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ToggleE Paper 5 May 2025: “देश-दुनिया की सभी बड़ी खबरें एक साथ”
राजनाथ सिंह की पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी: ‘देश जैसा चाहता है, वैसा होकर रहेगा‘

E Paper 5 May 2025- पहलगाम आतंकी हमले के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को सख्त चेतावनी दी है। दिल्ली में सनातन संस्कृति जागरण महोत्सव के मंच से उन्होंने सीमा सुरक्षा को प्राथमिकता बताते हुए कहा, “मेरा दायित्व है कि मैं सैनिकों के साथ मिलकर देश की सीमाओं को सुरक्षित रखूं। आतंकवाद का मुंहतोड़ जवाब देना मेरी जिम्मेदारी है।”
पहलगाम हमले ने बढ़ाया तनाव
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की मौत ने देश को झकझोर दिया। लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े संगठन ने इसकी जिम्मेदारी ली। इसके बाद भारत ने सिंधु जल समझौता रोककर और एयरस्पेस बंद करके कड़ा रुख अपनाया। राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा, “पीएम मोदी की दृढ़ता से आप परिचित हैं। देशवासियों की इच्छा पूरी होगी।”
भारत की सुरक्षा नीति और भविष्य
भारतीय सेना को ऑपरेशनल छूट दी गई है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) हमले की जांच कर रही है। राजनाथ ने भारत की सांस्कृतिक ताकत और सैन्य शक्ति पर जोर देते हुए कहा, “हमारी नीति अब रक्षात्मक नहीं, बल्कि सक्रिय है।” पहलगाम आतंकी हमला, भारत-पाक तनाव, और मोदी सरकार की नीतियां चर्चा में हैं।
पाकिस्तान को प्यासा मारने की भारत की रणनीति:

भारत ने जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी पर बने बागलीहर बांध से पानी की आपूर्ति रोक दी है, जो पाकिस्तान के लिए बड़ी चुनौती बन गई है। यह कदम भारत द्वारा 1960 के इंडस वाटर ट्रीटी को निलंबित करने के बाद उठाया गया है, जो दोनों देशों के बीच नदी जल वितरण का आधार था14। इस फैसले के पीछे 2025 में पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले का बदला लेने की रणनीति है, जिसमें 26 लोग मारे गए थे16।
चिनाब और किशनगंगा नदी पर नियंत्रण
बागलीहर बांध के बाद अब भारत किशनगंगा नदी पर बने किशनगंगा डैम से भी पानी रोकने की योजना बना रहा है। किशनगंगा डैम, जो झेलम नदी की एक उपनदी है, भारत को जल प्रवाह नियंत्रित करने और बिजली उत्पादन का मौका देता है। यह कदम पाकिस्तान की जल सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है क्योंकि ये नदियाँ पाकिस्तान के सिंचाई और ऊर्जा के लिए महत्वपूर्ण हैं15।
रणनीतिक और राजनीतिक प्रभाव
इंडस वाटर ट्रीटी के निलंबन के बाद भारत ने जल संसाधनों को अपने नियंत्रण में लेकर पाकिस्तान पर दबाव बनाने की रणनीति अपनाई है। इससे पाकिस्तान की कृषि, बिजली उत्पादन और जल आपूर्ति प्रभावित हो सकती है, जो उसकी अर्थव्यवस्था के लिए खतरा है67। भारत ने इस कदम के साथ-साथ अन्य कूटनीतिक और सुरक्षा उपाय भी लागू किए हैं, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है6।
निष्कर्ष
भारत का चिनाब और किशनगंगा नदी के जल प्रवाह को रोकना एक कूटनीतिक और रणनीतिक चाल है, जो पाकिस्तान को जल संकट में डालने की कोशिश है। यह कदम दोनों देशों के बीच जल विवाद को और गहरा कर सकता है और क्षेत्रीय स्थिरता पर असर डाल सकता है146।
