चिंताजनक: बिना जरूरत बुजुर्गों में दवा खाने की बढ़ती लत, सेहत के लिए गंभीर खतरा
नई दिल्ली | भारत में बुजुर्गों के बीच बिना डॉक्टर की सलाह के दवा लेने की आदत तेजी से बढ़ रही है, जो गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे रही है। हाल ही में किए गए एक अध्ययन में यह सामने आया है कि 20% से अधिक बुजुर्ग बिना चिकित्सकीय परामर्श के नियमित रूप से दवाओं का सेवन कर रहे हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह आदत धीरे-धीरे दवा-निर्भरता (Medicine Dependency) को बढ़ावा दे रही है और कई पुरानी बीमारियों को और जटिल बना सकती है।

बुजुर्गों में दवा-निर्भरता: एक गंभीर खतरा
भारत में बुजुर्गों की बढ़ती आबादी और स्वास्थ्य सेवाओं तक उनकी सीमित पहुंच के कारण स्व-चिकित्सा (Self-Medication) की समस्या बढ़ती जा रही है। यह समस्या केवल शहरी इलाकों तक सीमित नहीं है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी इसका प्रभाव देखा जा रहा है।
अध्ययन में क्या सामने आया?
एक हालिया सर्वेक्षण के अनुसार:
✅ 33.7% बुजुर्ग पॉलीफार्मेसी (Polypharmacy) यानी एक साथ पांच या अधिक दवाओं का सेवन कर रहे हैं।
✅ 20% बुजुर्ग बिना डॉक्टर की सलाह के नियमित रूप से दर्द निवारक, नींद की गोलियां, मल्टीविटामिन और अन्य दवाइयां ले रहे हैं।
✅ 50% बुजुर्गों को यह नहीं पता कि दवा के गलत इस्तेमाल से उनके स्वास्थ्य पर गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
सफदरजंग अस्पताल, एम्स और अन्य प्रमुख चिकित्सा संस्थानों द्वारा किए गए इस अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता डॉ. अजय वर्मा ने बताया:
“हमने पाया कि बुजुर्गों में स्व-चिकित्सा की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है। वे मानते हैं कि पुरानी बीमारियों के लिए लगातार दवा लेना जरूरी है, लेकिन बिना डॉक्टर की सलाह यह बेहद खतरनाक हो सकता है।”
बिना डॉक्टर की सलाह दवा लेने के पीछे के कारण
विशेषज्ञों का मानना है कि बुजुर्गों में यह प्रवृत्ति कई कारणों से बढ़ रही है:

1. पुरानी बीमारियों का डर
बुजुर्ग अक्सर हाइपरटेंशन, डायबिटीज, गठिया, अनिद्रा और अन्य समस्याओं से पीड़ित होते हैं। उन्हें लगता है कि ये समस्याएं बिना दवा के बिगड़ सकती हैं, इसलिए वे डॉक्टर से परामर्श लिए बिना दवा लेने लगते हैं।
2. स्वास्थ्य जागरूकता की कमी
बुजुर्गों में यह जागरूकता कम होती है कि दवाओं का गलत इस्तेमाल उनके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
3. मानसिक तनाव और अकेलापन
डिप्रेशन और अकेलापन भी एक बड़ा कारण है। अध्ययन के अनुसार, कई बुजुर्ग नींद की गोलियों और दर्द निवारक दवाओं का सहारा लेने लगते हैं ताकि वे बेहतर महसूस कर सकें।
4. डॉक्टर तक पहुंच की समस्या
भारत के कई हिस्सों में चिकित्सा सुविधाओं की कमी के कारण बुजुर्ग मेडिकल स्टोर से सीधा दवा खरीदकर सेवन करने लगते हैं।
5. परिवार से समर्थन की कमी
कई बुजुर्ग अपनी बीमारियों के बारे में खुलकर बात नहीं करते और अपनी तकलीफों का समाधान खुद निकालने की कोशिश करते हैं।
बिना जरूरत दवा लेने के खतरनाक प्रभाव

