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ToggleShashi Tharoor का रूस-यूक्रेन युद्ध पर बदलता नजरिया: एक महत्वपूर्ण मोड़
2022 में शुरू हुए रूस-यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक राजनीति को हिला कर रख दिया था। इस संकट के दौरान, भारत ने एक संतुलित और तटस्थ रुख अपनाया, जो कई राजनीतिक नेताओं की आलोचना का विषय बना। कांग्रेस नेता शशि थरूर, जो उस समय भारत के रुख के मुखर आलोचकों में से एक थे, ने अब अपने पिछले विचारों पर पछतावा जताया है। रायसीना डायलॉग 2025 में उन्होंने स्वीकार किया कि उनका 2022 का रुख गलत था और मोदी सरकार की नीति सही साबित हुई है।
Shashi Tharoor का मोदी के आलोचना से पछतावा
रायसीना डायलॉग में शशि थरूर ने कहा, “मुझे अब भी शर्मिंदगी महसूस हो रही है।” उन्होंने अपने पिछले बयानों को याद करते हुए कहा कि उन्होंने संसद में भारत के रुख की आलोचना की थी और इसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन बताया था। थरूर ने कहा, “मैंने कहा था कि यह यूक्रेन की संप्रभुता का उल्लंघन है।” अब तीन साल बाद, उन्हें लगता है कि उनकी आलोचना बेवकूफी थी।

भारत की कूटनीतिक स्थिति
Shashi Tharoor ने आगे कहा कि भारत की नीति ने उसे एक ऐसे देश के रूप में स्थापित किया है जो दोनों पक्षों के साथ संवाद कर सकता है। उन्होंने कहा, “भारत के पास एक ऐसा प्रधानमंत्री है जो यूक्रेन और रूस दोनों के नेताओं से मिल सकता है।” यह स्थिति भारत को स्थायी शांति के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर देती है।
क्या भारत शांति रक्षक भेजेगा?
जब Shashi Tharoor से पूछा गया कि क्या भारत यूक्रेन में शांति रक्षक भेजेगा, तो उन्होंने कहा कि यह कई कारकों पर निर्भर करेगा। उन्होंने बताया कि पहले यह देखना होगा कि क्या दोनों पक्ष शांति के लिए तैयार हैं और क्या अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिलेगा। थरूर ने आशा व्यक्त की कि भारत इस दिशा में कदम उठा सकता है।
अंतरराष्ट्रीय राजनीति में बदलाव
Shashi Tharoor का यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत ने रूस-यूक्रेन संकट में संतुलित और तटस्थ रुख अपनाया है। उनके बयानों से यह स्पष्ट होता है कि वे अंतरराष्ट्रीय राजनीति में बदलते समीकरणों को समझने में चूक गए थे।
निष्कर्ष
Shashi Tharoor का यह स्वीकार करना कि उनका पूर्ववर्ती रुख गलत था, न केवल उनकी व्यक्तिगत यात्रा को दर्शाता है बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे राजनीतिक दृष्टिकोण समय के साथ बदल सकते हैं। भारत की कूटनीति ने उसे एक संभावित मध्यस्थ बना दिया है, जो भविष्य में स्थायी शांति स्थापित करने में मदद कर सकता है।
इस प्रकार, शशि थरूर की स्वीकार्यता न केवल उनके लिए बल्कि भारतीय राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लिए भी एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है।

Shashi Tharoor का यह बयान क्या भारत के राजनीतिक लैंडस्केप पर क्या असर डाल सकता है
शशि थरूर का हालिया बयान, जिसमें उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध पर मोदी सरकार के रुख की सराहना की है, भारतीय राजनीतिक परिदृश्य पर कई महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। यह बयान न केवल थरूर की व्यक्तिगत राजनीतिक यात्रा को दर्शाता है, बल्कि कांग्रेस पार्टी और उसके नेतृत्व के लिए भी एक चुनौती प्रस्तुत करता है।
थरूर का बयान और उसकी राजनीतिक महत्ता
थरूर ने रायसीना डायलॉग 2025 में अपने पूर्ववर्ती रुख पर पछतावा जताते हुए कहा कि भारत की कूटनीतिक नीति सही थी। उन्होंने स्वीकार किया कि उनकी आलोचना गलत थी और अब उन्हें गर्व है कि भारत ने दोनों देशों के साथ दोस्ती निभाई है। यह बदलाव उनके लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है, क्योंकि इससे उनकी छवि में सुधार हो सकता है और वे पार्टी के भीतर एक मजबूत आवाज बन सकते हैं।
कांग्रेस पार्टी पर प्रभाव
बीजेपी ने थरूर के इस बयान का उपयोग कांग्रेस को घेरने के लिए किया है। बीजेपी नेता अमित मालवीय ने कहा कि “प्रधानमंत्री को अब नए नफरत करने वालों की जरूरत है क्योंकि पुराने प्रशंसक बनते जा रहे हैं।” इससे यह स्पष्ट होता है कि बीजेपी इस मौके का लाभ उठाकर कांग्रेस के भीतर की असहमति को उजागर करना चाहती है।
कांग्रेस के अन्य नेता, जैसे मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी, को थरूर के रुख की सराहना करने का सुझाव दिया गया है। यदि वे ऐसा नहीं करते हैं, तो यह कांग्रेस के भीतर एक विभाजन का कारण बन सकता है, जिससे पार्टी की एकता पर असर पड़ेगा।
