भारत—EFTA ट्रेड एग्रीमेंट: एक नई शुरुवात

1 अक्टूबर 2025 को लागू हुआ भारत और यूरोपीय फ्री ट्रेड एसोसिएशन (EFTA — स्विट्ज़रलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड और लिकटेंस्टीन) का Trade and Economic Partnership Agreement (TEPA) भारत के बहुपक्षीय व्यापार दृष्टिकोण में एक अहम इवोल्यूशन की तरह दिखता है। यह समझौता न सिर्फ़ उत्पादों पर तारिफ़ कम करने का वादा करता है, बल्कि निवेश, विनिर्माण और सप्लाई चेन को रीशेप करने की बड़ी राजनीतिक-आर्थिक पहल भी माना जा रहा है। European Free Trade Association (EFTA)+1
TEPA के प्रमुख सूत्रों में तत्काल और चरणबद्ध तालिकाओं में किए जाने वाले टैरिफ़ कट, नियमों का सरलीकरण, और ईएफ़टीए देशों की ओर से भारत में बड़े निवेश के वादे शामिल हैं। ईएफ़टीए के पक्ष से सामने आई रिपोर्टों में कहा गया है कि समझौता आपूर्तिकर्ताओं के लिए पारदर्शिता बढ़ाएगा और दोनों तरफ के व्यवसायों के लिए लागत और समय बचाएगा। औपचारिक तौर पर EFTA ने भी इसे ‘सतत और स्थिर व्यापार सम्बन्ध’ के रूप में परिभाषित किया है। European Free Trade Association (EFTA)
समाचार और यूरोपीय मीडिया रिएक्शन
यूरोपीय मीडिया में इस समझौते के प्रति मिश्रित — पर अधिकतर सकारात्मक — कवरेज देखा गया। कुछ प्रमुख व्यावसायिक और आर्थिक अख़बारों ने इसे ‘भारत के साथ व्यापारिक दरवाज़े खोलने’ के रूप में बताया, विशेषकर उच्च तकनीक, चिकित्सा उपकरण, और खाद्य-खपत (लक्ज़री खाद्य जैसे स्विस चॉकलेट) क्षेत्रों में संभावनाओं का उल्लेख हुआ। भारतीय पटल पर आर्थिक अख़बारों ने TEPA को निवेश के नए वादे (रिपोर्ट — ~USD 100 बिलियन निवेश) और नौकरी सृजन के अवसरों से जोड़ा। The Economic Times+1
स्विस अधिकारियों ने समझौते को नियम-आधारित व्यापार और निवेश के लिए सकारात्मक संकेत के रूप में पेश किया — स्विट्ज़रलैंड की आर्थिक मामलों की राज्यमंत्री के वक्तव्य ने इसे ‘ग्लोबल व्यापार अनिश्चितता के बीच नियमों की मजबूती’ कहा। इसी तरह नॉर्वे और आइसलैंड ने भी निवेश और शिपिंग/मरीन सेक्टर्स में संभावनाओं को हाईलाइट किया। The Indian Express+1
विशेषज्ञों की राय — लाभ और सीमायें
वाणिज्यिक विशेषज्ञ और अर्थशास्त्रियों का सामान्य मत है कि TEPA से भारत को निर्यात-डाइवर्सिफिकेशन में मदद मिलेगी — यानी सिर्फ़ परंपरागत बाज़ारों (यूएस, चीन) पर निर्भरता कम करना संभव होगा। समझौते से भारत के उन सेक्टरों को बेहतर बाज़ार मिल सकता है जहाँ गुणवत्ता-उन्मुख यूरोपीय मांग है — जैसे आयटी-सम्बन्धित सेवाएँ, इंजीनियरिंग गुड्स, टेक्सटाइल और फार्मा। India Briefing+1
