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Toggleदिल्ली विधानसभा चुनाव: Arvind Kejriwal पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप
दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक पहले, Arvind Kejriwal पर बड़ा आरोप सामने आया है। सीएजी की रिपोर्ट में उनके घर की मरम्मत पर 33 करोड़ रुपये खर्च होने की बात कही गई है।
केजरीवाल के घर पर भारी खर्च का खुलासा
सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक, Arvind Kejriwal के सरकारी आवास पर 33 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए। इसमें साज-सज्जा और मरम्मत शामिल है। एक और दिलचस्प खुलासा यह हुआ कि उनके घर में 7 फीट का टीवी भी मौजूद है। यह टीवी सामान्य इंसान की ऊंचाई के बराबर है और इसकी कीमत 24 लाख रुपये बताई जा रही है।
सीएजी रिपोर्ट लीक: क्या हैं आरोप?
हालांकि यह रिपोर्ट अभी आधिकारिक रूप से पेश नहीं की गई है, लेकिन मीडिया में लीक होने के बाद इसे लेकर विवाद बढ़ गया है। विपक्ष ने इसे जनता के टैक्स के पैसे की बर्बादी बताया है।

पीएम मोदी ने लगाए भ्रष्टाचार के आरोप
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केजरीवाल पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि जनता के पैसे का दुरुपयोग कर, केजरीवाल ने शीशमहल बनाया है । सीएजी रिपोर्ट के अनुसार, उनके घर पर 342 करोड़ रुपये नए साज-सज्जा पर खर्च किए गए।
केजरीवाल का बचाव
अरविंद केजरीवाल ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया। उन्होंने कहा कि उनके घर की मरम्मत पर केवल 8.62 करोड़ रुपये खर्च हुए। उनका कहना है कि सीएजी रिपोर्ट को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है, इसलिए ऐसे आरोप बेवजह हैं।
चुनाव पर असर
यह मुद्दा चुनाव से ठीक पहले जनता के बीच चर्चा का केंद्र बन गया है। विपक्ष इसे भ्रष्टाचार का मुद्दा बना रहा है, जबकि आम आदमी पार्टी इसे साजिश करार दे रही है।
जनता की राय और चुनावी रणनीति
इस मामले ने दिल्ली के मतदाताओं को दो ध्रुवों में बांट दिया है। एक वर्ग इसे भ्रष्टाचार मान रहा है, जबकि दूसरे वर्ग को लगता है कि यह एक राजनीतिक चाल है।
Arvind Kejriwal की रेवड़ी पॉलिटिक्स: क्या इस बार नए वादों से जीतेंगे चुनाव?
दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र, अरविंद केजरीवाल ने अपनी रेवड़ी पॉलिटिक्स को आगे बढ़ाते हुए पांच नए वादे किए हैं। इसके लिए उन्होंने कार्यकर्ताओं को 80 मिनट की विशेष ट्रेनिंग भी दी है।
महिला सम्मान योजना: हर महिला को मिलेगा ₹2100
अरविंद केजरीवाल ने घोषणा की है कि 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र की हर महिला को ₹2100 दिए जाएंगे। यह योजना महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण को ध्यान में रखकर बनाई गई है।
संजीवनी योजना: वरिष्ठ नागरिकों को मुफ्त इलाज
दिल्ली के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को मुफ्त इलाज की सुविधा दी जाएगी। इस योजना से लाखों बुजुर्ग लाभान्वित होंगे।
24 घंटे पीने के पानी की गारंटी
दिल्लीवासियों को चौबीसों घंटे पीने के लिए शुद्ध पानी उपलब्ध कराने का वादा किया गया है। इस योजना को लेकर जनता में मिली-जुली प्रतिक्रिया है।
बुजुर्गों के लिए पेंशन स्कीम
60 से 69 वर्ष के बुजुर्गों को हर महीने ₹2000 और 70 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों को ₹2500 की पेंशन दी जाएगी। यह योजना दिल्ली के लाखों बुजुर्गों को वित्तीय राहत प्रदान करेगी।
