“भारत में US AID की साजिस : सच्चाई, राजनीति और वैश्विक संदर्भ
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे द्वारा लोकसभा में यूएसएड (USAID) पर लगाए गए आरोपों ने भारतीय राजनीति में नया विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने इस अमेरिकी एजेंसी पर गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) के माध्यम से भारत में अस्थिरता फैलाने और मोदी सरकार को गिराने की साजिश रचने का आरोप लगाया। इस पूरे विवाद के बीच कुछ चौंकाने वाले और रोचक तथ्य सामने आए हैं, जो इस बहस को और दिलचस्प बनाते हैं।
1️⃣US AID: सिर्फ विकास कार्य या गुप्त राजनीतिक एजेंडा?
- यूएसएड का अतीत विवादों से भरा रहा है। यह सिर्फ एक विकास सहायता एजेंसी नहीं है, बल्कि कई देशों में इसे राजनीतिक हस्तक्षेप, सत्ता परिवर्तन, और खुफिया अभियानों से जोड़ा गया है।
- उदाहरण: 2014 में बॉलीविया की सरकार ने यूएसएड को देश से बाहर निकाल दिया था, क्योंकि इस पर स्थानीय संगठनों के माध्यम से सरकार विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लगा था।
- 2013 में रूस ने यूएसएड पर राजनीतिक हस्तक्षेप और विपक्षी संगठनों को फंडिंग करने का आरोप लगाते हुए इसे निष्कासित कर दिया था।
2️⃣ क्या भारत में US AID का दखल नया है?
- भारत में यूएसएड कई दशकों से काम कर रही है। 2019 में अमेरिकी सरकार ने भारत के लिए लगभग 1.2 बिलियन डॉलर (करीब 10,000 करोड़ रुपये) की आर्थिक सहायता प्रदान की।
- दिल्ली के शाहीन बाग और किसान आंदोलन के दौरान भी कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि यूएसएड समर्थित एनजीओ इन आंदोलनों से जुड़े थे।
- 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान, अमेरिकी थिंक टैंकों और मीडिया संगठनों पर भारतीय चुनावों को प्रभावित करने के आरोप लगे थे।
3️⃣ यूएसएड, जॉर्ज सोरोस और “ओपन सोसाइटी फाउंडेशन” का कनेक्शन
- जॉर्ज सोरोस, जो एक अरबपति निवेशक और समाजसेवी माने जाते हैं, उनकी “ओपन सोसाइटी फाउंडेशन” (OSF) दुनिया भर में लोकतंत्र और मानवाधिकारों को समर्थन देने के लिए जानी जाती है।
- लेकिन कई देशों की सरकारों ने इस संगठन पर “छिपे हुए राजनीतिक एजेंडे” को बढ़ावा देने और स्थानीय सरकारों को अस्थिर करने का आरोप लगाया है।
- 2023 में, जॉर्ज सोरोस ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि भारत में “मोदी सरकार को लोकतंत्र के लिए खतरा” है और इसे हटाया जाना चाहिए।
- निशिकांत दुबे के अनुसार, यूएसएड ने ओपन सोसाइटी फाउंडेशन को भारत में अस्थिरता फैलाने के लिए 5000 करोड़ रुपये दिए।
4️⃣ क्या ट्रंप ने यूएसएड को बंद कर दिया था?
- निशिकांत दुबे ने कहा कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूएसएड को बंद कर दिया था।
- यह पूरी तरह से सच नहीं है! ट्रंप प्रशासन ने यूएसएड की फंडिंग में भारी कटौती की थी और इसे नियंत्रित करने के लिए कदम उठाए थे।
- उन्होंने “अमेरिका फर्स्ट” नीति के तहत विदेशों में अनावश्यक फंडिंग पर रोक लगाने की कोशिश की थी, लेकिन एजेंसी को पूरी तरह बंद नहीं किया था।
5️⃣ क्या यूएसएड ने राजीव गांधी फाउंडेशन को फंडिंग दी?
- निशिकांत दुबे ने यह भी आरोप लगाया कि यूएसएड ने कांग्रेस से जुड़े राजीव गांधी फाउंडेशन को धन दिया था।
- यह जांच का विषय है, लेकिन पहले भी रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया है कि कांग्रेस और यूएसएड के बीच गुप्त संबंध रहे हैं।
- 2005-2010 के बीच यूपीए सरकार के कार्यकाल में कई विदेशी एनजीओ को संदिग्ध फंडिंग मिली थी।
6️⃣ क्या यूएसएड तालिबान को फंडिंग कर चुका है?
- दुबे ने दावा किया कि यूएसएड तालिबान को भी वित्तीय सहायता दे चुका है।
- 2010 की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि अमेरिकी सहायता का एक बड़ा हिस्सा तालिबान लड़ाकों के पास जा रहा था।
- एक अमेरिकी कांग्रेस रिपोर्ट के अनुसार, 2009 से 2012 के बीच अफगानिस्तान में यूएसएड द्वारा भेजी गई 30% फंडिंग या तो भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई या आतंकवादी समूहों के पास चली गई।
7️⃣ अमेरिकी अधिकारी के खुलासे और भारत पर असर
- अमेरिका के पूर्व विदेश विभाग अधिकारी माइक बेंज ने हाल ही में कहा कि अमेरिका ने भारत, बांग्लादेश और अन्य देशों की राजनीति में हस्तक्षेप किया।
- उन्होंने यह भी दावा किया कि 2019 के भारतीय आम चुनावों को प्रभावित करने की कोशिश की गई थी।
- उन्होंने आरोप लगाया कि यूएसएड और अन्य अमेरिकी संस्थानों ने मीडिया नियंत्रण, सोशल मीडिया सेंसरशिप और विपक्षी पार्टियों को समर्थन देकर सरकारों को गिराने की कोशिश की।
8️⃣ विपक्ष की प्रतिक्रिया और आगे की कार्रवाई
- कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने निशिकांत दुबे के आरोपों को खारिज किया।
- संसद में कांग्रेस सांसदों ने हंगामा किया और इसे “राजनीतिक ड्रामा” करार दिया।
- भाजपा ने मांग की कि यूएसएड से जुड़े सभी एनजीओ की गहन जांच की जाए।
- यदि इन आरोपों की सरकारी स्तर पर पुष्टि होती है, तो यह भारत की आत्मनिर्भरता और राष्ट्रीय सुरक्षा का गंभीर मुद्दा बन सकता है।
🔎 निष्कर्ष: भारत को सतर्क रहने की जरूरत!
✅ यूएसएड पर कई देशों में राजनीतिक हस्तक्षेप के आरोप पहले भी लगे हैं।
✅ भारत में एनजीओ के माध्यम से विदेशी फंडिंग और राजनीतिक हस्तक्षेप पर पहले भी सवाल उठे हैं।
✅ निशिकांत दुबे के आरोपों की पुष्टि होना अभी बाकी है, लेकिन भारत को विदेशी हस्तक्षेप से बचने के लिए सतर्क रहना होगा।
✅ सरकार को यूएसएड से जुड़े एनजीओ की जांच करनी चाहिए और यह देखना चाहिए कि क्या वे भारत की संप्रभुता को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
📌 यह विवाद सिर्फ एक राजनीतिक बयानबाजी नहीं है, बल्कि भारत की सुरक्षा और संप्रभुता से जुड़ा एक बड़ा मुद्दा है! 🚨
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