इतिहास में पहली बार NEET परीक्षा में हाईटेक वॉर रूम से निगरानी

देश की सबसे बड़ी मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET UG 2025 का आयोजन रविवार, 4 मई को देशभर के 548 शहरों में 5453 परीक्षा केंद्रों पर और 14 विदेशी शहरों में भी किया गया। इस बार परीक्षा में 20.8 लाख से अधिक छात्रों ने भाग लिया, जो अब तक की सबसे बड़ी संख्या है125।
हाईटेक वॉर रूम की भूमिका और सुरक्षा व्यवस्था
पहली बार NEET परीक्षा की निगरानी के लिए शिक्षा मंत्रालय के तहत एक केंद्रीय हाईटेक वॉर रूम बनाया गया, जिसमें गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय के अधिकारी तैनात थे। इस वॉर रूम से परीक्षा की हर गतिविधि पर रीयल-टाइम निगरानी रखी गई, जिससे परीक्षा की पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित हुई16।
परीक्षा से पहले सभी परीक्षा केंद्रों पर मॉक ड्रिल कर मोबाइल जैमर्स, बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन और फ्रिस्किंग की व्यवस्था की जांच की गई। इसके अलावा, गर्मी को ध्यान में रखते हुए ठंडा पानी, बिजली की आपूर्ति, फर्स्ट एड और एम्बुलेंस की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई16।
कड़ी निगरानी और फर्जीवाड़ा रोकने के उपाय
एनटीए ने तीन स्तरों-जिला, राज्य और केंद्र स्तर पर-तीव्र सुरक्षा व्यवस्था की। फर्जीवाड़ा रोकने के लिए एक विशेष पोर्टल भी लॉन्च किया गया, जहां से 2300 से अधिक संदिग्ध शिकायतें मिलीं, जिन पर गृह मंत्रालय के साइबर अपराध केंद्र ने कार्रवाई की17। परीक्षा में नकल करने वालों के लिए तीन साल तक की डिबार का नियम लागू किया गया है37।
निष्कर्ष
NEET UG 2025 परीक्षा में पहली बार हाईटेक वॉर रूम से निगरानी और कड़े सुरक्षा इंतजामों ने परीक्षा को निष्पक्ष और सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई। 20 लाख से अधिक उम्मीदवारों की भागीदारी के साथ यह परीक्षा भारत में मेडिकल प्रवेश प्रक्रिया का नया मील का पत्थर साबित हुई है16।
असदुद्दीन ओवैसी ने पाकिस्तान को दी कड़ी चेतावनी
पाकिस्तान की मिसाइल टेस्टिंग पर ओवैसी का जवाब
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले को लेकर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पाकिस्तान की निंदा की है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान चाहे जितनी भी मिसाइल टेस्ट कर ले, भारत उससे हमेशा ताकतवर रहेगा। ओवैसी ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को भी चेतावनी दी कि भारत की जमीन पर किसी भी आतंकी हमले को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों को कड़ी सजा मिलेगी148।
पहलगाम आतंकी हमले पर कड़ी प्रतिक्रिया
ओवैसी ने इस हमले को इंसानियत के खिलाफ बताते हुए कहा कि 26 निर्दोष लोगों की हत्या बेहद दर्दनाक है। उन्होंने सरकार से मांग की कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए और पीड़ित परिवारों को न्याय मिले। उन्होंने कहा कि भारत सरकार के साथ मिलकर आतंकवाद का ऐसा जवाब दिया जाएगा जिससे पाकिस्तान दोबारा हमारे नागरिकों को नुकसान पहुंचाने की हिम्मत न कर सके14।
पाकिस्तान पर तीखा हमला और मांगें