पुजारी ग्रंथि सम्मान योजना
मंदिरों के पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों को हर महीने ₹18,000 की सम्मान राशि दी जाएगी। धार्मिक समुदायों के प्रति यह योजना अरविंद केजरीवाल की विशेष रणनीति का हिस्सा है।
रेवड़ी पॉलिटिक्स पर जनता की राय
केजरीवाल की रेवड़ी पॉलिटिक्स को लेकर जनता में भिन्न राय है। एक ओर लोग इसे राहतकारी मानते हैं, तो दूसरी ओर इसे सरकारी खजाने पर भारी बोझ बताया जा रहा है। विरोधी दल इसे “लोकलुभावन वादे” करार देते हुए सवाल उठा रहे हैं कि दिल्ली सरकार इन योजनाओं के लिए फंड कहां से लाएगी।
Arvind Kejriwal की रणनीति
केजरीवाल के नए वादों ने चुनावी चर्चा को गरमा दिया है। उनकी टीम सोशल मीडिया और ग्राउंड लेवल पर इन वादों को प्रचारित कर रही है।
चुनावी विश्लेषण
- महिला सम्मान योजना से महिला वोटरों को साधने की कोशिश।
- संजीवनी योजना और पेंशन स्कीम से वरिष्ठ नागरिकों को लुभाने का प्रयास।
- धार्मिक समुदायों को पुजारी ग्रंथि योजना से जोड़ना।

चुनाव प्रचार और संभावित असर
केजरीवाल की यह रणनीति उन्हें पिछली बार की तरह जीत दिला सकती है, लेकिन रेवड़ी पॉलिटिक्स की आलोचना उनके खिलाफ जा सकती है।

2025 दिल्ली चुनाव: केजरीवाल की फ्री योजनाओं (रेवड़ी पॉलिटिक्स )का खामियाजा, दिल्ली की व्यवस्था संकट में
2025 के दिल्ली चुनाव में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी (AAP) एक बार फिर से सत्ता में आने के लिए पूरी तरह से तैयार है, लेकिन इस बार उनके सामने कई चुनौतियाँ हैं। दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी के नेतृत्व में राज्य के अंदर आंतरिक संकट बढ़ता जा रहा है। मुफ्त योजनाओं के वादे पर सत्ता हासिल करने वाली सरकार आज आर्थिक संकट का सामना कर रही है, और दिल्ली के नागरिक इसकी खामियाजा भुगत रहे हैं।
फ्री योजनाओं का परिणाम: आर्थिक संकट

दिल्ली सरकार के राजस्व में भारी कमी आई है, जिसके कारण सरकारी कर्मचारियों को वेतन देने में भी मुश्किलें आ रही हैं। पिछले कुछ सालों में मुफ्त पानी, बिजली, और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के नाम पर आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के नागरिकों को आकर्षित किया था, लेकिन अब यह मुफ्तखोरी की संस्कृति दिल्ली की वित्तीय स्थिति पर भारी पड़ रही है। दिल्ली विधानसभा के पुनर्गठन के बाद, पहली बार दिल्ली सरकार राजकोषीय घाटे के कगार पर पहुंच चुकी है।
आर्थिक संकट के कारण सरकार के पास अब अपने अधिकारियों और कर्मचारियों को वेतन देने के लिए केवल दो महीने का राजस्व बचा है। इसके साथ ही, अस्पतालों में दवाईयों की कमी और साफ पानी की समस्या भी बढ़ गई है।
बुनियादी ढांचे का संकट
दिल्ली के बुनियादी ढांचे के विकास में भारी कमी आई है। उच्च न्यायालय ने राजेंद्र नगर हादसे पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जब टैक्स का संग्रह नहीं हो रहा है, तो ऐसी दुर्घटनाएं होना स्वाभाविक है। कोर्ट ने यह भी कहा कि मुफ्तखोरी की नीतियों के कारण सरकार के पास बुनियादी ढांचे के विस्तार के लिए पैसा नहीं है।
दिल्ली के सिविक एजेंसियों का भी यही हाल है। दिल्ली नगर निगम (MCD) दिवालिया हो चुका है, और अगर उनके पास कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसा नहीं है, तो वे इंफ्रास्ट्रक्चर को कैसे सुधार सकते हैं?