एम्स के वरिष्ठ चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. नितिन अग्रवाल के अनुसार,
“बिना डॉक्टर की सलाह दवा लेने से बुजुर्गों में दवाओं की आपसी प्रतिक्रिया (Drug Interaction) हो सकती है, जिससे कई स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं।”
1. किडनी और लिवर पर बुरा असर
✔ लंबे समय तक दवाओं के सेवन से किडनी और लिवर खराब हो सकते हैं।
✔ दर्द निवारक दवाएं और एंटीबायोटिक्स का जरूरत से ज्यादा सेवन लिवर सिरोसिस (Liver Cirrhosis) का कारण बन सकता है।
2. हृदय रोग का खतरा
✔ कुछ पेनकिलर और नींद की गोलियां रक्तचाप को बढ़ा सकती हैं, जिससे दिल का दौरा (Heart Attack) पड़ने की संभावना बढ़ जाती है।
3. मानसिक और तंत्रिका तंत्र पर असर
✔ लंबे समय तक नींद की गोलियां लेने से बुजुर्गों में याददाश्त कमजोर हो सकती है।
✔ अत्यधिक दवा सेवन से भ्रम की स्थिति (Confusion) और चक्कर आना आम हो सकता है।
4. पाचन तंत्र की समस्याएं
✔ गैस्ट्रिक समस्याएं, एसिडिटी, अल्सर और कब्ज जैसी समस्याएं अधिक मात्रा में पेनकिलर लेने से हो सकती हैं।
कैसे पहचाने कि बुजुर्ग गलत दवाओं का सेवन कर रहे हैं?
अगर परिवार में कोई बुजुर्ग बिना डॉक्टर की सलाह के दवा का जरूरत से ज्यादा सेवन कर रहे हैं, तो इन लक्षणों को देखें:
✔ हर छोटी परेशानी के लिए तुरंत दवा लेना
✔ लगातार सुस्ती, चक्कर आना या कमजोरी
✔ बिना डॉक्टर की सलाह के अलग-अलग दवाओं का सेवन
✔ नींद न आने पर नियमित नींद की गोलियां लेना
अगर इनमें से कोई भी लक्षण दिखें, तो तुरंत किसी विशेषज्ञ से परामर्श लें।
बुजुर्गों को इस खतरे से कैसे बचाया जाए?

1. नियमित स्वास्थ्य जांच कराएं
✅ साल में कम से कम दो बार बुजुर्गों की स्वास्थ्य जांच करवाएं।
✅ डॉक्टर से दवा की सही डोज और जरूरत के बारे में जानकारी लें।
2. बिना डॉक्टर की सलाह दवा न लेने दें
✅ घर में बिना जरूरत दवा उपलब्ध न होने दें।
✅ मेडिकल स्टोर से केवल डॉक्टर की पर्ची पर ही दवा दिलवाएं।
3. बुजुर्गों को जागरूक करें
✅ उन्हें समझाएं कि जरूरत से ज्यादा दवा लेना खतरनाक हो सकता है।
✅ पॉलीफार्मेसी से बचने की आदत डालें।
4. स्वस्थ जीवनशैली अपनाने में मदद करें
✅ योग, प्राणायाम और हल्का व्यायाम करने के लिए प्रेरित करें।
✅ प्राकृतिक उपाय जैसे हर्बल चाय, संतुलित आहार और घरेलू नुस्खों को प्राथमिकता दें।
निष्कर्ष
भारत में बुजुर्गों द्वारा बिना डॉक्टर की सलाह के दवा लेने की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है, जो गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे रही है। परिवार की जागरूकता, नियमित चिकित्सकीय परामर्श और सही जीवनशैली से इस समस्या को कम किया जा सकता है।
अगर आपके घर में कोई बुजुर्ग भी बिना डॉक्टर की सलाह के नियमित दवा ले रहे हैं, तो तुरंत किसी विशेषज्ञ से संपर्क करें और उन्हें सही मार्गदर्शन दें।
(यह रिपोर्ट विभिन्न वैज्ञानिक अनुसंधानों और चिकित्सा विशेषज्ञों के बयानों पर आधारित है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए कृपया डॉक्टर से परामर्श लें।)
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