जॉर्ज सोरोस को लेकर अब अमेरिका में हंगामा

अब अमेरिका में मचा हंगामा

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भारत में जॉर्ज सोरोस हमेशा ही एक विवादित शख्स रहे हैं
भारत में जॉर्ज सोरोस हमेशा ही एक विवादित शख्स रहे हैं

 

जो बाइडन का  जॉर्ज सोरोस को प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम से सम्मान: जॉर्ज सोरोस को लेकर अब अमेरिका में हंगामा

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अरबपति वामपंथी  जॉर्ज सोरोस और पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन को प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम, अमेरिका का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, से सम्मानित किया। यह पुरस्कार लोकतंत्र, मानवाधिकार और सामाजिक न्याय में योगदान के लिए दिया जाता है, लेकिन यह कदम भारत सहित दुनिया भर में विवाद का कारण बना है। इससे जॉर्ज सोरोस को लेकर अब अमेरिका में हंगामा मच गया है ।

भारत में जॉर्ज सोरोस का विवाद: राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया

जॉर्ज सोरोस भारत में एक विवादित शख्सियत रहे हैं, खासकर उनके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रशासन को लेकर किए गए बयान और अदानी ग्रुप विवाद में शामिल होने के बाद। बीजेपी नेताओं, जिनमें स्मृति ईरानी भी शामिल हैं, ने सोरोस पर भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में कॉंग्रेस के साथ मिलकर  हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया। सोरोस के ओपन सोसाइटी फाउंडेशन को हंगरी और रूस जैसे देशों में विरोध का सामना करना पड़ा है, जहां उनकी पहल को विदेशी हस्तक्षेप के रूप में देखा जाता है। ओपन सोसाइटी फाउंडेशन से सोनिया गांधी के जुड़े होने का आरोप लगाया जाता रहा है।

 

एलन मस्क का बाइडन के फैसले पर आलोचना:  बताया 'एक शर्मनाक निर्णय'
एलन मस्क का बाइडन के फैसले पर आलोचना: बताया ‘एक शर्मनाक निर्णय’

 

एलन मस्क का बाइडन के फैसले पर आलोचना: ‘एक शर्मनाक निर्णय’

जॉर्ज सोरोस को लेकर अब अमेरिका में हंगामा । टेस्ला के CEO एलन मस्क ने बाइडन के इस फैसले की आलोचना की। मस्क, जो अपनी बेबाक टिप्पणियों के लिए मशहूर हैं, ने सोरोस को यह सम्मान देने को “शर्मनाक” करार दिया। सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर मस्क ने लिखा, “सोरोस मानवता से नफरत करते हैं और सभ्यता को नष्ट कर रहे हैं।” मस्क की आलोचना पिछले बयानों पर आधारित है, जिसमें उन्होंने सोरोस की तुलना मैग्नेटो जैसे काल्पनिक पात्र से की थी, जिनका उद्देश्य समाज और अर्थव्यवस्था को destabilize करना है। जॉर्ज सोरोस पर दीप स्टेट के ऐक्टिविटी से जुड़े होने का आरोप लगा है । एक बार जॉर्ज सोरोस ने खुल कर पब्लिक मे ये कहा था की वो मोदी सरकार को बदलना चाहते है ।

जॉर्ज सोरोस का पृष्ठभूमि और वैश्विक प्रभाव

जॉर्ज सोरोस का जन्म 1930 में हंगरी में हुआ था। वह द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नाजी शासन से बचकर जीवित रहे। बाद में सोरोस ने एक अरबपति निवेशक  के रूप में अपनी पहचान बनाई और ओपन सोसाइटी फाउंडेशन की स्थापना की, जिसका उद्देश्य दुनिया भर में लोकतंत्र, मानवाधिकार और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देना था। हालांकि, सोरोस की राजनीतिक प्रभावशाली गतिविधियाँ उन्हें विवादों में डालती रही हैं। उन पर कई देशों के सरकार को अस्थिर करने का आरोप भी लगा है ।

भारत में आरोप: सोरोस और अदानी ग्रुप

2023 में सोरोस का नाम अदानी ग्रुप के खिलाफ आरोपों में आया।कीसे लेकर भारत मे काफी विवाद हुआ था ।  ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (OCCRP) ने यह आरोप लगाया कि अदानी ग्रुप ने निवेश के लिए अपारदर्शी मॉरीशस स्थित फंड्स का इस्तेमाल किया। इस आरोप के बाद बीजेपी ने सोरोस पर भारत की लोकतांत्रिक संरचना को कमजोर करने की कोशिश करने का आरोप लगाया।

 

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बाइडन का बचाव: लोकतंत्र में योगदान को सराहा

व्हाइट हाउस ने सोरोस को प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम देने के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि सोरोस ने लोकतंत्र, मानवाधिकार और सामाजिक न्याय के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनका कहना है कि सोरोस ने वैश्विक सामाजिक कारणों में योगदान दिया है, जो उन्हें इस सम्मान के योग्य बनाता है।

निष्कर्ष: सोरोस के प्रभाव और सम्मान पर वैश्विक बहस

सोरोस को प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम से सम्मानित करने का निर्णय वैश्विक स्तर पर राजनीतिक प्रभाव, लोकतंत्र और परोपकारिता पर बहस का कारण बना है। कुछ इसे समाज के लिए उनके योगदान के रूप में देखते हैं, जबकि अन्य इसे राजनीतिक प्रेरित कदम मानते हैं। सोरोस की विवादास्पद भूमिका के कारण उनका प्रभाव अभी भी वैश्विक चर्चा का विषय बना हुआ है।

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