जल संकट और दिल्ली जल बोर्ड
दिल्ली जल बोर्ड की हालत भी नाजुक है। 2013 में दिल्ली जल बोर्ड 600 करोड़ रुपये का मुनाफा कमा रहा था, लेकिन अब आम आदमी पार्टी के नेतृत्व में यह 73,000 करोड़ रुपये के घाटे में चला गया है। मुफ्त पानी देने की नीति ने दिल्ली जल बोर्ड को पूरी तरह से खोखला और जर्जर कर दिया है। जल पाइपलाइन जो 40 से 50 साल पुरानी हैं, उनकी मरम्मत नहीं हो पाई है। इसके परिणामस्वरूप, दिल्ली में पानी की किल्लत और जल भराव जैसी समस्याएँ बढ़ी हैं।
विपक्षी राज्यों में भी खामियाजा
दिल्ली ही नहीं, अन्य विपक्षी राज्यों में भी मुफ्त योजनाओं की नीति ने जनता को मुसीबत में डाला है। हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना और पंजाब में भी ऐसी नीतियों के चलते सरकारों को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा है।
निष्कर्ष
दिल्ली चुनाव 2025 में अरविंद केजरीवाल की मुफ्त योजनाओं की नीति पर सवाल उठना लाजमी है। जबकि आम आदमी पार्टी की सरकार ने कई योजनाओं के तहत दिल्ली के नागरिकों को राहत देने का वादा किया था, अब वे योजनाएं सरकार के वित्तीय संकट को और बढ़ा रही हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि दिल्ली की जनता अगले चुनाव में किसे चुनती है और क्या मुफ्त योजनाओं की राजनीति का भविष्य होगा।
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दिल्ली विधानसभा चुनाव: मतदान और मतगणना की तारीखों की हुई घोषणा, देखिए पूरा शेड्यूल
चुनाव आयोग ने मंगलवार को दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान कर दिया. दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए एक चरण में मतदान पाँच फ़रवरी को होगा. नतीजे आठ फ़रवरी को आएंगे.
राजीव कुमार ने बताया कि दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 12 आरक्षित हैं और बाकी 58 जनरल सीटें हैं.
दिल्ली में कुल 1.55 करोड़ मतदाता हैं. इनमें से 83.49 लाख पुरुष और 71.74 लाख महिला वोटर हैं. दिल्ली में पहली बार वोट करने वाले मतदाताओं की संख्या दो लाख है. वहीं, राजधानी में 13 हज़ार से अधिक पोलिंग बूथ है.
ईवीएम पर लगे आरोपों को सीईसी ने किया ख़ारिज
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि ईवीएम पर आरोप लगते रहते हैं. इस बार वोटर लिस्ट से नाम काटने की भी शिकायत की गई. वोटर लिस्ट में गड़बड़ी के आरोप लगे.
पिछले कुछ विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस पार्टी ने खुलकर ईवीएम पर सवाल उठाए हैं. वहीं, आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में चुनाव से पहले वोटर लिस्ट से कई मतदाताओं के नाम काटने का आरोप लगाए हैं.
इन आरोपों पर राजीव कुमार ने कहा कि लिस्ट से वोटर का नाम हटाने पर पूरी प्रक्रिया का पालन किया जाता है. उन्होंने कहा कि अगर अचानक एक क्षेत्र से 10-20 हज़ार नाम काट दिए जाएंगे, तो ऐसे में बड़ा मामला होगा. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों की सहमति से वोटर लिस्ट अपडेट होती है.
उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट लगातार अलग-अलग आदेशों में ये कहते आए हैं कि ईवीएम में किसी तरह की गड़बड़ी या हैकिंग नहीं हो सकती है.
