पाकिस्तान के अकोरा खट्टक में आत्मघाती हमला: “जिहाद की यूनिवर्सिटी” में खूनी जुम्मा

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“पाकिस्तान में आतंक का साया: ‘जिहाद की यूनिवर्सिटी’ दारुल उलूम हक्कानिया में आत्मघाती हमला”

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के नौशेरा जिले में स्थित दारुल उलूम हक्कानिया की मस्जिद में 28 फरवरी 2025 को जुमे की नमाज के दौरान एक भीषण आत्मघाती बम विस्फोट हुआ। इस दर्दनाक हमले में कम से कम पांच लोगों की मौत हो गई और 20 से अधिक लोग घायल हो गए। मृतकों में जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (समीउल हक) के प्रमुख और मदरसे के उप प्रिंसिपल मौलाना हामिद उल हक भी शामिल हैं।

हमले का भयावह मंजर

खैबर पख्तूनख्वा के पुलिस महानिरीक्षक जुल्फिकार हमीद ने इस हमले को आत्मघाती हमला करार दिया। धमाका उस समय हुआ जब सैकड़ों नमाजी जुमे की नमाज अदा कर रहे थे। प्रारंभिक जांच में यह सामने आया कि हमलावर नमाजियों के बीच अग्रिम पंक्ति में खड़ा था और अचानक खुद को विस्फोट से उड़ा लिया। विस्फोट इतना भीषण था कि मस्जिद की दीवारों में दरारें आ गईं और कई लोग मलबे में दब गए।

“जिहाद की यूनिवर्सिटी” पर हमला!

दारुल उलूम हक्कानिया केवल एक मदरसा नहीं, बल्कि “जिहाद की यूनिवर्सिटी” के नाम से कुख्यात है। इसकी स्थापना सितंबर 1947 में मौलाना अब्दुल हक हक्कानी ने की थी। इस मदरसे का इतिहास हमेशा से विवादों में रहा है, क्योंकि यह तालिबान का गढ़ माना जाता है। 1990 के दशक में यह संस्थान तालिबान के लिए लॉन्चिंग पैड की तरह काम करता था और यहां से कई आतंकवादी संगठनों को वैचारिक और धार्मिक समर्थन मिला।

कौन थे मौलाना हामिद उल हक?

मौलाना हामिद उल हक, जो इस मदरसे के उप-प्रिंसिपल भी थे, पाकिस्तान और अफगान तालिबान में प्रभावशाली रहे मौलाना समीउल हक के बेटे थे। मौलाना समीउल हक को “तालिबान का जनक” कहा जाता था, जिनका तालिबान के गठन में अहम योगदान था। 2018 में उनकी हत्या के बाद, हामिद उल हक ने उनके संगठन की बागडोर संभाली थी। उनकी हत्या ने पाकिस्तानी कट्टरपंथी हलकों में खलबली मचा दी है।

रेस्क्यू ऑपरेशन और सुरक्षा चिंताएँ

हमले के तुरंत बाद, रेस्क्यू 1122 की टीम मौके पर पहुंची और घायलों को अस्पताल पहुंचाया। पेशावर के अस्पतालों में आपातकाल घोषित कर दिया गया। इस हमले ने पाकिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर उन संस्थानों की सुरक्षा को लेकर, जहां कट्टरपंथी विचारधारा पनपती रही है।

आतंक का जवाब देगा पाकिस्तान?

प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि “आतंकवाद के ऐसे कायराना कृत्य हमारे संकल्प को कमजोर नहीं कर सकते। हम आतंकवाद के सभी रूपों को जड़ से खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।” हालांकि, इस हमले की जिम्मेदारी अब तक किसी संगठन ने नहीं ली है। सुरक्षा एजेंसियां हमलावर के संबंधों और उद्देश्यों की जांच कर रही हैं।

खुद के बोए कांटों पर चल रहा पाकिस्तान!

आज पाकिस्तान जिस आतंकवाद का शिकार हो रहा है, वह उसी “आतंक के उद्योग” की देन है, जिसे उसने खुद दशकों तक पाल-पोस कर बढ़ावा दिया था। कभी जिसे रणनीतिक संपत्ति समझकर तैयार किया गया था, वही अब उसके गले की फांस बन चुका है। तालिबान को आश्रय देने वाला पाकिस्तान अब उन्हीं विचारधाराओं का शिकार बन रहा है, जिन्हें उसने दुनिया भर में फैलाया था।

आतंक को हथियार बनाकर दूसरों को अस्थिर करने की रणनीति आज खुद पाकिस्तान को अस्थिर कर रही है। जिहाद की यूनिवर्सिटी पर हमला इस बात का सबूत है कि आग में खेलने वाला कभी न कभी खुद भी जल जाता है।

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