ओवैसी ने पाकिस्तान को एक विफल राष्ट्र करार देते हुए कहा कि जो लोग पाकिस्तान में बैठकर भारत के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं, उन्हें इस्लाम की सही शिक्षा नहीं मिली। उन्होंने भारत सरकार से पाकिस्तान के विमानों और जहाजों पर प्रतिबंध लगाने, FATF की ब्लैकलिस्ट में डालने और बालाकोट जैसे सर्जिकल स्ट्राइक करने की मांग की है124।
भारत को रूस से मिले 250 करोड़ के नए एयर डिफेंस मिसाइल

भारतीय सेना को रूस से लगभग 250 करोड़ रुपये की लागत से अत्याधुनिक Igla-S एयर डिफेंस मिसाइलें मिली हैं, जो देश की वायु रक्षा प्रणाली को मजबूत करेंगी। यह सौदा भारतीय सेना और रूस के बीच आपातकालीन खरीद अनुबंध के तहत हुआ है, जिसका मकसद सीमावर्ती क्षेत्रों पर वायु सुरक्षा को सुदृढ़ करना है। खासतौर पर पश्चिमी मोर्चे पर पाकिस्तान से बढ़ते ड्रोन और हेलिकॉप्टर खतरे को ध्यान में रखते हुए यह मिसाइलें तैनात की जा रही हैं679।
Igla-S मिसाइल की खासियत
Igla-S एक कंधे से दागी जाने वाली मैन-पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम (MANPADS) है, जिसकी इंटरसेप्शन रेंज लगभग 6 किलोमीटर है। यह मिसाइल 11,000 फीट की ऊंचाई तक लक्ष्य को भेद सकती है और 2266 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दुश्मन के ड्रोन, हेलिकॉप्टर और लड़ाकू विमानों को निशाना बनाती है। इसका वजन लगभग 10.8 किलोग्राम है, जिसे एक सैनिक आसानी से कंधे पर लेकर ऑपरेट कर सकता है। मिसाइल में उच्च संवेदनशील इंफ्रा रेड सेंसर लगा होता है, जो लक्ष्य को पहचान कर उसे भेद देता है267।
रणनीतिक महत्व और भविष्य की योजनाएं
यह खरीद भारत की वायु रक्षा क्षमता को बढ़ाने के साथ-साथ मेक-इन-इंडिया पहल को भी बल देगी, क्योंकि रूस ने Igla-S के लाइसेंस्ड उत्पादन की अनुमति दी है। भारतीय कंपनियां, जैसे अडानी डिफेंस, रूस के साथ मिलकर इस मिसाइल का उत्पादन करेंगी। इसके अलावा, भारतीय वायुसेना भी इसी तरह के एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने की योजना बना रही है ताकि देश की सीमाओं पर बहुस्तरीय सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। यह कदम पाकिस्तान और चीन से बढ़ते हवाई खतरों के बीच भारत की सुरक्षा रणनीति को और मजबूत करेगा36।
इस नई मिसाइल आपूर्ति से भारत के पश्चिमी सीमावर्ती इलाकों में तैनात सैनिकों की वायु रक्षा क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, जिससे दुश्मन के ड्रोन और हेलिकॉप्टर बच नहीं पाएंगे।68
जाति जनगणना के बाद आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा हटने का रास्ता?
भारत में लंबे समय से जाति आधारित जनगणना की मांग उठती रही है, जिसे केंद्र सरकार ने हाल ही में मंजूरी दी है। इस जनगणना से देश में विभिन्न जातियों की वास्तविक जनसंख्या का पता चलेगा, खासकर ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) की आबादी, जो माना जाता है कि 50 प्रतिशत से अधिक है5।
50 प्रतिशत आरक्षण सीमा पर बदलाव की संभावना
सुप्रीम कोर्ट ने 1992 में एक फैसले में आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत तय की थी, ताकि संविधान की मूल भावना बनी रहे। लेकिन जाति जनगणना के बाद, जब ओबीसी सहित अन्य वर्गों की वास्तविक आबादी सामने आएगी, तो उनकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण बढ़ाने की मांग बढ़ सकती है। इससे सरकार के लिए 50 प्रतिशत की सीमा को बढ़ाने या हटाने का रास्ता खुल सकता है35।
राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