राजनीतिक रणनीति में बदलाव
थरूर का यह बयान कांग्रेस के भीतर एक नई राजनीतिक रणनीति की आवश्यकता को भी दर्शाता है। पार्टी को अब अपने नेताओं के विचारों में सामंजस्य लाने की जरूरत है, ताकि वे एकजुट होकर चुनावी मैदान में उतर सकें। यदि थरूर जैसी प्रमुख आवाजें अपनी स्थिति बदलती हैं, तो यह अन्य नेताओं को भी प्रभावित कर सकती है।
भविष्य की संभावनाएँ
थरूर का यह बयान आगामी चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यदि वह अपनी छवि को सकारात्मक दिशा में मोड़ने में सफल होते हैं, तो वह कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण नेता बन सकते हैं। इसके अलावा, उनकी कूटनीतिक समझ और वैश्विक दृष्टिकोण उन्हें पार्टी में एक महत्वपूर्ण स्थान दिला सकता है।
निष्कर्ष
शशि थरूर का रूस-यूक्रेन युद्ध पर बदलता नजरिया न केवल उनकी व्यक्तिगत यात्रा को दर्शाता है, बल्कि यह कांग्रेस पार्टी और भारतीय राजनीति में व्यापक बदलावों का संकेत भी देता है। उनके बयानों से यह स्पष्ट होता है कि राजनीतिक दृष्टिकोण समय के साथ बदल सकते हैं और इस बदलाव का प्रभाव आगामी चुनावों में देखने को मिल सकता है।
Shashi Tharoor का यह बयान क्या भारत के विदेशी नीति को कैसे प्रभावित कर सकता है
Shashi Tharoor का हालिया बयान, जिसमें उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध पर मोदी सरकार के रुख की सराहना की है, भारत की विदेश नीति पर कई महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। उनके इस बदलाव से न केवल कांग्रेस पार्टी के भीतर की राजनीति प्रभावित होगी, बल्कि यह भारत की अंतरराष्ट्रीय स्थिति और कूटनीतिक संबंधों पर भी गहरा असर डाल सकता है।
कूटनीतिक संतुलन में बदलाव
Shashi Tharoor ने स्वीकार किया कि उनकी पूर्ववर्ती आलोचना गलत थी और अब उन्हें मोदी सरकार की नीति सही लगती है। यह बदलाव दर्शाता है कि भारत की कूटनीति में एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है, जो विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर प्रभाव डाल सकता है। उनकी इस स्वीकार्यता से यह स्पष्ट होता है कि भारत अब एक ऐसे देश के रूप में उभर रहा है जो दोनों पक्षों के साथ संवाद करने में सक्षम है।
अंतरराष्ट्रीय संबंधों में मजबूती
Shashi Tharoor का यह बयान भारत के लिए एक सकारात्मक संकेत हो सकता है। जब एक प्रमुख नेता मोदी सरकार की विदेश नीति का समर्थन करता है, तो इससे अन्य देशों के साथ भारत के संबंध मजबूत हो सकते हैं। विशेषकर रूस और यूक्रेन के साथ, जहां भारत ने संतुलित रुख अपनाया है, यह बयान कूटनीतिक संवाद को बढ़ावा दे सकता है।
कांग्रेस पार्टी का नया दृष्टिकोण
थरूर का यह बयान कांग्रेस पार्टी के लिए भी एक चुनौती पेश करता है। यदि पार्टी अपने नेताओं के विचारों में सामंजस्य नहीं बना पाती, तो यह उसे चुनावी मैदान में कमजोर कर सकता है। थरूर जैसे नेताओं का समर्थन मोदी सरकार की नीतियों को कांग्रेस के भीतर से चुनौती दे सकता है, जिससे पार्टी को अपने दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता होगी।
भविष्य की संभावनाएँ
थरूर का बयान यह संकेत देता है कि भारत की विदेश नीति में लचीलापन और व्यावहारिकता बढ़ रही है। यदि अन्य नेता भी इस दिशा में आगे बढ़ते हैं, तो भारत वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन सकता है। इससे भारत को वैश्विक मामलों में अधिक प्रभावी भूमिका निभाने का अवसर मिलेगा।
निष्कर्ष
शशि थरूर का रूस-यूक्रेन युद्ध पर बदलता नजरिया न केवल उनकी व्यक्तिगत यात्रा को दर्शाता है, बल्कि यह भारत की विदेश नीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भी महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है। उनके बयानों से यह स्पष्ट होता है कि समय के साथ राजनीतिक दृष्टिकोण बदल सकते हैं और इस बदलाव का प्रभाव भविष्य में देखने को मिल सकता है।
Hafiz Saeed ढेर, भारत का एक और दुश्मन खल्लास? अब बस एक सवाल… अगला कौन?”**
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दीपक चौधरी एक अनुभवी संपादक हैं, जिन्हें पत्रकारिता में चार वर्षों का अनुभव है। वे राजनीतिक घटनाओं के विश्लेषण में विशेष दक्षता रखते हैं। उनकी लेखनी गहरी अंतर्दृष्टि और तथ्यों पर आधारित होती है, जिससे वे पाठकों को सूचित और जागरूक करते हैं।
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