बांग्लादेश एक असफल राष्ट्र की ओर बढ़ता देश और सत्ता-सैन्य तनाव का भविष्य New

बांग्लादेश असफल राष्ट्र की ओर बढ़ता देश

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बांग्लादेश एक असफल राष्ट्र का भविष्य: अस्थिरता का नया दौर?

(एक इन-डेप्थ एडिटोरियल)

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शेख हसीना
शेख हसीना

भूमिका: क्यों भागीं शेख हसीना?

बांग्लादेश में हाल ही में हुए राजनीतिक उथल-पुथल और अस्थिरता के चलते देश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को भारत में शरण लेनी पड़ी। देश में तख्तापलट और बढ़ते असंतोष के बीच, उन्हें अपने छोटे भाई-बहन के साथ भारत आना पड़ा। यह घटना न केवल बांग्लादेश की आंतरिक राजनीति की अस्थिरता को दर्शाती है, बल्कि देश के भविष्य पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है।

बांग्लादेश: अस्थिरता और असफलता की ओर?

बांग्लादेश की राजनीति लंबे समय से अस्थिर रही है। हालांकि 2009 से शेख हसीना की सरकार सत्ता में थी , लेकिन हाल के वर्षों में उनकी नीतियों को लेकर व्यापक विरोध देखा गया। खासकर, सेना और सरकार के बीच बढ़ते तनाव ने देश को गहरे संकट में डाल दिया था ।

1. सत्ता और सेना के बीच संघर्ष

बांग्लादेश में सेना हमेशा से एक प्रभावशाली ताकत रही है। 1975 में शेख मुजीबुर रहमान की हत्या के बाद, देश की राजनीति में सेना की भूमिका काफी बढ़ गई। हाल के वर्षों में, हसीना सरकार द्वारा उठाए गए कई फैसलों से सेना असंतुष्ट रही है।

  • 2018 में मुक्ति संग्राम सेनानियों के वंशजों का 30% सरकारी नौकरियों में कोटा हटाया गया, जिससे व्यापक विरोध हुआ।
  • 2024 में हाईकोर्ट द्वारा इस कोटे को फिर से लागू करने के फैसले के बाद देशभर में दंगे भड़क गए।
2. बढ़ता भ्रष्टाचार और आर्थिक संकट

बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था तेजी से गिर रही है।

  • विदेशी मुद्रा भंडार 2021 के 45 अरब डॉलर से गिरकर 2024 में सिर्फ 20 अरब डॉलर रह गया।
  • महंगाई दर 9.5% तक पहुंच चुकी है, जिससे आम नागरिकों का जीवन मुश्किल हो गया है।
  • बिजली संकट और औद्योगिक उत्पादन में गिरावट ने निवेशकों का भरोसा हिला दिया है।
3. राजनीतिक अस्थिरता और विरोध प्रदर्शन

हाल ही में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) और अन्य विपक्षी दलों ने शेख हसीना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए।

  • 2023 के चुनावों में धांधली के आरोप लगे, जिससे विपक्षी पार्टियों और आम जनता में भारी रोष फैल गया।
  • कई राजनीतिक नेताओं को जेल में डाल दिया गया या देश छोड़ने के लिए मजबूर किया गया।
मोहम्मद यूनुस
मोहम्मद यूनुस

बांग्लादेश का भविष्य: अस्थिरता का नया दौर?

अगर बांग्लादेश में राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता जारी रही, तो देश एक असफल राष्ट्र (Failed State) बनने की कगार पर पहुंच सकता है।

  • राजनीतिक अस्थिरता के कारण अंतरराष्ट्रीय निवेशक बांग्लादेश से मुंह मोड़ सकते हैं।
  • सेना और सरकार के बीच संघर्ष अगर बढ़ता है, तो देश में सैन्य शासन लागू हो सकता है।
  • असंतोष और विरोध प्रदर्शनों से देश में गृहयुद्ध जैसी स्थिति बन सकती है।

भारत और बांग्लादेश के रिश्ते हमेशा मधुर रहे हैं, लेकिन इस राजनीतिक उथल-पुथल से तनाव बढ़ सकता है।

  • अगर भारत शेख हसीना को शरण देता है, तो बांग्लादेश इसे आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप मानेगा।
  • अगर भारत प्रत्यर्पण संधि को तोड़ता है, तो दोनों देशों के कूटनीतिक रिश्तों में खटास आ सकती है।

क्या बांग्लादेश अपने ही इतिहास को दोहराने वाला है?

