NEET PG 2025: डोमिसाइल कोटा खत्म. संविधान के खिलाफ – सुप्रीम कोर्ट

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NEET PG 2025: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, डोमिसाइल कोटा खत्म, जज बोले- ‘ये संविधान के खिलाफ’

नई दिल्ली | 1 फरवरी 2025

NEET PG 2025 को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए राज्यों के डोमिसाइल (निवासी) कोटा को असंवैधानिक करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि यह आरक्षण नीति संविधान के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है और मेडिकल शिक्षा में समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए इसे तुरंत समाप्त किया जाना चाहिए।

डोमिसाइल कोटा खत्म, जज बोले- 'ये संविधान के खिलाफ'
डोमिसाइल कोटा खत्म, जज बोले- ‘ये संविधान के खिलाफ’

क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?

सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच, जिसमें जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत शामिल थे, ने शुक्रवार को NEET PG में राज्यों द्वारा लागू किए गए डोमिसाइल कोटे को खत्म करने का फैसला सुनाया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 21 (जीवन और शिक्षा का अधिकार) का उल्लंघन करता है।

फैसले में कहा गया,
“शिक्षा का उद्देश्य योग्य उम्मीदवारों को अवसर देना है, न कि क्षेत्रीय सीमाओं के आधार पर आरक्षण लागू करना। मेडिकल शिक्षा एक राष्ट्रीय विषय है और इसमें कोई भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए।”

राज्यों में डोमिसाइल कोटे को लेकर विवाद

NEET PG में विभिन्न राज्यों ने अपने स्थानीय छात्रों को प्राथमिकता देने के लिए डोमिसाइल कोटा लागू किया था। इसका मतलब यह था कि राज्य के निवासी छात्रों को सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सीटें प्राथमिकता के आधार पर मिलती थीं, जिससे बाहरी छात्रों के लिए प्रवेश कठिन हो जाता था।

हालांकि, कई छात्रों और संगठनों ने इसे चुनौती देते हुए कहा कि यह राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने वाले योग्य छात्रों के साथ अन्याय है। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और अब कोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार दिया है।

छात्रों और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को छात्रों और विशेषज्ञों ने मिलाजुली प्रतिक्रिया दी है।

🔹 छात्रों का पक्ष:

  • बाहरी राज्यों के छात्रों ने इस फैसले का स्वागत किया और कहा कि इससे योग्यता के आधार पर समान अवसर मिलेगा।
  • स्थानीय छात्र इससे असहमत दिखे और कहा कि इससे राज्य के छात्रों के लिए मेडिकल सीटें कम हो जाएंगी।

🔹 शिक्षा विशेषज्ञों की राय:
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला मेडिकल क्षेत्र में पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि मेडिकल शिक्षा को क्षेत्रीय राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए।

राज्य सरकारों का क्या कहना है?

कुछ राज्य सरकारों ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर असहमति जताई है और कहा है कि वे इस पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे। खासतौर पर महाराष्ट्र, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में इस फैसले का विरोध देखा जा रहा है, जहां डोमिसाइल कोटे के जरिए स्थानीय छात्रों को ज्यादा लाभ दिया जाता था।

फैसले का असर

  • NEET PG 2025 के काउंसलिंग प्रक्रिया में बड़ा बदलाव होगा।
  • अब सभी उम्मीदवारों को समान अवसर मिलेगा, चाहे वे किसी भी राज्य से हों।
  • राज्य सरकारों को अपने मेडिकल एडमिशन पॉलिसी में संशोधन करना होगा।

निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने मेडिकल शिक्षा में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। इससे योग्य छात्रों को बेहतर अवसर मिलने की उम्मीद है, लेकिन राज्यों के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण स्थिति हो सकती है। अब देखना होगा कि इस फैसले का क्रियान्वयन कैसे किया जाता है और राज्य सरकारें इस पर क्या रुख अपनाती हैं।

क्या आपको यह फैसला उचित लगता है? अपनी राय हमें कमेंट सेक्शन में बताएं! 🚀

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