अभी पिछले चुनाव में बड़ा हल्ला हो गया कि हमारा हेलीकॉप्टर चेक किया गया, दूसरे का नहीं किया गया. अधिकारियों को धमकाने तक की नौबत आई है. लेकिन हम रोक लेते हैं खुद को क्योंकि इससे सबके लिए एक सामान अवसर रुकते हैं. सीईसी ने सभी राजनीतिक दलों को चुनाव में शालीनता बनाए रखने की भी नसीहत दी. उन्होंने कहा कि इसी से हमारा लोकतंत्र आगे पनपेगा.
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025: इंडिया गठबंधन का बिखराव और कांग्रेस की चुनौती
दिल्ली विधानसभा चुनावों में इस बार इंडिया गठबंधन की स्थिति ने सियासी पंडितों को चौंका दिया है। गठबंधन के घटक दलों ने आम आदमी पार्टी (आप) का समर्थन किया है, जबकि कांग्रेस अकेले मैदान में उतर रही है। इस राजनीतिक परिदृश्य ने राहुल गांधी और कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है।
इंडिया गठबंधन का बिखराव: आप को समर्थन, कांग्रेस अलग
इंडिया गठबंधन, जो राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी को टक्कर देने के लिए बनाया गया था, दिल्ली चुनाव में आपसी मतभेद का शिकार हो गया। गठबंधन के अन्य घटक दलों ने अरविंद केजरीवाल की नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी का समर्थन किया है। दूसरी ओर, कांग्रेस, जो गठबंधन का अहम हिस्सा है, दिल्ली में अकेले लड़ने का फैसला कर चुकी है।
राहुल गांधी के सामने चुनौतीपूर्ण स्थिति
लोकसभा चुनावों में राहुल गांधी को जो सफलता मिली थी, उसे दिल्ली विधानसभा चुनाव में दोहराना उनके लिए मुश्किल साबित हो रहा है। गठबंधन में अकेले पड़ने से कांग्रेस की स्थिति कमजोर दिखाई दे रही है। कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता इस स्थिति से असमंजस में हैं।
क्या है वजह?
- आप का वर्चस्व: दिल्ली की राजनीति में अरविंद केजरीवाल और आप का प्रभाव इतना मजबूत है कि गठबंधन के घटक दलों ने आप के साथ जाना बेहतर समझा।
- कांग्रेस की कमजोर स्थिति: पिछले चुनावों में कांग्रेस की खराब प्रदर्शन ने उसके सहयोगियों को भरोसा दिलाने में विफल कर दिया।
- सामंजस्य की कमी: गठबंधन में दिल्ली को लेकर स्पष्ट रणनीति का अभाव बिखराव का कारण बना।
क्या कांग्रेस अकेले मुकाबला कर पाएगी?
कांग्रेस के लिए यह चुनाव अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता बनाए रखने का आखिरी मौका हो सकता है। हालांकि, राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस दिल्ली में मजबूत वापसी की उम्मीद कर रही है। लेकिन अकेले लड़ने के फैसले ने उनकी राह मुश्किल कर दी है।
अरविंद केजरीवाल के लिए यह स्थिति क्यों फायदेमंद है?