1975 में शेख मुजीबुर रहमान की हत्या के बाद बांग्लादेश में कई तख्तापलट हुए। क्या 2024 में भी ऐसा ही होगा? अगर सरकार और सेना के बीच संघर्ष बढ़ता रहा, तो बांग्लादेश के लिए आने वाले दिन बेहद कठिन हो सकते हैं।

अब सवाल यह है – क्या बांग्लादेश फिर से सैन्य शासन की ओर बढ़ रहा है, या यह लोकतंत्र को बचा पाएगा?

बांग्लादेश: अस्थिरता की ओर बढ़ता देश और शेख हसीना का पलायन

भूमिका: शेख हसीना का भारत आगमन—राजनीतिक अस्थिरता की गूंज

बांग्लादेश में हाल ही में हुए राजनीतिक संकट और तख्तापलट के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपने देश से भागकर भारत आना पड़ा। बीते वर्ष जुलाई में सेना और विरोधी गुटों के बीच सत्ता संघर्ष तेज हुआ, जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश में अस्थिरता बढ़ गई। इसी बीच, शेख हसीना ने 5 अगस्त को अपनी छोटी बहन के साथ लंदन से भारत का रुख किया और तब से भारत में शरण लिए हुए हैं।

यह स्थिति बांग्लादेश की राजनीतिक संरचना में एक बड़े बदलाव का संकेत देती है। देश में अंतरिम सरकार के आने के बाद अब उनकी प्रत्यर्पण (Extradition) की मांग उठ रही है, लेकिन भारत ने इस पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी है। इस घटनाक्रम ने न केवल बांग्लादेश की आंतरिक राजनीति को प्रभावित किया है बल्कि भारत-बांग्लादेश संबंधों पर भी असर डाल सकता है।


बांग्लादेश: एक असफल राष्ट्र बनने की ओर?

बांग्लादेश का भविष्य अनिश्चितता के दौर से गुजर रहा है। हाल के घटनाक्रम यह दर्शाते हैं कि देश में राजनीतिक अस्थिरता, सेना का बढ़ता प्रभाव और आर्थिक संकट बांग्लादेश को एक असफल राष्ट्र (Failed State) बनने की ओर धकेल सकते हैं।

1. सत्ता और सेना के बीच बढ़ता तनाव

बांग्लादेश में सेना और सरकार के रिश्ते हमेशा जटिल रहे हैं। शेख मुजीबुर रहमान की हत्या के बाद से सेना ने कई बार सत्ता पर नियंत्रण किया।

  • 2024 में सेना और सत्तारूढ़ दल के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच गया।
  • शेख हसीना सरकार ने सेना पर भरोसा न करते हुए सुरक्षा एजेंसियों का दायरा बढ़ाया, जिससे असंतोष गहरा हुआ।
  • सेना का एक वर्ग हसीना सरकार के खिलाफ हो गया, जिससे अंततः राजनीतिक संकट पैदा हुआ।

2. बांग्लादेश की गिरती अर्थव्यवस्था

बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था गंभीर संकट में है।

  • 2021 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 45 अरब डॉलर था, जो अब घटकर 20 अरब डॉलर रह गया है।
  • महंगाई दर 9.5% तक पहुंच चुकी है, जिससे आम नागरिकों का जीवन कठिन हो गया है।
  • टेक्सटाइल इंडस्ट्री, जो बांग्लादेश की रीढ़ है, निर्यात में भारी गिरावट देख रही है।

3. सामाजिक असंतोष और विद्रोह

  • मुक्ति संग्राम सेनानियों के वंशजों को मिलने वाले 30% सरकारी नौकरियों के कोटे को 2018 में खत्म कर दिया गया था।
  • 2024 में हाईकोर्ट ने इसे बहाल करने का आदेश दिया, जिससे पूरे देश में हिंसक प्रदर्शन हुए।
  • हजारों छात्र और युवा सड़कों पर उतर आए, कई लोगों की जान चली गई।

शेख हसीना ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा—
“अगर स्वतंत्रता सेनानियों के पोते-पोतियों को कोटा नहीं मिलेगा, तो क्या ‘गद्दारों’ को मिलेगा?”

