुस्लिम द्वारा “अल्लाह की राह में” दान की जाती है। - इतिहास और विवाद:
वक्फ संपत्तियां मुख्यतः नवाबों और राजाओं द्वारा दान में दी गई जमीनें हैं। इनमें से कई संपत्तियों पर अतिक्रमण और विवाद सामने आते रहते हैं।
विधेयक का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
वक्फ अधिनियम, 1995, वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के लिए बनाया गया था। लेकिन इसके प्रावधानों में भ्रष्टाचार और अतिक्रमण की शिकायतें लगातार आती रहीं। केंद्रीय वक्फ परिषद के आंकड़ों के मुताबिक, 2022-23 के बीच 566 शिकायतें दर्ज की गईं, जिनमें से 194 अवैध अतिक्रमण से संबंधित थीं।
JPC की प्रक्रिया और विपक्ष की भूमिका
JPC में 31 सदस्य शामिल थे, जिनमें 21 लोकसभा और 10 राज्यसभा से थे। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे, तेजस्वी सूर्या और अपराजिता सारंगी ने महत्वपूर्ण संशोधन प्रस्तावित किए, जिन्हें मंजूरी मिली।
हालांकि, विपक्षी सांसदों ने JPC की कार्यवाही को “हास्यास्पद” और “एकतरफा” बताया। TMC, DMK और कांग्रेस ने इसे असंवैधानिक करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की बात कही है।
भविष्य की चुनौतियां
- वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण:
90% वक्फ संपत्तियां अब भी अपंजीकृत हैं। यह संशोधन उनके अधिकारों को स्पष्ट नहीं करता। - विपक्ष की नाराजगी:
विपक्ष के अनुसार, यह विधेयक अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों को सीमित कर सकता है।
निष्कर्ष
वक्फ संशोधन बिल पारित होना एक बड़ा कदम है, जो वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित कर सकता है। हालांकि, विपक्ष के आरोप और मुस्लिम समुदाय के कुछ हिस्सों की चिंताएं इस विधेयक की राह में बाधाएं बन सकती हैं।
आने वाले बजट सत्र में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह विधेयक संसद से कैसे पारित होता है और देश में इसका असर क्या होगा।

दीपक चौधरी एक अनुभवी संपादक हैं, जिन्हें पत्रकारिता में चार वर्षों का अनुभव है। वे राजनीतिक घटनाओं के विश्लेषण में विशेष दक्षता रखते हैं। उनकी लेखनी गहरी अंतर्दृष्टि और तथ्यों पर आधारित होती है, जिससे वे पाठकों को सूचित और जागरूक करते हैं।