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Toggleदिल्ली विधानसभा चुनाव 2025: AAP के लिए 12 सीटों पर कांग्रेस की चुनौती, दलित और मुस्लिम वोटर्स पर नजर
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस के बीच मुकाबला दिलचस्प मोड़ पर आ गया है। खासकर 12 सीटों पर कांग्रेस की मजबूत पकड़ ने AAP के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। इन सीटों पर दलित और मुस्लिम वोटर्स का प्रभाव काफी अधिक है, जो किसी भी पार्टी के लिए निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।

AAP बनाम कांग्रेस: 12 सीटों पर क्यों बढ़ी टक्कर?
दिल्ली में अब तक AAP को कांग्रेस से ज्यादा बढ़त मिलती रही है, लेकिन इस बार कुछ विधानसभा सीटों पर कांग्रेस की स्थिति मजबूत होती दिख रही है। इनमें खासतौर पर पूर्वी दिल्ली, उत्तर-पूर्वी दिल्ली और पुरानी दिल्ली की कुछ सीटें शामिल हैं।
ये 12 सीटें जहां AAP के लिए चुनौती बनी कांग्रेस:
- सीलमपुर – मुस्लिम बहुल इलाका, पारंपरिक रूप से कांग्रेस के पक्ष में
- ओखला – शाहीन बाग आंदोलन के कारण AAP का समर्थन मजबूत, लेकिन कांग्रेस ने बढ़ाई चुनौती
- बाबरपुर – दलित और मुस्लिम मतदाता महत्वपूर्ण, कांग्रेस की वापसी के संकेत
- सीमा पुरी – दलित वोटरों की बहुलता, कांग्रेस ने मजबूती से वापसी की
- बल्लिमरान – ऐतिहासिक रूप से कांग्रेस की सीट, AAP के लिए कठिन
- चांदनी चौक – पुरानी दिल्ली में कांग्रेस का गढ़, AAP को संघर्ष करना पड़ सकता है
- किराड़ी – ग्रामीण और दलित वोटर प्रमुख, कांग्रेस ने AAP को टक्कर दी
- मटियाला – जाट और दलित समुदाय का प्रभाव, कांग्रेस की स्थिति सुधरी
- बदरपुर – यहां AAP को 2020 में बढ़त मिली थी, लेकिन कांग्रेस की पकड़ भी मजबूत
- मुस्तफाबाद – मुस्लिम बहुल इलाका, कांग्रेस और AAP में कड़ा मुकाबला
- नंद नगरी – दलित और पिछड़े वर्ग के वोटर महत्वपूर्ण, कांग्रेस की मजबूती बढ़ी
- तुर्कमान गेट (बल्लीमारान क्षेत्र) – अल्पसंख्यक मतदाताओं का झुकाव कांग्रेस की ओर
AAP के लिए क्यों बढ़ी चिंता?
- कांग्रेस की आक्रामक रणनीति – इस बार कांग्रेस ने पुरानी गलती न दोहराते हुए जमीनी स्तर पर मजबूत पकड़ बनाई है।
- वोटों का विभाजन – मुस्लिम और दलित वोटर्स अगर कांग्रेस की तरफ जाते हैं, तो AAP को नुकसान होगा।
- बीजेपी का खेल – अगर कांग्रेस मजबूत होती है, तो बीजेपी को अप्रत्यक्ष लाभ मिल सकता है।
- लोकसभा चुनाव 2024 का प्रभाव – लोकसभा में कांग्रेस ने कुछ सीटों पर अच्छा प्रदर्शन किया था, जिसका फायदा विधानसभा चुनाव में मिल सकता है।
मुस्लिम और दलित वोटर्स: किसका कितना असर?
दिल्ली में करीब 18% मुस्लिम वोटर और 16% दलित वोटर हैं, जो चुनाव परिणाम को सीधे प्रभावित कर सकते हैं।
✔ मुस्लिम वोटर्स – परंपरागत रूप से कांग्रेस समर्थक रहे हैं, लेकिन 2015 और 2020 में AAP की तरफ शिफ्ट हो गए थे। 2025 में कांग्रेस की रणनीति इन्हें वापस लाने की है।
✔ दलित वोटर्स – दिल्ली में दलित समुदाय का झुकाव AAP की ओर ज्यादा रहा है, लेकिन कांग्रेस ने हाल ही में दलित वर्ग को साधने के लिए कई प्रयास किए हैं।
क्या AAP तीसरी बार सरकार बना पाएगी?
- 2020 में AAP को 62 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला था।
- लेकिन 2025 में अगर कांग्रेस इन 12 सीटों पर अच्छा प्रदर्शन करती है, तो AAP को बड़ा झटका लग सकता है।
- बीजेपी भी इन वोटों के विभाजन का फायदा उठा सकती है, जिससे त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति बन सकती है।
कुछ प्रमुख प्रश्न जो इस चुनाव में महत्वपूर्ण बन गए है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में AAP बनाम कांग्रेस के बीच मुकाबला कैसा रहेगा?