इस बयान ने स्थिति को और भड़का दिया, जिसके कारण अंततः उन्हें देश छोड़कर जाना पड़ा।


क्या भारत शेख हसीना को प्रत्यर्पित करेगा?

बांग्लादेश सरकार ने भारत से शेख हसीना को प्रत्यर्पित करने की मांग की है।

  • 2013 में भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि हुई थी, जिसके तहत अपराधियों को एक-दूसरे को सौंपा जा सकता है।
  • हालांकि, यह संधि ‘राजनीतिक अपराधियों’ पर लागू नहीं होती।
  • भारत अगर चाहे, तो ‘राजनीतिक शरणार्थी’ के रूप में शेख हसीना को संरक्षण दे सकता है।

अंतरराष्ट्रीय संबंधों के विशेषज्ञों के अनुसार, भारत इस मामले में सतर्कता से कदम उठा रहा है ताकि वह बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के साथ अपने संबंध खराब न करे।


क्या बांग्लादेश में फिर से सैन्य शासन आएगा?

बांग्लादेश का इतिहास देखें तो 1975 के बाद कई बार सैन्य शासन आया है। मौजूदा हालात देखते हुए संभावना है कि सेना जल्द ही पूरी तरह सत्ता पर कब्जा कर सकती है।

  • अगर सेना सत्ता में आती है, तो लोकतांत्रिक संस्थाएं कमजोर हो जाएंगी।
  • बांग्लादेश में भारत समर्थक नीति बदल सकती है और चीन का प्रभाव बढ़ सकता है।
  • विपक्षी दल और कट्टरपंथी समूह इसका फायदा उठाकर और उग्र हो सकते हैं।

शेख हसीना और मोदी
शेख हसीना और मोदी

बांग्लादेश-भारत संबंधों पर प्रभाव

शेख हसीना भारत की करीबी रही हैं। अगर उनकी सरकार गिरती है, तो भारत-बांग्लादेश संबंधों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

  • बांग्लादेश में चीन समर्थित सरकार आने पर भारत के लिए सुरक्षा चुनौतियां बढ़ सकती हैं।
  • रोहिंग्या मुद्दे पर भारत-बांग्लादेश का सहयोग कमजोर हो सकता है।
  • चटगांव और खुलना पोर्ट पर भारत को मिलने वाली विशेष सुविधाएं खतरे में पड़ सकती हैं।

क्या बांग्लादेश अपने ही इतिहास को दोहराने जा रहा है?

1975 में शेख मुजीबुर रहमान की हत्या के बाद बांग्लादेश की राजनीति में बड़ा बदलाव आया था। आज 2024 में भी कुछ वैसी ही स्थिति बन रही है।

  • क्या शेख हसीना की वापसी संभव होगी?
  • क्या सेना पूरी तरह सत्ता पर कब्जा कर लेगी?
  • क्या बांग्लादेश फिर से अस्थिरता और कट्टरपंथ के अंधकार में चला जाएगा?

इन सवालों के जवाब आने वाले महीनों में साफ होंगे। लेकिन इतना तय है कि बांग्लादेश एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है, जहां से वह या तो लोकतंत्र की ओर जाएगा, या फिर एक असफल राष्ट्र बनने की राह पकड़ेगा।

अब सवाल यह है—क्या बांग्लादेश 1975 के इतिहास को दोहराने वाला है, या इस बार कोई नया अध्याय लिखेगा?

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Author: D Insight News

दीपक चौधरी एक अनुभवी संपादक हैं, जिन्हें पत्रकारिता में चार वर्षों का अनुभव है। वे राजनीतिक घटनाओं के विश्लेषण में विशेष दक्षता रखते हैं। उनकी लेखनी गहरी अंतर्दृष्टि और तथ्यों पर आधारित होती है, जिससे वे पाठकों को सूचित और जागरूक करते हैं।

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