दूसरे पहलू पर, कुछ अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी है कि TEPA अकेले संयुक्त राज्य के टैरिफ़ नीति (विशेषकर ट्रम्प-शैली के प्रोटेक्शनिस्ट कदम) के प्रभाव को पूरी तरह समाप्त नहीं कर सकता। अमेरिका अभी भी दुनिया का सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार है और विशिष्ट उत्पादों (खासतौर पर एग्री-प्रोसेस्ड, ऑटोमोटिव पार्ट्स, उच्च तकनीक कम्पोनेन्ट्स) के लिए अमेरिकी टैरिफ ही निर्णायक रहेंगे। इसलिए TEPA एक वैकल्पिक रास्ता है — पूरक, पर निर्णायक प्रतिस्थापन नहीं। Reuters और अन्य विश्लेषणों में भी कहा गया है कि दुनियाभर में FTA की दौड़ तेज हुई है क्योंकि देश ट्रेड-शॉक से बचने के तरीके तलाश रहे हैं। Reuters+1
कुछ नीति-विशेषज्ञ यह भी रेखांकित करते हैं कि समझौते का असली लाभ तभी दिखेगा जब भारत घरेलू आपूर्ति श्रृंखलाओं (supply chains) को प्रतिस्पर्धी बनाए — कच्चे माल पर उच्च टैरिफ़ और इम्पोर्ट बाधाएँ हों तो उत्पादन-लागत बनी रहेगी। NITI Aayog जैसे संस्थानों के प्रमुखों ने भी हालिया रिपोर्टों में वैश्विक प्रतिस्पर्धा के बीच कच्चे माल पर टैरिफ़ नीति पर फिर से विचार करने की सलाह दी है। Reuters
क्या TEPA ट्रम्प-स्टाइल टैरिफ़ के प्रभाव को कम कर पाएगा? — निष्कर्षित नजरिया
तेज़ और सटीक उत्तर: आंशिक रूप से — हाँ, पर सीमित रूप से।
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विविधीकरण का लाभ: TEPA भारत को यूरोपीय विकसित बाजारों तक बेहतर पहुँच देता है; इससे भारतीय निर्यातकों को अमेरिकी टैरिफ़ के सीधे शॉक से कुछ राहत मिल सकती है क्योंकि वे अपने उत्पादों के लिए वैकल्पिक बाजार खोल पाएंगे। विशेषकर उच्च-मूल्य और तकनीकी मानकों वाले उत्पादों के लिए यह ज़रूरी है। The Economic Times
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निवेश और विनिर्माण: EFTA का निवेश वादा और तकनीकी सहयोग भारत के कुछ उत्पादन सेक्टरों को सुदृढ़ कर सकता है — लंबी अवधि में भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी और यह अमेरिकी बाज़ार पर निर्भरता घटाने में मदद करेगा। The Economic Times
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सीमाएँ और वास्तविकता: पर ध्यान रखें — कुछ प्रमुख अमेरिकी-निर्यात-सम्बन्धी सेक्टरों पर अमेरिकी टैरिफ़ का असर सीधे और तीव्र रहेगा। TEPA उन नुकसान-क्षेत्रों की जगह तुरंत भर नहीं सकता जहाँ अमेरिकी मांग या सप्लाई चेन निर्णायक हैं। साथ ही, समझौते के लाभ का पूरा असर तभी दिखेगा जब भारत घरेलू नीतियों (इनपुट टैरिफ़, लॉजिस्टिक्स सुधार, गुणवत्ता मानक) को साथ में सुधारे। India Briefing+1
पत्रकार की अंतिम टिप्पणी
TEPA एक रणनीतिक कदम है — यह भारत को यूरोप के गुणवत्ता-समृद्ध बाज़ारों से जोड़ता है और निवेश-धारा का मार्ग खोलता है। पर यह ‘टैरिफ़-प्रतिरोधक कवच’ नहीं है: यह एक डाइवर्सिफिकेशन और प्रोजेक्ट-आधारित ताकत है, जो समय के साथ भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ा सकती है। यदि भारत सिंक्रनाइज़ रूप से घरेलू नीतियों, सप्लाई-चेन सुधार और क्षेत्रीय FTA वार्ताओं (विशेषकर EU के साथ) पर काम करता है, तो यह समझौता दीर्घावधि में अधिक निर्णायक साबित होगा — और ट्रम्प-युग के टैरिफ़ झटकों के प्रभाव को काफी हद तक कम कर सकता है।