👉 दिल्ली चुनाव 2025 में AAP और कांग्रेस के बीच मुकाबला रोमांचक हो सकता है, खासतौर पर उन 12 सीटों पर जहां कांग्रेस की पकड़ मजबूत हो रही है। पिछले चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन खराब रहा था, लेकिन इस बार वह दलित और मुस्लिम वोटर्स को साधने में जुटी है। अगर कांग्रेस सफल होती है, तो AAP को इन सीटों पर कड़ी चुनौती मिलेगी।
कांग्रेस किन 12 सीटों पर AAP के लिए चुनौती बन रही है?
👉 कांग्रेस की मजबूत वापसी वाली संभावित 12 सीटें ये हो सकती हैं:
- सीलमपुर
- ओखला
- बाबरपुर
- सीमा पुरी
- बल्लिमरान
- चांदनी चौक
- किराड़ी
- मटियाला
- बदरपुर
- मुस्तफाबाद
- नंद नगरी
- तुर्कमान गेट (बल्लीमारान क्षेत्र)
इन सीटों पर मुस्लिम और दलित वोटर चुनाव परिणाम को सीधे प्रभावित कर सकते हैं।
दिल्ली चुनाव 2025 में मुस्लिम और दलित वोटर किसकी ओर झुक सकते हैं?
👉 दिल्ली में लगभग 18% मुस्लिम और 16% दलित वोटर हैं। 2015 और 2020 के चुनाव में ये समुदाय AAP के पक्ष में था, लेकिन कांग्रेस की रणनीति इन्हें वापस लाने की है। अगर ये वोट कांग्रेस के खाते में जाते हैं, तो AAP को बड़ा नुकसान हो सकता है।
Delhi Assembly Election 2025 में Congress vs AAP के बीच टक्कर में कौन आगे है?
👉 2020 के चुनाव में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी, जबकि AAP ने 62 सीटें जीती थीं। 2025 में कांग्रेस कुछ सीटों पर वापसी कर सकती है, लेकिन यह इस बात पर निर्भर करेगा कि वह AAP से मुस्लिम और दलित वोट कितना छीन पाती है।
क्या कांग्रेस की वापसी से AAP को नुकसान होगा?
👉 हां, अगर कांग्रेस अपनी रणनीति में सफल रही, तो वह उन सीटों पर AAP को कड़ी टक्कर दे सकती है, जहां उसका परंपरागत वोट बैंक है। AAP को 2020 की तरह एकतरफा जीत नहीं मिलेगी, और कांग्रेस के उभरने से बीजेपी को भी अप्रत्यक्ष रूप से फायदा हो सकता है।
दिल्ली में मुस्लिम वोट बैंक किसके साथ जाएगा?
👉 मुस्लिम वोट बैंक परंपरागत रूप से कांग्रेस के साथ रहा है, लेकिन 2015 और 2020 में यह AAP की तरफ चला गया था। अब 2025 में कांग्रेस इस वोट बैंक को फिर से पाने की कोशिश कर रही है। अगर कांग्रेस इसे वापस लेने में कामयाब होती है, तो AAP को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
2025 दिल्ली चुनाव में दलित वोटर की भूमिका कितनी अहम होगी?
👉 दिल्ली के कई विधानसभा क्षेत्रों में दलित वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। पिछले चुनावों में दलित समुदाय का झुकाव AAP की तरफ था, लेकिन कांग्रेस इस बार अपने संगठन के जरिए इस वोट बैंक को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है।
दिल्ली में त्रिकोणीय मुकाबला: AAP, BJP और कांग्रेस में किसकी स्थिति मजबूत है?
👉 2025 के चुनाव में तीनतरफा मुकाबला होने की संभावना है। अगर कांग्रेस मजबूत होती है, तो AAP के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं, और बीजेपी को अप्रत्यक्ष रूप से फायदा हो सकता है। बीजेपी हिंदू वोटरों पर फोकस कर रही है, जबकि AAP और कांग्रेस मुस्लिम और दलित वोटों के लिए संघर्ष कर रही हैं।
चुनाव परिणामों पर संभावित असर
🔹 अगर कांग्रेस ने AAP के वोट बैंक में सेंध लगाई, तो बीजेपी को लाभ होगा।
🔹 अगर AAP अपने वोट बैंक को बरकरार रख पाई, तो सीधा मुकाबला बीजेपी से होगा।
🔹 अगर कांग्रेस ने मुस्लिम और दलित वोटर्स को पूरी तरह अपनी ओर कर लिया, तो त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा।
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निष्कर्ष
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में AAP के लिए यह चुनाव आसान नहीं रहने वाला। कांग्रेस ने 12 सीटों पर AAP को जबरदस्त चुनौती दी है और अगर यह वोट विभाजन होता है, तो चुनावी समीकरण बदल सकते हैं। बीजेपी भी इस मौके का फायदा उठाने के लिए तैयार है। अब देखना यह होगा कि दिल्ली के मतदाता किसे समर्थन देते हैं। अधिक पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

दीपक चौधरी एक अनुभवी संपादक हैं, जिन्हें पत्रकारिता में चार वर्षों का अनुभव है। वे राजनीतिक घटनाओं के विश्लेषण में विशेष दक्षता रखते हैं। उनकी लेखनी गहरी अंतर्दृष्टि और तथ्यों पर आधारित होती है, जिससे वे पाठकों को सूचित और जागरूक करते हैं।