जाति जनगणना से संसद और विधानसभाओं में जातिगत प्रतिनिधित्व का स्वरूप भी बदलेगा। बड़ी आबादी वाली जातियां राजनीतिक रूप से मजबूत होंगी, जिससे आरक्षण की सीमा पर पुनर्विचार की मांग और बढ़ेगी। इससे सामाजिक न्याय की राजनीति में भी नया बदलाव आ सकता है5।
निष्कर्ष
जाति जनगणना के आंकड़े आने के बाद आरक्षण पर लगी 50 प्रतिशत की सीमा को हटाने या बढ़ाने की संभावनाएं मजबूत होंगी, क्योंकि वास्तविक जनसंख्या के आधार पर आरक्षण का पुनर्निर्धारण आवश्यक हो जाएगा। यह कदम सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में एक बड़ा बदलाव साबित हो सकता है235।
शेयर बाजार में इस हफ्ते गिरावट का अनुमान: प्रमुख फैक्टर्स पर नजर
FOMC मीटिंग और वैश्विक आर्थिक संकेतक
इस हफ्ते भारतीय शेयर बाजार की दिशा अमेरिकी फेडरल रिजर्व (FOMC) की 7 मई को होने वाली बैठक पर निर्भर करेगी। ब्याज दरों में बदलाव या कोई नई नीति बाजार की चाल पर सीधा असर डालेगी। विशेषज्ञों के अनुसार, इस बैठक में दरों में कटौती की संभावना कम है, जिससे निवेशकों की उम्मीदों पर असर पड़ सकता है। इसके अलावा, बैंक ऑफ इंग्लैंड की 8 मई की पॉलिसी मीटिंग और विभिन्न देशों के आर्थिक आंकड़े जैसे अमेरिका के जॉब डेटा, यूरोप के PPI, और चीन की इन्फ्लेशन भी बाजार के मूड को प्रभावित करेंगे1268।
कॉर्पोरेट अर्निंग्स और IPO एक्टिविटी
इस सप्ताह 285 से अधिक कंपनियां Q4FY25 के नतीजे जारी करेंगी, जिनमें कोल इंडिया, लार्सन एंड टूब्रो, महिंद्रा एंड महिंद्रा, टाइटन, एशियन पेंट्स जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हैं। इन नतीजों से बाजार की दिशा तय होगी। साथ ही, SME सेगमेंट में दो IPO और मेनबोर्ड पर कुछ कंपनियों के शेयर लिस्टिंग भी निवेशकों की रुचि बनाए रखेंगे16।
FII-DII फ्लो और घरेलू निवेशकों की भूमिका
एफआईआई ने अप्रैल में 2,735 करोड़ रुपए की खरीदारी की है, जबकि डीआईआई ने 28,228 करोड़ रुपए के शेयर खरीदे हैं। खास बात यह है कि घरेलू संस्थागत निवेशक (DII) पहली बार विदेशी निवेशकों (FII) को पीछे छोड़ते हुए बाजार में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं, जो बाजार की स्थिरता के लिए सकारात्मक संकेत है। यह ट्रेंड बाजार की अस्थिरता को कम कर सकता है और दीर्घकालीन निवेश आकर्षित कर सकता है1679।
पिछले सप्ताह की बाजार स्थिति
पिछले सप्ताह सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में तेजी रही, सेंसेक्स 1,190 अंक (1.50%) और निफ्टी 229 अंक (0.95%) चढ़ा। भारत-अमेरिका के व्यापार समझौते और अमेरिका-चीन तनाव में कमी ने बाजार को समर्थन दिया। हालांकि, इस सप्ताह वैश्विक और घरेलू आर्थिक अनिश्चितताओं के कारण बाजार में उतार-चढ़ाव की संभावना बनी हुई है126।
इस हफ्ते शेयर बाजार की चाल FOMC मीटिंग, Q4FY25 के कॉर्पोरेट नतीजों, FII-DII निवेश प्रवाह और वैश्विक आर्थिक संकेतकों पर निर्भर करेगी। निवेशकों को सतर्क रहकर बाजार के उतार-चढ़ाव का सामना करना होगा।
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दीपक चौधरी एक अनुभवी संपादक हैं, जिन्हें पत्रकारिता में चार वर्षों का अनुभव है। वे राजनीतिक घटनाओं के विश्लेषण में विशेष दक्षता रखते हैं। उनकी लेखनी गहरी अंतर्दृष्टि और तथ्यों पर आधारित होती है, जिससे वे पाठकों को सूचित और जागरूक करते हैं।