अरविंद केजरीवाल ने गठबंधन के भीतर की कमजोरी का फायदा उठाते हुए अपनी स्थिति मजबूत कर ली है। आप को घटक दलों का समर्थन मिलने से उनकी जीत की संभावना और बढ़ गई है।
जनता की नजरें राहुल गांधी और कांग्रेस पर
दिल्ली में मतदाता इस स्थिति पर कड़ी नजर बनाए हुए हैं। जनता देख रही है कि क्या कांग्रेस अकेले दम पर बीजेपी और आप को टक्कर दे पाएगी, या फिर यह चुनाव कांग्रेस के लिए एक और हार साबित होगा।
निष्कर्ष:
इंडिया गठबंधन का बिखराव और कांग्रेस का अकेला पड़ना दिल्ली विधानसभा चुनावों को और अधिक दिलचस्प बना रहा है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि राहुल गांधी इस चुनौती का सामना कैसे करते हैं और कांग्रेस अपनी खोई हुई जमीन को वापस पाने में कितनी सफल होती है।
2025 दिल्ली चुनाव: अरविंद केजरीवाल की रणनीति और मुफ्त योजनाओं का असर
दिल्ली में 2025 चुनावी दंगल के लिए अरविंद केजरीवाल ने अपनी पूरी तैयारी कर ली है। अपनी पार्टी आम आदमी पार्टी (AAP) को फिर से सत्ता में लाने के लिए केजरीवाल ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। चुनावी प्रचार में मुफ्त योजनाओं और सामाजिक कल्याण की घोषणाओं पर जोर देते हुए उन्होंने 2025 दिल्ली चुनाव के नरेटिव को सेट किया है।
टिकट वितरण और उम्मीदवारों की घोषणा
अरविंद केजरीवाल ने चुनावी मुकाबले की शुरुआत टिकट वितरण से की। पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की लिस्ट पहले ही जारी कर दी है, जिससे विपक्षी पार्टियों के मुकाबले AAP की स्थिति मजबूत दिख रही है। इस बार, केजरीवाल ने उम्मीदवारों के चयन में विशेष ध्यान दिया है, ताकि वे दिल्ली के विभिन्न वर्गों का प्रतिनिधित्व कर सकें।
मुफ्त योजनाएं और घोषणाएं
2025 दिल्ली चुनाव के दौरान केजरीवाल ने कुछ प्रमुख घोषणाएं की हैं जो चुनावी माहौल में हलचल मचा रही हैं। इनमें महिला सम्मान योजना और धर्म गुरुओं के लिए पेंशन जैसे योजनाएं शामिल हैं। इन योजनाओं का मकसद सीधे दिल्ली के नागरिकों को लाभ पहुंचाना है, खासकर उन वर्गों को जो सामाजिक सुरक्षा और कल्याण योजनाओं के तहत आते हैं।
“महिला सम्मान योजना” के तहत केजरीवाल सरकार ने महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा देने का वादा किया है, जबकि “धर्म गुरुओं के लिए पेंशन” योजना से धार्मिक नेताओं को मदद मिलेगी, जिससे उनकी सशक्तिकरण की दिशा में एक कदम और बढ़ाया जाएगा।
सोशल मीडिया और ग्राउंड पर प्रचार
केजरीवाल की पार्टी ने चुनावी प्रचार में सोशल मीडिया का इस्तेमाल काफी बढ़ा दिया है। उनकी टीम ग्राउंड पर भी सक्रिय है, जहां वे अपने विरोधियों के खिलाफ नकारात्मक प्रचार करने में जुटी हुई हैं। सोशल मीडिया के जरिए वे विपक्ष की कमजोरियों और उनकी योजनाओं को जनता तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। इसके अलावा, वे केजरीवाल और उनकी पार्टी की योजनाओं को जनता के बीच लोकप्रिय बनाने के लिए लगातार सक्रिय हैं।
विपक्षी प्रतिक्रिया
हालांकि, विपक्षी पार्टियां केजरीवाल की इन योजनाओं और घोषणाओं पर सवाल उठा रही हैं। उनका आरोप है कि ये सभी घोषणाएं सिर्फ वोट बैंक की राजनीति के लिए की जा रही हैं। लेकिन, केजरीवाल ने इन आरोपों को खारिज किया और दावा किया कि उनकी योजनाएं दिल्ली के नागरिकों की भलाई के लिए हैं।
निष्कर्ष
2025 दिल्ली चुनाव में अरविंद केजरीवाल की रणनीतियाँ और उनकी मुफ्त योजनाएं एक बार फिर से चुनावी मैदान में मुकाबला रोचक बनाने जा रही हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि दिल्ली की जनता किसे अपना वोट देती है और क्या केजरीवाल की योजनाएं विपक्ष को मात दे पाएंगी।

दीपक चौधरी एक अनुभवी संपादक हैं, जिन्हें पत्रकारिता में चार वर्षों का अनुभव है। वे राजनीतिक घटनाओं के विश्लेषण में विशेष दक्षता रखते हैं। उनकी लेखनी गहरी अंतर्दृष्टि और तथ्यों पर आधारित होती है, जिससे वे पाठकों को सूचित और जागरूक करते हैं।